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    Jharkhand: तबरेज अंसारी लिंचिंग मामले में हाईकोर्ट जाएगा दोषियों का परिवार, गमगीन हुआ गांव का माहौल

    By Jagran NewsEdited By: Yashodhan Sharma
    Updated: Thu, 06 Jul 2023 12:06 AM (IST)

    सरायकेला-खरसावां जिले के बहुचर्चित तबरेज हत्याकांड 18 जून 2019 में धातकीडीह गांव में हुआ था। इस वारदात के करीब चार वर्ष बीत जाने के बाद भी बुधवार को एडीजे वन अमित शेखर की अदालत दस आरोपितों को दस वर्ष की सजा सुनाई। जैसे ही दस वर्ष की सजा हुई कमल मंडल की पत्नी लाती देवी का चेहरा उदास हो गया।

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    तबरेज अंसारी लिंचिंग मामले में हाईकोर्ट जाएगा दोषियों का परिवार, गमगीन हुआ गांव का माहौल

    जागरण संवाददाता, सरायकेला: झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के बहुचर्चित तबरेज हत्याकांड 18 जून 2019 में धातकीडीह गांव में हुआ था।

    इस वारदात के करीब चार वर्ष बीत जाने के बाद भी बुधवार को एडीजे वन अमित शेखर की अदालत दस आरोपितों को दस वर्ष की सजा सुनाई।

    जैसे ही दस वर्ष की सजा हुई, कमल मंडल की पत्नी लाती देवी का चेहरा उदास हो गया। उन्हें कोर्ट पर पूरा विश्वास था कि कोर्ट उनके पति पर रहम करेगा और उन्हें बरी कर देंगे, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने अधिवक्ता एससी हाजरा को कहने लगी कि किसी तरह से उनके पति को मामले से बरी करा दीजिए। अधिवक्ता ने भी उन्हें आश्वासन दिया कि हाइकोर्ट से मामले में सभी आरोपितों को बरी करा कर वे दम लेंगे।

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    सौ से ज्यादा ग्रामीण पहुंचे थे कोर्ट

    धतकीडीह गांव के सौ से ज्यादा ग्रामीण कोर्ट पहुंचे थे। कुछ लोग कोर्ट के बाहर खड़े थे तो कुछ लोग कोर्ट परिसर में खड़े थे। कुछ लोग कोर्ट रुम के अन्दर व कुछ कोर्ट रुम के बाहर बैठे थे। जैसे ही वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से आरोपितों को जेल से कोर्ट के समक्ष पेश किया गया।

    कोर्ट के बाहर खड़े रिश्तेदारों की आंखे नम हो गईं। इधर गांव से आए लोगों के फोन घनघनाले लगे। गांव के दूसरे लोग यह जानना चाह रहे थे कि आखिर कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया। जब कोर्ट के फैसले से गांव वाले अवगत हुए तो फोन की घंटिया बजनी बंद हुई।

    बुधवार को पूरा गांव में सन्नाटा पसरा था। ज्यादातर गांव के युवक कोर्ट परिसर पहुंचे हुए थे। वहीं महिलाएं एक दूसरे के घर में बैठकर फैसले का इंतजार कर रही थीं।

    जैसे ही कोर्ट का फैसला आया। महिलाएं व गांव के अन्य लोगों के चेहरे पर मायूसी झा गई। लेकिन एक दूसरे को यही कह रहे थे कि कोई बात नहीं हाई कोर्ट में अपील पर जाएंगे।

    रेलकर्मी पिता को हुई सजा बेटा रिहा

    धतकीडीह गांव निवासी रेलकर्मी कमल महतो इंजीनियिरंग विभाग में कार्य करते हैं। वे और उनका पुत्र सुमन महतो जमानत पर थे। कोर्ट ने सुमन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया और पिता कमल मंडल को दोषी करार दिया।

    कमल महतो की पत्नी लाती देवी ने बताया कि उनके पति रेलकर्मचारी है। वे जमानत पर थे। उनलोगों ने सोचा भी नहीं था कि कोर्ट सजा सुनाएगी। बेटे को तो कोर्ट ने बरी कर दिया।

    मैं अपने बेटे को बचाने के लिए हाईकोर्ट तक जाउंगा

    सुनामो प्रधान के पिता अनिल प्रधान ने बताया कि मेरा बेटा बहुत सीधा था। वह ट्रैक्टर व पिकअप वैन का काम करता था।

    18 जून 2019 की वह काली रात क्यों आई, जब वह घटना घटी। वह रेलकर्मी हैं और घटना से कुछ ही माह पहले सेवानिवृत हुए थे।

    अपने बच्चों को उनके पांव पर खड़े करने के लिए उन्होंने ट्रैक्टर खरीद कर दिए। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। अपने बेटे को बचाने के लिए वह हाइकोर्ट तक जाएंगे।