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    डिजिटल लत का डरावना सच: सरायकेला में 1000 से ज्यादा बच्चों की आंखें खराब, वजह स्मार्टफोन

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 05:58 PM (IST)

    सरायकेला-खरसावां जिले में 55 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चों की आंखों की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से 1000 से ज्यादा बच्चों की आंखों में सूखापन और कमजोरी पाई गई जिनमें से 640 को चश्मा लगाना जरूरी हो गया है। यह जांच 808 प्रशिक्षित शिक्षकों और छह नेत्र सहायकों द्वारा की गई। जानें अभिभावक को क्या करना चाहिए।

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    मोबाइल का स्क्रीन बच्चों के लिए बना घातक।

    जागरण संवाददाता, सरायकेला। आज के दौर में स्मार्टफोन हर किसी की जरूरत बन गया है, लेकिन इसका सबसे बुरा असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। लगातार घंटों तक मोबाइल स्क्रीन पर चिपके रहने की आदत अब बच्चों की आंखों के लिए खतरनाक साबित हो रही है।

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    सरायकेला-खरसावां जिले में हुए एक बड़े सर्वे ने इस खतरे को उजागर किया है। जिले के लगभग 1,000 से ज्यादा छात्रों की आंखों में सूखापन, जलन, दर्द और नजर कमजोर होने जैसी समस्याएं मिली हैं।

    यह चौंकाने वाला आंकड़ा तब सामने आया जब जिला अंधापन नियंत्रण समिति ने 808 प्रशिक्षित शिक्षकों और छह नेत्र सहायकों की मदद से 55,256 स्कूली छात्रों की आंखों की जांच की। इस जांच में पाया गया कि स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की आंखों में दिक्कतें आ रही हैं।

    खतरनाक है मोबाइल से निकलने वाला विकिरण

    सदर अस्पताल के नेत्र चिकित्सक डॉ. पी एम बारा ने बताया कि मोबाइल से निकलने वाली हानिकारक विकिरण बच्चों की आंखों को सीधे नुकसान पहुंचाती है। लगातार एकटक स्क्रीन पर देखने से आंखों का ब्लिंकिंग रेट सामान्य 15-16 से घटकर 6-7 तक पहुंच जाता है। इससे आंखों में सूखापन (ड्राईनेस) आता है, जिससे जलन, खुजली और धुंधलापन होने लगता है। डॉ. बारा ने यह भी बताया कि आजकल बच्चों में आंखों का नंबर तेजी से बढ़ रहा है। खासकर रात में फोन का इस्तेमाल करने से रेटिना पर सीधा असर पड़ता है, जिससे देखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है।

    मुफ्त चश्मा और दवा से इलाज

    जांच अभियान में जिन छात्रों की आंखों में समस्या पाई गई, उन्हें सदर अस्पताल के नेत्र चिकित्सकों द्वारा देखा गया। जांच के बाद 640 बच्चों को चश्मा लगाना अनिवार्य पाया गया, जबकि 350 से अधिक छात्रों को दवा देकर उनकी आंखों की समस्या का इलाज किया जा रहा है।

    जिला अंधापन नियंत्रण समिति के लेखा प्रबंधक घनपत महतो ने जानकारी दी कि जिन 640 बच्चों की नजर कमजोर मिली है, उन्हें समिति की ओर से मुफ्त में चश्मा दिया जाएगा। इससे उनकी पढ़ाई और दिनचर्या में आने वाली दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलेगी।

    यह रिपोर्ट बताती है कि बच्चों को स्मार्टफोन की लत से बचाने और उनकी आंखों की देखभाल के लिए तुरंत कदम उठाना कितना जरूरी है। अभिभावकों को बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल पर नजर रखनी चाहिए।

    बच्चों को मोबाइल से कैसे बचाएं?

    1. स्क्रीन टाइम सीमित करें: बच्चों के लिए एक निश्चित समय तय करें कि वे कब और कितनी देर तक मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    2. 20-20-20 नियम अपनाएं: हर 20 मिनट के बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखें। इससे आंखों को आराम मिलता है।
    3. आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें: बच्चों को घर के बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। प्राकृतिक रोशनी आंखों के लिए फायदेमंद होती है।
    4. सही दूरी बनाए रखें: सुनिश्चित करें कि बच्चे मोबाइल को आंखों से कम से कम 16 इंच (करीब 40 सेमी) की दूरी पर रखकर देखें।
    5. पौष्टिक आहार: बच्चों की डाइट में विटामिन ए से भरपूर चीजें जैसे गाजर, पालक, शकरकंद और अंडे शामिल करें, जो आंखों की सेहत के लिए जरूरी हैं।

    आंखों की सेहत के लिए जरूरी बातें

    • ब्लिंकिंग (पलक झपकाना) न भूलें: लगातार स्क्रीन देखने से ब्लिंकिंग रेट कम हो जाता है। आंखों को नम रखने के लिए जानबूझकर पलकें झपकाते रहें।
    • एंटी-ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल करें: मोबाइल या लैपटॉप पर एंटी-ग्लेयर स्क्रीन लगवाएं या ब्लू लाइट फिल्टर मोड ऑन रखें।
    • सही रोशनी में काम करें: कमरे में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। कम या बहुत ज्यादा रोशनी में स्क्रीन देखने से आंखों पर दबाव पड़ता है।
    • नियमित जांच: बच्चों की आंखों की नियमित जांच कराएं, खासकर अगर वे आंखों में दर्द या धुंधलापन महसूस करते हैं।

    ड्राई आई सिंड्रोम क्या है?

    ड्राई आई सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखें पर्याप्त नमी नहीं बना पातीं। यह तब होता है जब आंसू की गुणवत्ता खराब हो जाती है या उनका उत्पादन कम हो जाता है। मोबाइल स्क्रीन पर लगातार देखने से ब्लिंकिंग रेट कम हो जाता है, जिससे आंखों की सतह सूखने लगती है। इसके कारण आंखों में जलन, खुजली, लालपन और दर्द महसूस होता है। लंबे समय तक अनदेखा करने पर यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

    मोबाइल व लैपटाप में अधिक समय तक काम करने के कारण आंखों में सूखापन, जलन के साथ बच्चों के चश्मे का नंबर भी बढ़ रहे हैं। वर्तमान में आंखों की समस्याओं के मरीजोें की संख्या तेजी से बढ़ रही है। छात्रों की जब जांच कराई तो एक बड़ा आंकड़ा आंखों की समस्या को लेकर सामने आने लगा है।

    डॉ. पी एम बारा, नेत्र चिकित्सक सदर अस्पताल

    जिले में 55,256 हजार छात्रों के आंखों की जांच की गई। जिसमें 640 बच्चों की आंखे कमजोर मिली। जिन्हें समिति की ओर से चश्मा दिया जाएगा। वहीं 350 से अधिक बच्चों की आंखों की समस्या को दवा देकर ठीक किया जा रहा है।

    घनपत महतो, लेखा प्रबंधक जिला अंधापन नियंत्रण समिति