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    बरहड़वा में नगर पंचायत की नाकामी, 75 लाख के डस्टबिन गायब, सड़कों पर लग रहा कचरे का ढेर

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 01:49 PM (IST)

    बरहड़वा नगर पंचायत ने सफाई के लिए 75 लाख के डस्टबिन खरीदे पर ज्यादातर गायब हो गए। 2019-20 में प्लास्टिक के डस्टबिन खरीदे जो जल्द ही टूट गए। 2021-22 में स्टेनलेस स्टील के डस्टबिन खरीदे गए जो बाजार से तीन गुना अधिक कीमत पर थे और जल्दी ही गायब हो गए।

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    बरहड़वा नगर पंचायत में डस्टबिन खरीदारी में हेराफेरी। सांकेतिक तस्वीर

    अभिजीत कुमार, बरहड़वा (साहिबगंज)। बरहड़वा नगर पंचायत को साफ-सुथरा रखने के मकसद से तीन बार में करीब 75 लाख रुपये के डस्टबिन खरीदे गए, लेकिन उनमें से अधिकतर गायब हो गए। इक्का दुक्का कहीं-कहीं बचे हुए हैं, तो वह खुद ही कबाड़ बन चुके हैं।

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    वर्तमान में किसी भी वार्ड के गली-मोहल्ले में वे डस्टबिन नजर नहीं आ रहे हैं। नगर को स्वच्छ रखने के लिए प्रतिदिन नपं द्वारा सफाई तो कराई जा रही है, लेकिन लोग घरों का कचरा सड़क पर ही फेंक रहे हैं। रविवार को सरकारी अवकाश के दिन उठाव नहीं होने पर अगले दिन सड़क के किनारे कचड़े का ढेर जमा हो जाता है।

    खरीदारी में गड़बड़ी की आशंका

    नगर पंचायत द्वारा डस्टबिन की खरीदारी में गड़बड़ी की भी आशंका जताई जा रही है। नगर पंचायत ने सबसे पहले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 210 पीस प्लास्टिक के डस्टबिन की खरीदारी की थी, जिसकी कुल लागत 14 लाख 93 हजार 207 रुपये थी। यानी कि एक डस्टबिन की कीमत करीब सात हजार रुपये से अधिक आयी थी।

    उस समय विभिन्न वार्डों में डस्टबिन के लगाए जाने के महज 6 माह के भीतर ही सभी डस्टबिन टूट गए थे। साथ ही नगर पंचायत के पुराने कार्यालय की छत पर रखे-रखे काफी संख्या में प्लास्टिक के डस्टबिन खराब भी हो गए थे। उसके बाद वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्टेनलेस स्टील के 200 पीस डस्टबिन की खरीदारी हुई।

    इस पर 41 लाख 99 हजार 207 रुपये खर्च हुए। यानी एक डस्टबिन की कीमत करीब 21 हजार रुपये आयी। हालांकि, स्थानीय बाजार में उस तरह का डस्टबिन मात्र सात हजार रुपये में ही उपलब्ध था। आश्चर्य की बात यह कि नपं ने तीन गुना दाम में उसकी खरीदारी कर लगवा भी दिया, लेकिन कुछ ही माह में वह गायब भी हो गया।

    कई जगह तो लोगों ने डस्टबिन को ही कचड़े में डाल दिया है। तीसरी बार अभी नपं द्वारा करीब 19 लाख की लागत से पांच हजार जोड़ी डस्टबिन की खरीदारी की गई है जिसे होल्डिंग टैक्सधारकों को घर-घर जाकर कचड़ा रखने के लिए दिया गया है, लेकिन लोग उसका उपयोग पानी भरने के लिए कर रहे हैं। मानीटरिंग नहीं हो पाने के कारण डस्टबिन की खरीदारी में ही लाखों रुपये पानी में बहा दिए गए।

    वार्षिक स्वच्छता रैंकिंग में मिला था 45 वां रैंक

    इस वर्ष जुलाई में जारी वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम में बरहड़वा नगर पंचायत ने राज्य स्तरीय रैंकिंग में 45वां स्थान हासिल किया था। नगर पंचायत का प्रदर्शन काफी फीका था। राष्ट्रीय स्तर पर 1510 वां रैंक मिला था। नगर पंचायत को ओडीएफ प्लस हासिल किया था।

    45 दिनों तक चले मूल्यांकन में प्रशिक्षित विशेषज्ञों ने घरों का निरीक्षण किया। इसके बाद स्वच्छता के 54 सूचकांकों और 10 मापदंडों के आधार पर सेवा वितरण और कचरा प्रबंधन की समग्र समीक्षा की गई।

    हालांकि, नगर पंचायत के सभी 14 वार्डो में साफ-सफाई करने, खराब चापाकल को दुरुस्त करने वाले मिस्त्री, मुंशी, ट्रैक्टर व टिपर वाहन के चालक सहित अन्य 80 से अधिक कर्मी कार्य कर रहे हैं। नपं के द्वारा प्रत्येक माह इनके मानदेय के भुगतान में तकरीबन आठ लाख रुपये खर्च भी हो रहे हैं, लेकिन कुछ मानकों को पूरा नहीं कर पाने के कारण रैंकिंग खराब रही।

    नगर पंचायत क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने के उद्देश्य से प्रत्येक दिन कर्मियों द्वारा साफ-सफाई की जाती है। पूर्व में हुई डस्टबिन खरीदारी की जानकारी नहीं है। अभी होल्डिंग धारकों को कचड़ा इकट्ठा रखने के लिए डस्टबिन दिया जा रहा है। साथ ही स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत नगरवासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। - दीपक कुमार, प्रशासक, नपं बरहड़वा।