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    सरायकेला-खरसावां जिले का स्थापना दिवस आज

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Apr 2012 12:31 AM (IST)

    सरायकेला, जागरण कार्यालय : पश्चिम सिंहभूम से अलग होकर सरायकेला-खरसावां जिले का स्थापना वर्ष 2011 में 30 अप्रैल को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने किया था। उस समय समाहरणालय भवन का निर्माण नहीं हुआ था अनुमंडल कार्यालय को ही समाहरणालय में तब्दील कर दिया गया था।

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    सरायकेला-खरसावां जिले को अलग अस्तित्व में आए 11 वर्ष हो गए। इस दरम्यान कई क्षेत्र में जिले का विकास भी हुआ तो कई क्षेत्र में अब भी काफी पिछड़ा हुआ है। यह एक विडंबना ही है कि इस जिले का तीन सांसद व तीन विधायक प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बावजूद जिले का कई क्षेत्र में विकसित नहीं होने की बात लोगों की गले नहीं उतर रही है। सांसद सह लोक सभा उपाध्यक्ष कडि़या मुंडा, केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय व पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा सहित मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन व ईचागढ़ विधायक अरविंद कुमार सिंह क्षेत्रवार जिले को प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी जिले के प्रतिनिधि अर्जुन मुंडा को सबसे अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। इसके बावजूद अनेक असुविधाएं अब भी जिला वासियों को मुंह चिढ़ा रहा है।

    मौजूदा समस्याएं : जिला प्रशासन में आधे से अधिक पदाधिकारी प्रभार पर चल रहे हैं। सदर अस्पताल का भवन बना, लेकिन अभी तक संसाधन व मैन पावर अनुमंडलीय स्तर का है। जिले में महिलाओं को उच्च शिक्षा के लिए महिला कॉलेज की कमी, जिला मुख्यालय में सराय या आवश्यकता विशेष पर मुसाफिरों के ठहरने के स्थान की कमी, जिले के दर्जनों ऐतिहासिक स्थलों को घोषणा के बाद भी पर्यटन स्थल की तर्ज पर विकसित नहीं किया जाना।

    कई मामलों में जिले में विकास की गति कछुए की चाल से हो रही है जिससे लोगों में कुछ आस भी बंधी है। जैसे सरायकेला-कांड्रा मुख्य मार्ग का लंबे अंतराल के बाद फोर लेन निर्माण, किसानों के लिए लंबित सुरू व स्वर्णरेखा परियोजनाओं को प्रारंभ करने की सरकारी पहल, सरकारी धान क्रय केंद्रों की स्थापना, नियोजनालय के माध्यम से बेरोजगारों को नियोजित करने की पहल, कला व खेल के विकास सहित कलाकारों व खिलाडि़यों को संरक्षित करने का सरकारी प्रयास, तसर परियोजना के माध्यम से वन क्षेत्र के तसर कीट पालकों को रोजगार से जोड़ने तथा उम्दा किस्म के तसर वस्त्र तैयार करने में सरकारी सहायता जैसे कई उत्साहजनक पहल भी हुए हैं।

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