Saraikela News: तस्करों का तिलिस्म टूटा, ग्रामीणों ने खुद लिखी अपनी नई तकदीर
सरायकेला-खरसावां जिले के ग्रामीणों ने नशे के खिलाफ अनूठी पहल की है। ग्राम सभाओं के माध्यम से अवैध अफीम की खेती को नष्ट किया जा रहा है। पुलिस के सहयोग से अब तक 516 एकड़ भूमि में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया जा चुका है और 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ग्रामीणों के इस प्रयास से तस्करों का तिलिस्म टूट गया है।
गुरदीप राज, सरायकेला। नशे और अपराध के अंधकार में डूबते युवाओं को दिशा दिखाने के लिए झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में ग्रामीणों ने अनूठी पहल की है। जिले के विभिन्न हिस्सों में अवैध रूप से की जा रही अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए ग्राम सभाओं का आयोजन किया जा रहा है।
ग्राम प्रधानों की अगुवाई में ग्रामीणों ने संगठित होकर नशे के इस काले व्यापार को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया है। पुलिस प्रशासन के सहयोग से अब तक 516 एकड़ भूमि में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया जा चुका है, वहीं 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
अफीम की खेती करना गैरकानूनी है, लेकिन क्षेत्र के युवा वर्ग बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो रुपये की चकाचौंध और मुनाफे के लालच चलते इसकी खेती में संलिप्त थे। यह देख रायजामा गांव के ग्राम प्रधान सुखलाल सरदार ने इस विकराल समस्या के समाधान के लिए ग्राम सभा बुलाने का निर्णय लिया।
धीरे-धीरे यह पहल कुचाई, दलभंगा, खरसावां, चौका, ईचागढ़ जैसे क्षेत्रों तक फैल गई। प्रत्येक ग्राम सभा में ग्रामीणों को संगठित कर अफीम की फसल को नष्ट करने की योजना बनाई गई। पुलिस ने भी ग्रामीणों को सहयोग प्रदान किया और ड्रोन कैमरों के माध्यम से अवैध खेती को चिह्नित कर अभियान को गति दी।
चॉकलेट के रैपर में अफीम का खतरा:
अफीम के दुष्परिणामों से बच्चों और युवाओं को जागरूक करने के लिए जिला पुलिस ने एक अनूठी पहल की। प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को विशेष चाकलेट वितरित की गई, जिसके रैपर पर अफीम से होने वाली हानियों, स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों और कानूनी परिणामों की जानकारी दी गई। इस अभिनव प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिला। बच्चे और युवा इसे पढ़कर स्वयं भी जागरूक हो रहे हैं और अपने परिवार के बीच नशे के विरुद्ध चेतना फैला रहे हैं।
तस्करी के जाल को तोड़ने की दिशा में ठोस कार्रवाई
सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई, दलभंगा, खरसावां और ईचागढ़ जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही थी। यह खेती तस्करों के इशारे पर संचालित हो रही थी, जहां युवाओं को रुपये का लालच देकर इस अवैध धंधे में धकेला जा रहा था।
तस्कर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब से यहां पहुंचकर अफीम की फसल खरीदते और निजी वाहनों के माध्यम से इसकी तस्करी करते, परंतु अब ग्रामीणों के संकल्प और पुलिस प्रशासन के सक्रिय सहयोग से इस तस्करी पर बड़ी चोट पहुंचाई गई है। एसडीपीओ समीर संवैया ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से अब तक 516 एकड़ में फैली अफीम की फसल नष्ट की जा चुकी है और 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।
समाज सुधार की ओर ग्रामीणों की अगुवाई:
ग्रामीणों ने यह सिद्ध कर दिया कि संगठित प्रयासों से बड़े से बड़े संकट को समाप्त किया जा सकता है। ग्राम प्रधानों और स्थानीय प्रशासन की प्रतिबद्धता ने नशे के विरुद्ध एक मजबूत आंदोलन को जन्म दिया है। यह आंदोलन सिर्फ अफीम की खेती को नष्ट करने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे जुड़ी सामाजिक बुराइयों को भी मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।
मुंडा मानकी गांव के ग्रामीण व बुद्धिजीवियों द्वारा निर्णय लिया गया है कि अफीम की खेती न करेंगे और न ही करने देंगे। जिसके लिए गांव में ग्राम सभा बुलाकर ग्रामीणों व पुलिस के सहयोग से अफीम की फसलो को नष्ट किया जा रहा है। - मंगल सिंह मुंडा, मुखिया, घुमयाडीह पंचायत
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