अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों की बहाली में मानकों के उल्लंघन का लगाया आरोप
नियमों को ताक पर रखकर हो रही है अल्पसंख्यक स्कूलों में नियुक्ति कुणाल दास
अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षकों की बहाली में मानकों के उल्लंघन का लगाया आरोप
जागरण संवाददाता, सरायकेला: सूबे के कई अल्पसंख्यक स्कूलों में एनसीटीई और एनइपी के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए शिक्षकों की बहाली की जा रही है। इसके लिए नये मानकों के तहत लागू टेट परीक्षा की बाध्यता को शिथिल कर दिया गया है। उक्त बातें जेटेट पास पारा शिक्षक संघ झारखण्ड प्रदेश के राज्य मीडिया प्रभारी कुणाल दास ने एक प्रेसवार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में एनसीटीई और एनइपी के नियमों के अनुसार सरकारी, अल्पसंख्यक या निजी सभी तरह के स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति की न्यूनतम अहर्ता टेट पास कर दिया गया है। सरकार भी लगातार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करती रही है किन्तु जिस प्रकार से राज्य के सभी जिलों के अल्पसंख्यक स्कूलों में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 9300-34800 स्केल पर 4200-4600 ग्रेड पे के भारी-भरकम वेतनमान के साथ बगैर टेट पास किए प्रशिक्षित शिक्षकों को सरकारी पद पर बहाल किया जा रहा है। यह निश्चित रूप से नौनिहालों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्यों से खिलवाड़ है। ऐसा प्रतीत होता है कि हेमंत सरकार महज़ वोट बैंक के लिए कुछ विशेष समुदायों का तुष्टिकरण करते हुए लाभ पहुंचाने को प्रतिबद्ध है। टेट पास पारा शिक्षक संघ अपने संगठन के नेतृत्व के साथ ही झारखण्डी मूलवासियों के अधिकारों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्य में इस तरह का दोहरा मापदंड कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। सरकार यह स्पष्ट करे कि एक ही राज्य में किन परिस्थितियों में दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। दास ने कहा कि हेमंत सरकार तत्काल प्रभाव से अल्पसंख्यक स्कूलों में चल रही उपरवर्णित बहाली पर रोक लगाए अन्यथा संघ गैर पारा टेट पास अभ्यर्थियों के साथ मिलकर राज्यव्यापी संयुक्त रुप से आंदोलन छेड़ेगा।