मकर पर्व में बनाए जाते हैं 13 प्रकार के पीठा
मकर पर्व में सरायकेला-खरसावां जिले में पीठा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस पर्व में 13 प्रकार के पीठा बनाए जाने की परंपरा है। परंतु आधुनिकता के बीच 13 प्रकार के पीठा यादों में ही सिमट कर रह गए हैं।

जागरण संवाददाता, सरायकेला : मकर पर्व में सरायकेला-खरसावां जिले में पीठा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस पर्व में 13 प्रकार के पीठा बनाए जाने की परंपरा है। परंतु आधुनिकता के बीच 13 प्रकार के पीठा यादों में ही सिमट कर रह गए हैं। गांव के बुजुर्गो के अनुसार, 13 प्रकार के पीठा में गुड़ पीठा का सबसे अधिक महत्व है। प्रत्येक घर में मेहमानों, मित्रों व स्वजनों के घर तक पहुंचाने के लिए गुड़ पीठा बनाया जाता है। इसके अलावा खपरा पीठा, मांस पीठा, दूध पीठा, डुबू पीठा, काकरा पीठा, जेंठुवा पीठा, लव पीठा, डिगला पीठा, मोड़ा पीठा, अलसा पीठा, छिलका पीठा व बिरा पीठा भी बनाए जाते हैं। सरस्वती व लक्ष्मी माता के कुंवारी स्वरूप टुसू की होती है पूजा : मकर पर्व पर क्षेत्र में सरस्वती व लक्ष्मी माता के कुंवारी स्वरूप टूसू की पूजा करने की परंपरा है। इसलिए इसे टुसू पर्व के रूप में जाना जाता है। वैभव व सुख-समृद्धि की प्रतीक माने जाने वाली टुसु देवी की पूजा-अर्चना कुंवारी कन्याओं द्वारा विधि-विधान के साथ की जाती है। सात दिनों की विशेष टुसु पूजा के बाद कुंवारी कन्याएं मकर पर्व के दिन टूसु की प्रतिमा को सिर पर उठा कर घर-घर पहुंचती हैं। इस दौरान मनोहारी टुसु गीतों के साथ टुसु का स्वागत और पूजा-अर्चना की जाती है। हालांकि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए प्रशासन ने टुसु मेला के आयोजन पर रोक लगा दी है। फिर भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। टुसु का त्योहार पर्व उमंग व उत्साह के साथ मनाया जाएगा
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