साहिबगंज में कालाबाजारी का दंश झेल रहे किसान, 267 रुपये की खाद 400 में खरीदने को मजबूर
साहिबगंज जिले में किसान यूरिया खाद की कालाबाजारी से परेशान हैं। सरकारी दर 266.50 रुपये प्रति बोरी होने के बावजूद किसानों को 400 रुपये तक में खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। कृषक मित्रों को रियायत मिल रही है पर अन्य किसानों को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।

संवाद सहयोगी, बरहड़वा/साहिबगंज। बरहड़वा प्रखंड के कुशवाहा टोला निवासी दीपू कुमार ने तीन बीघा में धान की खेती की है। अभी उसमें यूरिया डालना था। कई दुकानों में पूछताछ की। सभी जगह चार सौ रुपये प्रति बोरा बताया गया।
अंत में उन्होंने नया बाजार स्थित संजय कुमार भगत की दुकान से एक बोरी यूरिया चार सौ रुपया में खरीदा। मांगने पर बिल नहीं मिला। इसी तरह पंकज कुमार ने बरहड़वा हाई स्कूल मोड़ पर स्थित संदीप कुमार के यहां से चार सौ रुपये बोरा यूरिया की खरीदारी की।
यहां भी रसीद नहीं मिली। बोरियो प्रखंड के तेलो गांव के किसान खूबलाल पंडित थोड़ा खुशनसीब निकले। उन्हें मात्र 320 रुपया प्रति बोरा यूरिया मिल गया, चूंकि वह कृषक मित्र हैं। इस वजह से उन्हें यह रियायत मिल गई।
हालांकि, बोरियो के ही किसान सुरेंद्र सिंह को 400 रुपया प्रति बोरा कीमत चुकानी पड़ी। तालझारी के किसान डब्लू कुमार ने स्थानीय दुकानदार से 400 रुपया प्रति बोरा यूरिया खरीदने की बात कही।
सरकारी कीमत मात्र 266.50 रुपया
दरअसल, सरकार ने यूरिया की कीमत 266.50 रुपया प्रति बोरा निर्धारित कर रखी है लेकिन कहीं भी इस दर पर यूरिया नहीं मिलता है। लाइसेंसी दुकानदार भी लोडिंग-अनलोडिंग के नाम पर 30-35 रुपया ले लेते हैं।
यानी अगर आप लाइसेंसी दुकानों से यूरिया लेते हैं तो वहां भी आपको करीब 300 रुपये देने होंगे। अन्य जगहों प्रत्येक बोरा पर 100-130 रुपया अधिक लिया जाता है। रसीद मांगने पर दुकानदार यूरिया देने से ही इन्कार कर देते हैं।
यह सब कुछ जानते हुए विभाग मौन है। बार-बार कार्रवाई की चेतावनी तो दी जाती है लेकिन कार्रवाई होती नहीं है। विभाग के अनुसार जिले में 328 खाद विक्रेता सक्रिय हैं।
यूरिया व डीएपी की कालाबाजारी को रोकने के लिए इनमें से 155 खाद विक्रेताओं को प्रथम चरण में लेटेस्ट वर्जन एल -वन ई-पाश मशीन दी गई है।
दूसरे चरण में 173 खाद दुकानदारों को ई पास मशीन दी जाएगी लेकिन परिणाम शून्य है। जिले के उधवा, राजमहल, बरहेट, मंडरो सहित अन्य प्रखंडों की समान स्थिति है। पतना के बड़तल्ला निवासी किसान निमाय पंडित ने बताया कि उन्होंने करीब 12 बीघा में इस बार धान की खेती की है।
एक बीघा खेती के करने में करीब 30 किलो यूरिया और सात से आठ किलो डीएपी लगा। उन्होंने बताया कि गांव में ही लाइसेंसधारी चतुर पंडित, श्रीकांत पंडित व अन्य से यूरिया खरीदा है।
इसके लिए उन्होंने 350 रुपये से लेकर 380 रुपये तक भुगतान करना पड़ा। बरहड़वा के किसान दीपक, रमेश, राघव, तौसीफ, ईदुल सहित अन्य ने बताया कि कृषि विभाग का उर्वरक उपलब्धता का दावा खोखला साबित हो रहा है।
जिले में यूरिया के तीन थोक विक्रेता
जिले में यूरिया के तीन थोक विक्रेता हैं। इनमें जिला मुख्यालय में स्वीकृत फारवार्डिंग एजेंसी (संचालक स्वीकृत सिंघानिया), राजमहल में तारा फर्टिलाइजर (संचालक प्रदीप अग्रवाल) व उधवा में राधानगर कृषक सेवा केंद्र (संचालक राजकिशोर मंडल) है।
कुछ दुकानदारों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सरकार किसानों को सब्सिडी के तहत यूरिया उपलब्ध कराने की बात तो करती है, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक रह जाता है। हम लोग जिस थोक विक्रेता से यूरिया की खरीदी करते हैं वो हमें एक बोरी 380 रुपये तक में देता है।
इसके बाद लाने का खर्च तथा लोडिंग-अनलोडिंग खर्च भी आता है। इसके बाद हमलोग एक बोरी में महज 20 रुपये अधिक ही किसानों से लेते हैं। यदि हमलोगों को सही कीमत में यूरिया उपलब्ध हो जाय तो किसानों को लाभ होगा।
यूरिया की निर्धारित कीमत 266.50 रुपया प्रति बोरा है। इससे अधिक कीमत कोई दुकानदार लेता है तो वह गलत है। किसान खाद खरीदते समय उसका बिल भी लें। अगर कहीं अधिक कीमत ली जा रही है तो विभाग में इसकी शिकायत करें। उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। -प्रमोद एक्का, जिला कृषि पदाधिकारी, साहिबगंज
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