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    Champai Soren: 'जो आदिवासी धर्म बदलेगा उसे...', पुराने फॉर्म में लौटे चंपई सोरेन; सरकार के खिलाफ भरी हुंकार

    Updated: Sat, 12 Apr 2025 08:54 AM (IST)

    आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा के तत्वावधान में शुक्रवार को राजनगर फुटबॉल मैदान में वीर शहीद सिदो कान्हू की जन्म जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व सीएम व विधायक चंपई सोरेनएवं आदिवासी समाज के विभिन्न पीड़ के माझी परगना देश पारगना शामिल थे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चंपई सोरेन कहा कि आदिवासी समाज पर खतरा मंडरा रहा है। हमें खुद को बचाने की जरूरत है।

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    चंपई सोरेन ने हेमंत सरकार के खिलाफ भरी हुंकार (जागरण)

    संवाद सूत्र, राजनगर (सराईकेला)। आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा के तत्वावधान में शुक्रवार को राजनगर फुटबॉल मैदान में वीर शहीद सिदो कान्हू की जन्म जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व सीएम व विधायक चंपई सोरेनएवं आदिवासी समाज के विभिन्न पीड़ के माझी परगना, देश पारगना शामिल थे।

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    कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चंपई सोरेन कहा कि आदिवासी समाज की अस्तित्व को बचाने व झारखंड आंदोलन की लड़ाई में इतना व्यस्त रहा कि कब मेरे बच्चे बड़े होते गए मुझे पता ही नहीं चला। आज आदिवासी समाज पर अस्तित्व व पहचान का खतरा मंडरा रहा है।

    चंपई सोरेन ने आदिवासियों के इसाई धर्म में जाने को लेकर उठाई आवाज

    चंपई सोरेन ने कहा कि सिदो कान्हू ने आदिवासी समाज को बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत एवं महाजनों से लड़ाई लड़ी थी। जिससे एसपीटी एक्ट बना और आदिवासियों की जल जंगल जमीन की रक्षा हो सकी।

    आज उसी संताल परगना में आदिवासियों का इसाई धर्म में परिवर्तन होने एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी समाज की बहु बेटियों से शादी कर लेने के कारण आदिवासी समाज का अस्तित्व व पहचान खत्म हो गया है।

    पूरे गांव के गांव ईसाई धर्म में मतांतरण लिए हैं। जिससे हमारी परम्परिक रूढ़िवादी माझी परगना व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।

    आज वहां आदिवासी संथाल समाज अल्पसंख्यक हो गए हैं। कौन ईसाई है, कौन सरना धर्मवलंबी है। यह चिंता का विषय है। चम्पाई ने मतांतरण खिलाफ आदिवासी समाज को आगाह करते हुए कहा कि यदि आज नहीं जागे तो एक दिन आदिवासियों का अस्तित्व पूरी तरह से मिट जायेगा।

    उन्होंने कोल्हान एवं संताल परगना में आदिवासियों की अस्तित्व की लड़ाई लड़ने की बात कही। इस लड़ाई में उन्होंने साथ देने की अपील की। 

    धर्म बदलने वालों को आदिवासी आरक्षण का लाभ नहीं मिले

    चंपई सोरेन ने राजनगर की धरती से मतांतरण के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकते हुए कहा कि अब आदिवासी आरक्षण का दोहरी लाभ किसी भी कीमत पर नहीं लेने दिया जायेगा। उन्होंने कहा आदिवासी समाज से दूसरे धर्म अपनाने के बाद भी हमारी आरक्षण पर डाका डाला जा रहा है।

    जागो आदिवासी जागो नहीं तो हमलोग एक दिन न मुखिया, न विधायक और न ही सांसद बन पाएंगे। वहीं चंपाई ने हेमंत सरकार को मतांतरण एवं बांग्लादेशी घुसपैठ पर गूंगा व बहरा कहकर लतेड़ते हुए आदिवासी विरोधी बताया। वहीं इससे पूर्व चम्पाई ने गमदेसाई जाहेरथान में मत्था टेका।

    इसके बाद वीर सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम में बोरो पीढ़ परगना नन्दलाल टुडू, हल्दी पोखर तोरोप पारगना सुशील हांसदा, जुगसालाई तोरोप पारगना दासमत हांसदा, कुचूंग दिशोम देश परगना पिथो मार्डी, चंपाई पुत्र सिमल सोरेन, बबलू सोरेन, जिप अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, उपाध्यक्ष मधुश्री महतो, जिप सदस्य मालती देवगम, मुखिया राजो टुडू, विष्णु मुर्मू, जयराम मुर्मू, सुराय मुर्मू, सागेन टुडू, मार्शल पूर्ति, डोबरो देवगम सहित हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के महिला पुरुष शामिल थे।