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    Saraikela सदर अस्पातल में फारेंसिक के डाक्टर नहीं, पैथोलाजिस्ट करते हैं पोस्टमार्टम

    By Sanam SinghEdited By:
    Updated: Sun, 26 Jun 2022 07:02 PM (IST)

    Saraikela News अगर काफी दिनों का सड़ा गला शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंच जाता है तो उस शव का पोस्टमार्टम करने में ओपीडी के डाक्टरों को परेशानी होने लगती है जिसके कारण उक्त शव को एमजीएम मेडिकल कालेज स्थित पोस्टमार्टम हाउस भेजना पड़ता है।

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    Saraikela News :पोस्टमार्टम कराने के लिए स्वजन व पुलिस को करना पड़ता है डाक्टर का घंटों इंतजार।

    गुरदीप राज, सरायकेला : जब पुलिस किसी की मौत की गुत्थी नहीं सुलझा पाती है तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही उस मौत की गुत्थी को सुलझाने में सहायक होती है। इसी रिपोर्ट के आधार पर मौत के सही कारणों को न्यायालय में पेश किया जाता है। ऐसे में अगर फारेंसिक विभाग के स्पेशलिस्ट डाक्टरों द्वारा शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा तो पुलिस को मौत की गुत्थी सुलझाने में आसानी होगी। सरायकेला खरसावां जिले के नौ प्रखंडों का एक मात्र पोस्टमार्टम हाउस सरायकेला सदर अस्पताल परिसर में स्थित है। जहां शव का पोस्टमार्टम फारेंसिक विभाग के डाक्टर नहीं, बल्कि पैथोलाजिस्ट डा. बरियाल मरांडी, मेडिकल अफसर डा. बीके प्रसाद , मेडिकल अफसर डा. ओपी केशरी , चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा. यू रजक, एसीएमओ डा. डी के सिन्हा, सर्जन डा. के हेम्ब्रम , मेडिकल अफसर डा. अनिर्बन द्वारा किया जाता है। अगर काफी दिनों का सड़ा गला शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंच जाता है तो उस शव का पोस्टमार्टम करने में ओपीडी के डाक्टरों को परेशानी होने लगती है जिसके कारण उक्त शव को एमजीएम मेडिकल कालेज स्थित पोस्टमार्टम हाउस भेजना पड़ता है।

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    ओपीडी सेवा के साथ यह डाक्टर करते हैं पोस्टमार्टम

    सरायकेला सदर अस्पताल में प्रतिदिन 200 से 300 मरीज ओपीडी में आते हैं। जबकि 50 से 60 मरीज अस्पताल में भर्ती रहते हैं। ऐसे में अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में जो डाक्टर पोस्टमार्टम करते हैं वही डाक्टर इन मरीजों की ओपोडी व इनडोर सेवा देते हैं। ऐसे में इन डाक्टरों का आधा ध्यान ओपोडी में तो आधा ध्यान पोस्टमार्टम में रहता है। ऐसे में यह डाक्टर न ठीक से ओपीडी सेवा दे पा रहे हैं और न ही पोस्टमार्टम की बारीकियों पर ही ध्यान लगा पा रहे हैं।

    घंटों करना पड़ता है पोस्टमार्टम के लिए डाक्टर का इंतजार

    पोस्टमार्टम हाउस में दूर दराज के ग्रामीण शव लेकर भूखे प्यासे पहुंचते हैं। शव अगर सुबह सात बजे भी पहुंच जाता है तो डाक्टर ओपीडी सेवा निपटा कर ही पोस्टमार्टम हाउस शव का पोस्टमार्टम करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में शव को अपने गांव तक ले जाने में स्वजनों को अंधेरा हो जाता है। राजनगर से मां बेटी का शव सुबह 7.30 बजे ही पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गया था लेकिन डाक्टर करीब एक बजे दोपहर पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे थे।

    इन डाक्टरों का पद है सरायकेला सदर अस्पताल में रिक्त

    डाक्टर रिक्त

    आर्थोपेडिक्स 1

    जेनरल सर्जन 1

    एनेस्थिसियोलाजिस्ट 1

    साइकेट्रिस्ट 1

    फारेंसिक 1

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    स्पेशलिस्ट डाक्टरों के अभाव में ओपीडी सेवा देने वाले डाक्टरों से पोस्टमार्टम भी कराया जा रहा है। पोस्टमार्टम नहीं कराने से पेडिंग मामलों की संख्या बढ़ सकती है। हंगामा होने का भी खतरा रहता है।

    डा. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल, सरायकेला