Champai soren का एलान: पूरे संताल परगना में चलाया जाएगा चिरगल सागाड़, घुसपैठियों से आदिवासियों की जमीन कराई जाएगी मुक्त
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने साहिबगंज में अपने कार्यक्रम को रद्द करने पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें कार्यक्रम में शामिल होन ...और पढ़ें

रविवार को प्रेसवार्ता में जानकारी देते पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन।
जागरण संवाद सूत्र, राजनगर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सरायकेला के विधायक चंपाई सोरेन ने रविवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में झारखंड सरकार और जिला प्रशासन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में प्रस्तावित अपने कार्यक्रम को प्रशासनिक अड़चनों के कारण रद करने की घोषणा की और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया।
चंपाई सोरेन ने आरोप लगाया कि उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने से रोकने के लिए जिला प्रशासन ने जानबूझकर साजिश रची। चंपाई सोरेन ने बताया कि हर वर्ष 22 दिसंबर को संताल परगना स्थापना दिवस के अवसर पर वीर शहीद सिदो-कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह में उनके वंशज मंडल मुर्मू की संस्था द्वारा फुटबॉल प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
बीते वर्षों में इस आयोजन को लेकर प्रशासन को कभी कोई आपत्ति नहीं रही, लेकिन इस बार उन्हें मुख्य अतिथि बनाए जाने के बाद प्रशासन का रवैया अचानक बदल गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम की अनुमति को जानबूझकर करीब दो सप्ताह तक लटकाए रखा गया और अंततः कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले दर्जनों शर्तों के साथ अनुमति दी गई।
इन शर्तों में कार्यक्रम स्थल पर भारी संख्या में मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती, 30 वॉलंटियरों की आधार कार्ड सहित सूची थाने में जमा करने, गेट निर्माण पर रोक लगाने और कानून-व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी आयोजकों पर डालने जैसी बातें शामिल थीं।
चंपाई सोरेन ने कहा कि ऐसी शर्तों का पालन किसी भी आयोजक के लिए संभव नहीं था। पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि वे झारखंड के अन्य जिलों और राज्य से बाहर भी कई कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं, लेकिन कहीं इस तरह की बाधाएं नहीं आईं।
ऐसे में केवल साहिबगंज में ही उन्हें कार्यक्रम करने से क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने इसे अघोषित प्रतिबंध करार देते हुए कहा कि यदि सरकार को उनसे डर है, तो उसे इसकी आधिकारिक घोषणा करनी चाहिए।
चंपाई सोरेन ने यह भी आरोप लगाया कि अनुमति प्रक्रिया को शनिवार शाम तक जानबूझकर लटकाया गया, ताकि आयोजक उच्च न्यायालय का रुख न कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक दबाव और संभावित कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए अंततः उन्हें अपना कार्यक्रम रद करना पड़ा।
इसके बावजूद आयोजकों को शांति भंग की आशंका को लेकर नोटिस भेजा गया, जो प्रशासन की मंशा को दर्शाता है। नगड़ी आंदोलन का उल्लेख करते हुए चंपाई सोरेन ने कहा कि इससे पहले भी सरकार ने ताकत दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन जनता की एकजुटता के आगे उसे पीछे हटना पड़ा।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि सरकार दमन की भाषा समझती है, तो आदिवासी समाज भी उसी भाषा में जवाब देना जानता है। चंपाई सोरेन ने ऐलान किया कि आगामी 30 जून को हूल दिवस के अवसर पर झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा से लाखों आदिवासी चिरगल सागाड़ (जागरूकता रथ) के साथ भोगनाडीह पहुंचेंगे।
उन्होंने सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि यदि सरकार में दम है, तो इस जनसैलाब को रोककर दिखाए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आदिवासी बहू-बेटियों की जमीन पर घुसपैठियों द्वारा किए गए कब्जे को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसी जमीनों को हर हाल में वापस दिलाया जाएगा।

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