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    ओडिशा-बंगाल से पहुंचे 35 जंगली हाथी, सरायकेला में धान की फसलों को रौंद डाला, किसान सहमे

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 11:04 PM (IST)

    सरायकेला-खरसावां जिले में ओडिशा और बंगाल से आए 30-35 जंगली हाथियों के झुंड ने धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कुकड़ू और खरसावां क्षेत्र में हाथियों के झुंड सक्रिय हैं, जिससे किसान दहशत में हैं। वन विभाग की टीम हाथियों को खदेड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन किसानों को स्थायी समाधान का इंतजार है। ग्रामीण सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

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    सरायकेला में धान के खेत में विचरण करता हाथी।

    जागरण संवाददाता, सरायकेला। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला में जंगली हाथियों का उत्पात जारी है। जिले के खरसावां, कुकड़ू, टडाम, ईचागढ़ और चांडिल क्षेत्र में ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सीमा से आए लगभग 30-35 जंगली हाथियों के झुंड सक्रिय हैं। 
     
    ये हाथी धान की फसलों को चट कर रहे हैं। इससे किसानों को काफी नुुकसान हो रहा है। जानकारी के अनुसार कुकड़ू क्षेत्र में लगभग 16 हाथियों का झुंड एक साथ घूम रहा है, जबकि खरसावां के रामपुर और आसपास के गांवों में 12 हाथियों का एक अन्य झुंड देखा गया है। 
     
    दोनों ही झुंडों में एक-एक शावक शामिल है। इसके अलावा चांडिल क्षेत्र में एक-दो हाथी अलग–अलग भी दिखाई दे रहे हैं। जंगल के किनारे बसे गांवों में हाथियों की लगातार मौजूदगी के कारण किसान भयभीत हैं। 
     
    रात के समय हाथियों द्वारा खेतों में घुसकर फसल रौंदने और खाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। धान की कटाई का समय होने के कारण खेतों में पक चुकी फसलों की सुगंध हाथियों को आकर्षित कर रही है। 
     
    यही वजह है कि हाथी खेतों के बाद गांवों और घरों की ओर बढ़ सकते हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। किसान गणेश महाली का कहना है कि यदि वे कटे हुए धान को घरों में ले जाएंगे तो हाथियों के गांव तक पहुंचने का खतरा और बढ़ जाएगा।
     
    किसान हरे लाल महतो का कहना है कि कई ग्रामीण रात के समय खेतों की रखवाली करने से भी डर रहे हैं। हाथियों को खदेड़ने के लिए वन विभाग ने पश्चिम बंगाल से 16 सदस्यीय कुशल हाथी रक्षक टीम को बुलाया है। 
     
    टीम मंगलवार से कुकड़ू और खरसावां क्षेत्र में अभियान चला रही है। हालांकि झुंड में शामिल कुछ हाथी इतने आक्रामक हैं कि उन्होंने दो-तीन बार टीम के सदस्यों को दौड़ा भी दिया।
     
    फिलहाल ये झुंड कुकड़ू के सोड़ो, तालाब, पिलाई, जारगोडी और खरसावां के जंगलों के आसपास के इलाके में सक्रिय हैं। धान की तैयार फसलों को हाथियों द्वारा बर्बाद किए जाने से किसानों की आर्थिक स्थिति पर भारी असर पड़ा है। 
     
    कई एकड़ में लगी फसल एक ही रात में नष्ट हो चुकी है। कुछ किसानों को तो अपनी मेहनत बचाने का भी मौका नहीं मिला। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर लगातार नुकसान का आकलन कर रही है, लेकिन किसानों का कहना है कि स्थायी समाधान के अभाव में हर साल यह समस्या और बढ़ती जा रही है।

    हाथियों की बढ़ती आवाजाही के कारण ग्रामीण घरों से निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं। लोगों की चिंता है कि यदि हाथी गांवों में घुस आए तो जानमाल को भारी क्षति पहुंचा सकते हैं। 

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    ग्रामीण लगातार वन विभाग से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और हाथियों को सुरक्षित दिशा में खदेड़ने के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील कर रहे हैं। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में नहीं आ सकी है और किसान एवं ग्रामीण हाथियों के खतरे के बीच चिंतित हैं। 



    ओडिशा व बंगाल की सीमा पार कर 30 से 35 हाथी सरायकेला जिले में प्रवेश कर चुके हैं। इन हाथियों को खदेड़ने के लिए बंगाल से 16 सदस्यीय टीम को बुलाया गया है, जो हाथियों को खदेड़ने का काम कर रहे हैं।

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    शशि प्रकाश, रेंजर चांडिल वन विभाग