प्रधान शिक्षक कमलेश्वर ने स्कूल की बदल डाली तस्वीर
शिक्षक को सृजन का जनक यूं ही नहीं कहा जाता। अगर शिक्षक हृदय से ठ
वाचस्पति मिश्र, सिमडेगा : शिक्षक को सृजन का जनक यूं ही नहीं कहा जाता। अगर शिक्षक हृदय से ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं। इसी बात को चरितार्थ करते हैं सिमडेगा जिले के केरसई प्रखंड अंतर्गत राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय बासेन के प्रधानाध्यापक कमलेश्वर मांझी। उनकी कड़ी मेहनत और लगन से विद्यालय आज जिले में अव्वल श्रेणी में दर्ज हो गया है। उन्हीं के मार्गदर्शन के बदौलत विद्यालय का प्रदर्शन भी हर क्षेत्र में लगातार अच्छा रहा है। विद्यालय को इसी वर्ष स्वच्छता में पूरे जिले में 98 अंकों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यहां ग्राम शिक्षा समिति को राज्य स्तर पर उत्कृष्ट पुरस्कार शिक्षा विभाग द्वारा मिल चुका है। सातवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था-2 पेज नंबर 4 में भी विद्यालय की फोटो को जगह दी गई है जो जिले के लिए गौरव की बात है। विद्यालय में ड्रॉपआउट विगत कई सालों से शून्य के बराबर है। विद्यालय को उनके प्रदर्शन और संसाधन उपलब्धि के आधार पर 5 स्टार श्रेणी मिला है व इसे मॉडल स्कूल के तर्ज पर भी विकसित करने का काम किया जा रहा है। विद्यालय में बागवानी, तरह-तरह की शैक्षणिक पेंटिग,और कतार में खड़े अशोक पेड़ विद्यालय की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। विद्यालय का अपना खुद का किचन गार्डन है जो प्रधानाध्यापक कमलेश्वर मांझी के कारण ही संभव हो पाया है। किचन गार्डन में तरह-तरह की हरी सब्जियां अपने खाने के लिए बच्चों द्वारा स्वयं शिक्षक अशोक मांझी, राधा बड़ाइक, सुषमा सोरेंग आदि की अगुवाई में उगाई जाती है। पढ़ाई और खेल में भी विद्यालय का प्रदर्शन पूरे जिले में अलग पहचान है। राष्ट्रीय मेधा छात्रवृत्ति, राज्य मेधा छात्रवृत्ति, निर्धनता सह मेधा छात्रवृत्ति सहित नवोदय विद्यालय परीक्षा में प्रत्येक वर्ष बच्चे यहां से चयनित होते हैं। राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में उमेश मेहर को उत्कृष्ट पुरस्कार मिल चुका है। विगत वर्ष सत्र 2019 - 20 के लिए विद्यालय से सबिता कुमारी,शिल्पा टेटे,मनिता कुमारी(बिरहोर आदिम जनजाति से) जुलेता कुमारी, सत्र 2020 -21 के लिए योगेन्द्र साय,महेश मेहर, पिकेंद्र मांझी, शशिकांत मांझी, राजू धुर्वा का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश हेतु हुआ, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।खेल क्षेत्र के लिए यहां के विद्यार्थी पिकी कुमारी, अमृता मिज, अल्बर्ट एक्का, सविता कुमारी, शकुंतला कुमारी सहित अनेकों का चयन आवासीय सेंटरों में हुआ है। इस लॉकडाउन के दौरान भी बच्चों की पढ़ाई में बाधा ना हो कहकर उनके दिशा निर्देश में शिक्षकों की टीम बनाई गई है जो गांव के ही स्मार्टफोन धारी अभिभावकों को मार्गदर्शन कर ऑनलाइन पढ़ने में सहयोग करते हैं। यही नहीं प्रधानाध्यापक कमलेश्वर मांझी अपने सिमडेगा में स्थित आवास को भी लॉज के रूप में परिवर्तित कर दिए हैं। सामाजिक पहल के तहत उन्होंने एक छात्रावास का भी निर्माण कराया है।जहां सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छोटे-छोटे बच्चों,लड़कियों को नि:शुल्क आवास उपलब्ध कराकर पठन-पाठन में सहयोग करते हैं। यहां लगभग 80 छोटे- छोटे बच्चे और लड़कियां रहती हैं। यहां के विद्यार्थियों में परमानंद मांझी सिलंबम में कांस्य पदक विजेता राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके हैं। इसके अलावा मंजुला बेसरा, टिकेश्वर बेसरा, बबीता कुमारी, राजेश मांझी,आकाश साय, शिवानी कुमारी,चंद्रमुनी कुमारी,निर्मला नायक, रितु कुमारी,श्रवण मांझी आदि अनेकों राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय खिलाड़ी यहां से निकलें हैं।इधर प्रधानाध्यापक कमनलेश्वर मांझी ने बताया कि इस उपलब्धि का वे सारा श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। एक अच्छा टीमवर्क और अपने कार्य के प्रति ईमानदारी और लगन हो तो कोई भी कार्य व लक्ष्य असंभव नहीं। सरकार हमें पढ़ाने के लिए वेतन देती है, तो हमारा भी फर्ज बनता है हम अपना कर्तव्य बेहतर तरीके से निभाएं। अगर हर व्यक्ति अपने - अपने जगह पर अपने - अपने तरीके से बेहतर करने का प्रयास करें तो देश की स्थिति विश्व पटल पर बहुत ही अग्रणी हो सकती है।
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