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    कसवा के गंगा तट पर मिली मृत डॉल्फिन

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 17 Dec 2020 05:33 PM (IST)

    राजमहल थाना क्षेत्र के कसवा पंचायत में एसएमसी माइनिग कंपनी के समीप गंगा के तट पर गुरुवार की अलसुबह एक मरी हुई डॉल्फिन मिली। सुबह में गंगा स्नान के लिए ...और पढ़ें

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    कसवा के गंगा तट पर मिली मृत डॉल्फिन

    संवाद सहयोगी, तालझारी/राजमहल : राजमहल थाना क्षेत्र के कसवा पंचायत में एसएमसी माइनिग कंपनी के समीप गंगा के तट पर गुरुवार की अलसुबह एक मरी हुई डॉल्फिन मिली। सुबह में गंगा स्नान के लिए पहुंचे लोगों ने इसे देखा और वन विभाग के रेंजर राजकुमार प्रसाद को सूचना दी। सूचना मिलने पर पहुंचे रेंजर ने मृत डॉल्फिन को पोस्टमार्टम के लिए प्रखंड मुख्यालय स्थित मवेशी अस्पताल भेज दिया।

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    मवेशी अस्पताल में भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अमरेंद्र पांडे, टेक्निकल सहायक रवि प्रमाणिक, सहयोगी गोपाल कुमार यादव, रामाशीष महतो की टीम ने डॉल्फिन के शव का पोस्टमार्टम किया। इसका वजन 30-35 किलोग्राम होने का अनुमान है। डॉल्फिन के दांत में मछली मारने का जाल भी फंसा हुआ था। इससे आशंका है कि नदी में मछुआरे के जाल में फंसने के कारण मछली की मौत हुई है। इसके बाद मछुआरा मृत डॉल्फिन को गंगा घाट से घर ले जाने में असमर्थ होने के कारण उसे वहीं छोड़कर भाग गया होगा।

    अंतर्राष्ट्रीय जलीय जीव हो चुकी है घोषित

    गौरतलब हो कि साहिबगंज से गुजरनेवाली गंगा को डॉल्फिन आश्रणयी घोषित करने का प्रस्ताव है। इस संबंध में वन विभाग प्रस्ताव भेज चुका है। उधर, डॉल्फिन लुप्तप्राय जलीय जीव है। 10 मई 2010 को अंतर्राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया जा चुका है। ऐसे में डॉल्फिन का शिकार कानूनन अपराध है। गंगा नदी में भी डॉल्फिन इन दिनों काफी कम देखा जाता है। रेंजर राजकुमार प्रसाद ने बताया कि डॉल्फिन का शिकार अपराध है। डॉल्फिन का पोस्टमार्टम करा लिया गया है और इसकी सूचना राजमहल पुलिस को भी दी गई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

    डॉल्फिन की हुई थी गिनती : नमामि गंगे परियोजना के तहत जिले में डॉल्फिन की गिनती का प्रयास भी बीते दिनों किया गया था। इस क्षेत्र के मछुआरों का जीवन गंगा पर निर्भर है। मछुआरे गंगा में जाल बांध देते हैं जिससे डॉल्फिन भी फंस जाती है। इसके अलावा शिकारियों द्वारा डॉल्फिन के शरीर में पाए जाने वाले तेल के लिए उसका शिकार कर लिया जाता है। बताया जाता है कि डॉल्फिन के शरीर में पाए जाने वाला तेल दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल होता है। इसी वजह से उसका शिकार किया जाता है। इस कारण उसकी संख्या लगातार घटती जा रही है और इनके अस्तित्व में संकट उभरकर आ गया है।जल प्रदूषण तथा प्लास्टिक भी डॉल्फिन के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।