अब पर्व त्योहार में ही दिखती है ढेंकी
संवाद सूत्र, राजनगर : ग्रामीण इलाकों में पूर्वजों द्वारा अपने विभिन्न कायरें की सहूलियत के लिए बनाए गए उपकरणों की जगह आज मशीनों ने ले ली है। पूर्वजरें द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली ढेंकी आज लुप्त होती जा रही है। इसे देहाती मशीन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
गांव-देहात में पहले प्रत्येक घर में ढेंकी पायी जाती थी, क्योंकि उनके लिए धान को चावल बनाने का यह एकमात्र साधन था। उस जमाने में आज की तरह धान पीसने के लिए हॉलर मशीन नहीं हुआ करती थी । भोर से ही हर घर में ढेंकी की आवाज सुनाई देती थी। जिन घरों में ढेंकी नहीं होती थी वे दूसरों के घरों में अपना सारा काम छोड़कर पहले धान कूटने के लिए लाइन में लग जाते थे लेकिन इस मशीनरी युग में अब गांव-देहात में ऐसे उपकरणों का दर्शन दुर्लभ हो गया है। अब तो पर्व-त्योहारों में ही ढेंकी का उपयोग होता है। मकर का त्योहार 14 जनवरी से शुरू हो रहा है, जिसमें गुड़ पीठा बनाने का विशेष प्रचलन है जो चावल की गुंडी, तिलकुट, नारियल व बादम आदि मिलाकर बनाया जाता है। महिलाएं ढेंकी से चावल की गुंडी तैयार करने में व्यस्त हैं। बताया जाता है कि ढेंकी से तैयार की गई गुंडी से बनाया जाने वाला पीठा मशीन से पीसी गई गुंडी से बनाए गए पीठा की तुलना में अधिक मीठा होता है। इसीलिए पर्व त्योहार में लोग पीठा बनाने के लिए मशीन की जगह ढेंकी से ही गुंडी तैयार करना पसंद करते हैं।
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