गंगा के कटाव से बचाने लिए किया गया बचाव कार्य ही पानी में बहा,गुणवत्ता पर उठे सवाल
साहिबगंज जिले में गंगा नदी के किनारे कटाव रोकने के प्रयास विफल होते दिख रहे हैं। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद कटाव जारी है जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। ग्रामीणों ने निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार और घटिया सामग्री के उपयोग का आरोप लगाया है। अधिकारियों द्वारा शिकायतों को अनदेखा करने से समस्या और बढ़ गई है।

डॉ. प्रणेश, साहिबगंज। जिले में करीब 83 किलोमीटर लंबी गंगा बहती है। बरसात के मौसम में इनमें साहिबगंज, राजमहल व उधवा प्रखंड में कई जगह पर किनारे में कटाव होता है। इसे रोकने के लिए समय-समय पर कटाव रोधी कार्य भी कराया जाता है लेकिन वह सफल नहीं हो पा रहा है। लोगों का कहना है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां काम ले लेती हैं तथा बाद में वह छोटे-छोटे ठेकेदारों को दे देती है।
छोटे-छोटे ठेकेदार अकुशल मजदूरों से जैसे-तैसे काम पूर्ण करा देते हैं। इस वजह से वह टिकाऊ नहीं हो पाता है। दो साल पहले राजमहल प्रखंड में कमलैन बागीचा से शोभापुर बड़ी कालीस्थान तक 300 मीटर में करीब सात करोड़ रुपये की लागत से कटावरोधी कार्य कराया गया था।
काम पूर्ण होने के छह माह के अंदर ही शोभापुर में करीब सौ फीट लंबाई में वह धंस गया। अधिकारियों ने जाकर जायजा भी लिया लेकिन उसकी मरम्मत नहीं कराई गई। इसी साल साहिबगंज के चानन में नौ करोड़ 77 लाख रुपये की लागत से कटाव रोधी कार्य कराया गया। इसमें 16 जगह पर बोल्डर का ठोकर बनाना था। वह बनाया भी गया लेकिन कई जगह पर दो ठोकर की दूरी अधिक दे दी गई जिस वजह से वहां फिर से कटाव शुरू हो गया है।
7.54 करोड़ रुपये की लागत से उधवा में हो रहा काम
उधवा प्रखंड की पूर्वी प्राणपुर व श्रीधर पंचायत में गंगा किनारे हो रहे कटाव को रोकने के लिए 7.54 करोड़ रुपये में टेंडर हुआ। मार्च में काम शुरू हुआ। इनमें 14 जगह पर बोल्डर का ठोकर बनाना है। सात जगह पर ठोकर बना भी दिया गया था लेकिन उनमें से कई ठोकर गंगा में समा चुके हैं।
फिलहाल गंगा का जलस्तर बढ़ने की वजह से काम बंद है।इस बार साहिबगंज व उधवा में कटावरोधी काम कराने का ठेका रांची की कंपनी शिवम साहिल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने लिया था। दोनों जगह ग्रामीणों ने घटिया काम की शिकायत की थी लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया।
ग्रामीणों की शिकायत के बाद गंगा पंप नहर के अभियंताओं ने काम का जायजा लिया लेकिन संवेदक को क्लीन चिट दे दी परिणाम सामने है। बताया जाता है कि उधवा में कई स्थानीय लोगों ने बोल्डर सप्लाई की थी जिन्हें आज तक भुगतान नहीं हुआ है। अब सारा बोल्डर गंगा में समा चुका है। ऐसे में राशि का भुगतान होगा या नहीं यह सवाल बोल्डर आपूर्तिकर्ताओं को परेशान कर रहा है। कई लोगों ने कंपनी के अधिकारियों से संपर्क भी किया है।
उधवा में मार्च में काम शुरू हुआ। 10 माह में काम पूरा करना है। बाढ़ आने की वजह से फिलहाल काम बंद है। काम पूरी तरह होने के बाद ही राशि का भुगतान किया जाएगा। जहां ठोकर क्षतिग्रस्त हुआ है वहां ठीक कराया जाएगा। गंगा में कटाव पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जा सकता। कोशिश की जाती है। कभी-कभी वह असफल भी हो जाता है।- प्रेम सोरेन, कार्यपालक अभियंता, गंगा पंप नहर
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