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    गर्भवती महिला की मौत के बाद सदर अस्पताल में तोड़फोड़, परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया लापरवाही का आरोप

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 07:36 PM (IST)

    साहिबगंज सदर अस्पताल में गर्भवती अर्चना कुमारी की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। अर्चना को प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन इलाज में देरी के कारण उसकी और उसके बच्चे की मृत्यु हो गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला।

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    जच्चा-बच्चा मौत के बाद सदर अस्पताल में जमकर हंगामा तोड़-फोड़

    संवाद सहयोगी, साहिबगंज। सदर अस्पताल में महादेवगंज झगडु चौकी निवासी सूरज कुमार की 18 वर्षीय पत्नी अर्चना कुमारी की मौत हो गई। वह गर्भवती थी, ऐसे में उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई।

    जिसके बाद मृतक अर्चना के स्वजनों ने अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों व डाक्टर के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की घटना का अंजाम दिया।

    इधर, जिरवाबाड़ी पुलिस को सूचना मिलते ही अस्पताल पहुंच कर मामले की छानबीन करते हुए पीड़ितों को समझा बूझकर शांत किया। वहीं शव लेकर जा रहे एंबुलेंस पर पश्चिम फाटक पर मृतक के स्वजनों में पत्थर से वार कर दिया, जिससे एंबुलेंस के शिशा क्षतिग्रस्त हो गया गया।

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    दरअसल शुक्रवार को महादेवगंज झगड़ु चौकी निवासी सूरज कुमार की 18 वर्षी पत्नी अर्चना कुमारी को प्रसव के लिए लगभग 10:00 बजे सदर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

    भर्ती होने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने गर्भवती महिला कुछ स्वास्थ्य जांच करने की बात कही। इधर गर्भवती अर्चना की हालत गंभीर होती जा रही थी, इसी दौरान लगभग एक घंटा के बाद उसकी मौत हो गई।

    स्वास्थ्यकर्मियों पर लापरवाही का आरोप

    स्वजनों ने बताया कि अर्चना को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने लगी। इसके डिलीवरी के लिए झूमावती अस्पताल लेकर गया, लेकिन वहां पर डाक्टर नहीं रहने के कारण वह लोग सदर अस्पताल भेज दिए।

    सदर अस्पताल में अर्चना को भर्ती करने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने कुछ जांच करने को कहा और एक घंटा तक इधर-उधर दौड़ते रहे। परिजनों का कहना है कि वह बार-बार जाकर बोल रहे थे कि तबीयत उसकी बिगड़ रही है, जल्द से जल्द इलाज करें, लेकिन किसी ने नहीं सुना और हम लोगों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए कहा कि एक ही मरीज को निहारत रहे और मरीज नहीं है क्या?

    परिजनों का आरोप है कि वह कई बार डाक्टर को जल्द से जल्द बुलाने और जांच करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। बार-बार वह ऊपर-नीचे ऊपर-नीचे दौड़ते रहे, अंत में इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई।

    स्वजनों ने कहा कि महिला वार्ड में एक डॉक्टर पूनम कुमारी की ड्यूटी थी। वह एक बार भी मरीज को देखने तक नहीं आई। इसके अलावा नीचे भी कई डॉक्टर थे, वह लोग भी एक बार मरीज को देखने नहीं आए।

    मजदूरी करता है पति सूरज

    इधर अर्चना की मौत के बाद स्वजनों ने सदर अस्पताल में मौजूद डाक्टरों को जमकर कोसा। स्वजनों ने बताया कि सूरज की डेढ़ वर्ष पूर्व अर्चना के साथ विवाह हुआ था। सूरज मजदूरी करके अपना परिवार को पालन पोषण करता था।

    उसका परिवार एक खुशहाल परिवार था लेकिन, डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के लापरवाही के कारण सूरज का परिवार उजड़ गया और जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गई।