बरहेट के जनजातीय गांव में रहस्यमयी बीमारी से 20 दिन में तीन की मौत, स्वास्थ्य विभाग अनजान
साहिबगंज के बरहेट प्रखंड के आदिम जनजाति पहाड़िया बहुल कैरोगोड़ा गांव में 20 दिन में उल्टी-दस्त से तीन लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनभर से अधिक बीमार हैं। जर्जर सड़क वाले इस गांव में स्वास्थ्य सहिया की लापरवाही के कारण सरकारी मदद नहीं पहुंची है जिससे लोग अब भी झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं। सिविल सर्जन ने गांव का दौरा करने की बात कही है।

संवाद सहयोगी, बरहेट (साहिबगंज)। बरहेट प्रखंड की हिरणपुर पंचायत के कैरोगोड़ा गांव में पिछले 20 दिनों के भीतर गांव के तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि दर्जनभर से अधिक लोग बीमार हैं।
मरने वालों को पहले उल्टी व दस्त हुआ था, जिसके कारण डायरिया से मौत की आशंका जताई जा रही है। हैरत की बात यह है कि स्वास्थ्य महकमे को अब तक इसकी भनक तक नहीं लगी है। जबकि गांव आदिम जनजाति बहुल है।
इसी साल मार्च में मंडरो प्रखंड में आधा दर्जन बच्चों की मौत ब्रेन मलेरिया से हो गई थी। दिल्ली की टीम ने भी साहिबगंज का दौरा किया था। ग्रामीणों में फिर डर का माहौल है।
20 दिनों में तीन मौतें
मृतकों में 48 वर्षीय ठाकुर किस्कू (8 सितंबर), 35 वर्षीय मंगला पहाड़िया (16 सितंबर) और 18 वर्षीय छीता टुडू (19 सितंबर) शामिल हैं।
- इलाज का हाल: ठाकुर किस्कू और मंगला पहाड़िया का इलाज गांव में ही झोलाछाप चिकित्सक से कराया गया।
- अस्पताल से वापसी: छीता टुडू को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था, जहां स्वजनों के अनुसार इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। स्वजनों ने बताया कि शव को एंबुलेंस वाला घर से कुछ दूर पहले ही उतार कर चला गया। 18 वर्षीय छीता टुडू की डेढ़ साल की एक पुत्री है।
दर्जनभर बीमार, नहीं पहुंची कोई मदद
ग्रामीण शैलेश सोरेन, चरण टुडू, चुनका टुडू और अन्य लोगों ने बताया कि तीन मौतों के अलावा, गांव में दर्जनभर लोग बुखार से पीड़ित हैं। इनमें 60 वर्षीय मरांगमय मुर्मू, 40 वर्षीय बाले किस्कू, 42 वर्षीय धनी मुर्मू, 35 वर्षीय विटी मुर्मू और 25 वर्षीय मालोती मरांडी शामिल हैं।
ये सभी ग्रामीण अब भी झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज करा रहे हैं। मृतक ठाकुर किस्कू की पुत्री रानी किस्कू ने बताया कि उसके पिता की मौत भी उल्टी और दस्त के कारण हुई, जिससे पूरा परिवार चिंतित है।
कहां है स्वास्थ्य सहिया की तैनाती?
स्वास्थ्य विभाग गांवों में स्वास्थ्य सहिया को तैनात करता है। ताकि ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत मिल सके, लेकिन कैरोगोड़ा गांव में ऐसा नहीं हुआ। यह गांव बरहेट प्रखंड मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूर है।
इस गांव में आदिम जनजाति पहाड़िया, आदिवासी और मड़ैया जाति के लोग 50 से अधिक घरों में रहते हैं। मुख्य सड़क से गांव की दूरी लगभग दो किलोमीटर है और जर्जर सड़क के कारण लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी है।
मंडरो की घटना की यादें ताजा
इसी साल मार्च में मंडरो प्रखंड के नगरभिट्ठा गांव में आधा दर्जन बच्चों की मौत ब्रेन मलेरिया से हुई थी। पांच मौतों के बाद विभाग जागा था और बाद में जांच के लिए दिल्ली से उच्चस्तरीय टीम भी आई थी।
उस समय भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई थी, क्योंकि वहां कोई स्वास्थ्यकर्मी कभी गया ही नहीं था।
स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं
साहिबगंज के सीएस डॉ. रामदेव पासवान ने कहा, "एक महिला मरीज की मौत डेंगू से पिछले दिनों हुई थी, जिसकी स्थिति गंभीर थी। मैं खुद गांव में जा रहा हूं। वहां जाने के बाद ही कुछ भी बता सकता हूं।"
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