झारखंड में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हादसा, मालगाड़ी के 6 डिब्बे पटरी से उतरे; बाल-बाल बचे रेलकर्मी
चक्रधरपुर रेल मंडल में बीरमित्रपुर स्टेशन पर एक मालगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर गए। शनिवार को हुई इस घटना के बाद डिब्बों को पटरी पर लाने का काम चल रहा था। बचाव कार्य के दौरान एक और हादसा हुआ जब 6 डिब्बे रोल डाउन होकर फिर से पटरी से उतर गए। इस घटना से बचाव कार्य में लगे कर्मचारी और अधिकारी भी भयभीत हो गए।

जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर। चक्रधरपुर रेल मंडल में ट्रेनों का पटरी से उतरना तो पहले से ही आम बात बन चुकी है। लेकिन अब यह रेल मंडल इससे दो कदम आगे निकलते हुए हादसे के बाद चल रहे बचाव राहत कार्य में भी रेल हादसा करने का एक नया रिकॉर्ड बना लिया है।
ताजा मामले में रेल मंडल के बीरमित्रपुर में सोमवार को फिर मालगाड़ी से रोल डाउन होकर पटरी से उतर गयी है। यह वही मालगाड़ी है जो कि बीते शनिवार को पटरी से उतर गयी थी। शनिवार से लेकर सोमवार तक इस ट्रेन को पटरी में लाने की 56 घंटे से लम्बी कवायत चल रही थी।
लेकिन इसी दौरान दोबारा हुए हादसे ने रेलवे के बचाव राहत कार्य की भी पोल खोल कर रख दी है । मालूम रहे की बीते शनिवार की दोपहर बीरमित्रपुर स्टेशन में एक मालगाड़ी के 9 डिब्बे पटरी से उतर गई थी।
डिब्बों को पटरी पर लाने का चल रहा था काम
शनिवार दोपहर दो बजे से बेपटरी हुए मालगाड़ी के डिब्बों को पटरी पर लाने का काम चल रहा था। सोमवार तक सभी 8 डिब्बे पटरी पर वापस बिठा दी गयी थी। सोमवार शाम छह बजे जैसे ही 9वीं और आखरी बेपटरी डिब्बे को पटरी पर लाने की कोशिश की गयी। वैसे ही जोरदार आवाज के साथ अचानक मालगाड़ी के 6 डिब्बे रोल डाउन हो गए।
बचाव कार्य में लगे रेलकर्मी और रेल अधिकारी जान बचाकर मौके से भागे। वहीं, पास मौजूद रेल फाटक से गुजर रहे आम लोग भी भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। अचानक से अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
हादसे में बदला बचाव कार्य
रोल डाउन हुई ट्रेन ने रेल पटरी को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और बचाव राहत के सामग्री और संसाधन को भी नष्ट कर दिया। 56 घंटे तक चली बचाव राहत कार्य फिर से हादसे में बदल गयी और तीन दिन की मेहनत बेकार हो गयी। जब ट्रेन रुकी तो रोल डाउन से हुई तबाही का मंजर देखने को मिला।
हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। लेकिन जिस तरह से बचाव राहत कार्य में भी हादसा हुआ है उससे रेलवे के कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। खास बात यह है की इस बचाव राहत कार्य में राउरकेला एडीईएन आशेष कुमार खुद मौके पर मौजूद थे।
उनकी मौजूदगी में यह घटना दोबारा कैसे घटी इसे लेकर पूरे रेलवे विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। बचाव राहत कार्य में चूक कहां हुई यह बड़ा सवाल बन गया है। वहीं, बुद्धिजीवी वर्ग लगातार हो रहे हादसे को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने इस हादसे कि उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
अब फिर से पटरी से उतरे छह डिब्बों को पटरी पर लाने के लिए बचाव राहत और मरम्मत का कार्य शुरू किया गया है। बंडामुंडा से एआरटी टीम मौके के लिए रवाना हो गयी है।
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