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    मां को खोया, घर वालों का विरोध झेला... अब सैफ सीनियर एथलेटिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी बसंती

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 06:26 PM (IST)

    बसंती, जिन्होंने अपनी मां को खोया और परिवार के विरोध का सामना किया, अब सैफ सीनियर एथलेटिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। उनका सफर कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। परिवार के विरोध के बावजूद, बसंती ने अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखा और अब भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं।

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    मां को खोया, घर वालों का विरोध झेला... फिर भी दौड़ न रुकी

    मनीष कुमार दास, कुमारडुंगी। अगर हौसला मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी रुकावट भी मंजिल हासिल करने से रोक नहीं सकती। पश्चिम सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी प्रखंड के छोटे से गांव छोटा जाम्बनी की बेटी बसंती हेम्ब्रम ने यह साबित किया है। एक साधारण परिवार की यह एथलीट अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए चौथी साउथ एशियन फेडरेशन (सैफ) सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में उतर रही है।

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    सैफ खेलों में झारखंड से एक मात्र बसंती का ही चयन हुआ है। यह प्रतियोगिता शुक्रवार से शुरू हो चुकी है। हाल ही में रांची में आयोजित ओपन नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के बाद बसंती का चयन भारतीय दल में हुआ। इससे पहले वह चीन में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भाग ले चुकी हैं, जहां दसवां स्थान हासिल किया।

    इसी दौरान उनकी मां का निधन हो गया। दुख की इस घड़ी में भी उन्होंने कदम नहीं रोके। उन्होंने कहा कि मां के सपनों को पूरा करने के लिए दौड़ जारी रखी। सैफ चैंपियनशिप में भारत सहित छह देशों के 205 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव जैसे देशों के एथलीट भी मैदान में उतरेंगे। पांचवीं में शुरू हुई दौड़, शिक्षक ने दिया था मौका

    22 वर्षीय बसंती बताती हैं कि टाटा स्टील कालोनी स्कूल, नोवामुंडी में पढ़ते समय पांचवीं कक्षा में पहली बार उन्हें दौड़ने का मौका मिला और वहीं से सफर शुरू हुआ। जिला स्तर पर पहला स्वर्ण, फिर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीतकर बसंती ने अपनी पहचान पक्की की। वर्तमान में उनके पास 35 से अधिक पदक हैं, जिनमें करीब 15 स्वर्ण पदक शामिल हैं।

    परिवार ने रोका, फिर भी नहीं मानी हार

    बसंती कहती हैं, सबसे बड़ी चुनौती परिवार का विरोध था। लड़की होने की वजह से मां-पिता और बहन बाहर भेजने से डरते थे। वे कहते थे कि पढ़ाई छोड़कर दौड़ने से भविष्य नहीं बनेगा। फिर भी बसंती ने हिम्मत नहीं हारी। लगातार मेहनत और प्रदर्शन से उन्होंने सबको अपने सपने पर भरोसा करने को मजबूर कर दिया।

    बसंती की प्रमुख उपलब्धियां

    • खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023, लखनऊ
    • 10,000 मीटर स्वर्ण, 5,000 मीटर रजत
    • अंडर-23 नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023, चंडीगढ़
    • 10,000 मीटर रजत, 5,000 मीटर कांस्य
    • ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप 2024, मंगलूर
    • 10,000 मीटर रजत
    • 32वीं ईस्ट जोन जूनियर एथलेटिक्स, गुवाहाटी
    • स्वर्ण पदक