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    Sahebganj Government Schools: तिरपाल में बैठकर पढ़ रहा देश का भविष्य, स्कूलों में है बेंच-डेस्क की किल्लत

    साहिबगंज के सरकारी स्कूलों में बेंच-डेस्क की भारी कमी है जिससे छात्रों को तिरपाल पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है बरहड़वा के प्लस टू उच्च विद्यालय और मिल्लत उच्च विद्यालय में 1200-1700 छात्रों के लिए कमरों और बेंचों की कमी है। जर्जर भवनों के कारण भी परेशानी है। नए भवन निर्माण से राहत की उम्मीद है।

    By Pranesh Kumar Edited By: Krishna Parihar Updated: Wed, 27 Aug 2025 01:36 PM (IST)
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    तिरपाल में बैठकर पढ़ रहा देश का भविष्य

    संवाद सहयोगी, बरहड़वा (साहिबगंज)। जिले के सरकारी विद्यालयों में बेंच डेस्क की भारी कमी है। कई स्कूलों में कक्षा आठ-नौ के छात्र भी तिरपाल पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इससे छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है।

    बरहड़वा प्रखंड के प्लस टू उच्च विद्यालय में कक्षा नौ से 12वीं तक 1200 से अधिक बच्चे नामांकित हैं।आठ कमरों में कक्षाएं चलती हैं। बेंच की कमी के कारण एक बेंच पर चार-पांच बच्चों को बैठना पड़ता है।

    स्कूल के आइसीटी लैब में तो छात्र-छात्राओं को तिरपाल बिछाकर नीचे बिठाया जाता है। कई बच्चों ने बताया कि जमीन पर घंटों तक बैठने से हिप और रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगता है।

    बेंच में बैठने पर पैर फैलाने की सुविधा होती है, जिससे शरीर को आराम मिलता है। बरहड़वा प्रखंड के मध्य विद्यालय ग्वालखोर में वर्ष 2020 से चार भवनों का भवन जर्जर हो चुका है। उसमें पढ़ाई तो नहीं हो रही है, लेकिन उसे तोड़कर नया भवन भी नहीं बनाया जा सका है।

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    विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक तापस चक्रवर्ती बताते हैं कि विद्यालय में भवन की कमी है। कक्षा छह से आठ में 438 बच्चे नामांकित हैं। उनके लिए तीन कमरे तो हैं लेकिन उनमें पर्याप्त बेंच डेस्क नहीं है। जिसके कारण कुछ बच्चों को दरी में बैठना पड़ता है।

    प्लस टू मिल्लत उच्च विद्यालय श्रीकुंड के बच्चों का भी हाल बेहाल है। यहां हालात ऐसे हैं परीक्षा के समय छात्र-छात्राओं को बिठाने में शिक्षकों के पसीने छूट जाते हैं। यहां 1700 से अधिक बच्चे नामांकित हैं। महज छह कमरे में ही पढ़ाई होती है।

    एक कमरे आइसीटी लैब व स्मार्ट क्लास के लिए तो हैं लेकिन उनमें भी कक्षाएं संचालित होती है। एक बेंच पर मजबूरी में चार-पांच बच्चों को बैठाना पड़ता है। हालांकि विद्यालय परिसर में 11 कमरों का भवन बन रहा है। भवन बन जाने से कुछ राहत होगी।

    स्कूल में कमरों की कमी है। शत प्रतिशत बच्चों के आ जाने से उन्हें बिठाने में समस्या होती है। जर्जर भवन को तोड़कर नया भवन बन जाने से कुछ राहत होगी। -तापस चक्रवर्ती, प्रभारी प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय ग्वालखोर

    विद्यालय के आठ कमरों में अभी कक्षाएं संचालित हैं। एक बेंच पर चार-पांच बच्चे बैठते हैं। परीक्षा में दिक्कत तो होती है। बेंच डेस्क की मांग की गई है। बच्चों को दिक्कत न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है। -दिनेश मंडल, प्रभारी प्रधानाध्यापक, प्लस टू उच्च विद्यालय कोटालपोखर

    यहां काफी संख्या में बच्चों को नामांकन है। छह कमरों में बिठाकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। कमियों की जानकारी विभागीय अधिकारियों को दी गई है। -गुलाम नूर सरवर, प्रभारी प्रधानाध्यापक, प्लस टू मिल्लत उच्च विद्यालय श्रीकुंड

    कुछ स्कूलों में बेंच-डेस्क की कमी की बात सामने आयी है। स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से छात्र संख्या व वहां उपलब्ध बेंच-डेस्क की संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई है। जहां बेंच डेस्क की कमी है वहां जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा। -डॉ. दुर्गानंद झा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, साहिबगंज