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Yashwant Sinha, President Election: यशवंत सिन्‍हा ने मुख्‍यमंत्री से कहा, शराफत से पेश आइए, मैं सीएम बन सकता हूं, लेकिन आप IAS नहीं

Yashwant Sinha President Election राष्ट्रपति चुनाव में के विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा का झारखंड से गहरा जुड़ाव है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए 1960 में चुने गए कद्दावर राजनेता यशवंत सिन्हा ने ब्यूरोक्रेसी से लेकर राजनीति में सफलता के झंडे गाड़े हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 21 Jun 2022 10:54 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2022 10:55 PM (IST)
Yashwant Sinha, President Election: यशवंत सिन्‍हा ने मुख्‍यमंत्री से कहा, शराफत से पेश आइए, मैं सीएम बन सकता हूं, लेकिन आप IAS नहीं
Yashwant Sinha, President Election: राष्ट्रपति चुनाव में के विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा का झारखंड से गहरा जुड़ाव है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Yashwant Sinha, President Election तब बिहार के मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा थे। यशवंत सिन्हा उस वक्त संताल परगना (अब बिहार का हिस्सा) में तैनात थे। दौरे के क्रम में महामाया बाबू से जब वे मुखातिब हुए तो वहां मौजूद लोगों ने युवा आइएएस अधिकारी यशवंत सिन्हा की शिकायत आरंभ कर दी। हर शिकायत पर उन्हें मुख्यमंत्री झिड़की लगाते और स्पष्टीकरण पूछते। कमरे में मौजूद एक मंत्री ने आगे बढ़कर जब इन्हें डपटना चाहा तो इन्होंने तत्काल कहा कि मैं इस व्यवस्था का आदी नहीं हूं। इतना कहने के बाद सिन्हा कमरे से बाहर निकल गए।

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यशवंत सिन्हा ने कहा था मैं शरीफ आदमी, शराफत से पेश आइए

राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा प्रत्याशी घोषित किए गए यशवंत सिन्हा ने अपनी आत्मकथा 'रीलेंटलेस' में उन घटनाओं का जिक्र किया है जिससे उनके राजनीतिक जीवन में आने की पृष्ठभूमि बनी। संताल परगना में हुई घटना के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री उनसे बहुत नाराज हुए। तत्काल उन्होंने यशवंत सिन्हा को दूसरे कमरे में वापस बुलाकर ताकीद की कि इस प्रकार बात मत कीजिए।

मंत्री से आपको ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। यशवंत सिन्हा ने पलटकर कहा - मंत्री को भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। इसपर महामाया बाबू बहुत नाराज हो गए। उन्होंने कहा - आपकी इस प्रकार सीएम से बात करने की हिम्मत कैसे हुई। आप दूसरी नौकरी खोजिए। सिन्हा ने भी पलटते हुए कहा कि मैं शरीफ आदमी हूं। मुझसे शराफत से पेश आया जाए। यह भी कहा कि मैं सीएम बन सकता हूं, लेकिन आप आइएएस नहीं बन सकते।

जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर से रहे प्रभावित

यशवंत सिन्हा पर जयप्रकाश नारायण और बिहार के मुख्यमंत्री रहे प्रख्यात समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर का गहरा प्रभाव था। जयप्रकाश नारायण ने उन्हें सलाह दी थी कि आवेश में आकर नौकरी नहीं छोड़ें। उन्होंने उनकी सलाह मानी। जब सेवानिवृति में 12 वर्ष शेष था तो उन्होंने इस्तीफा दिया। कर्पूरी ठाकुर की सादगी के वे कायल रहे। वे लिखते हैं कि वे अदभुत नेता था। ठाकुर ने उन्हें अपना प्रधान सचिव बनाया।

वीपी सिंह व चंद्रशेखर के करीबी रहे

यशवंत सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और चंद्रशेखर के करीबी रहे। वीपी सिंह ने उन्हें राज्यमंत्री बनाने का निर्णय किया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में वे वित्त मंत्री के पद पर रहे। बाद में समाजवादी जनता का प्रभाव समाप्त होने के बाद उन्होंने भाजपा के साथ राजनीतिक पारी आरंभ की।

भाजपा में आडवाणी के रहे करीबी

यशवंत सिन्हा के भाजपा में झुकाव के पीछे की भी कहानी है। उस वक्त कांग्रेस में भी उन्हें शामिल होने का आफर था। वे रांची-दिल्ली की एक उड़ान में लालू प्रसाद से मिले तो उन्होंने उनकी अनदेखी की। यह बात उन्हें खल गई। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी से संपर्क किया और भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। उन्हें पहले वित्त मंत्री और बाद में विदेश मंत्री बनने का अवसर मिला। वर्ष 2014 में उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिला। उनके स्थान पर उनके पुत्र जयंत सिन्हा ने परंपरागत हजारीबाग सीट से भाजपा ने मौका दिया। वे असफल भी हुए, लेकिन कई नीतिगत मुद्दों पर मतभेद होने के कारण उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया। 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।

यशवंत सिन्हा की प्रोफाइल

  • जन्म - 06 नवंबर 1937, पटना, बिहार
  • आरंभिक पढ़ाई पटना में
  • 1958 - राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर
  • 1960 - आइएएस ज्वाइन किया
  • 24 वर्षों तक एसडीएम से लेकर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे। इस दौरान बान, जर्मनी स्थित भारतीय दूतावास, और फ्रैंकपर्ट में काउंसेल जनरल भी रहे। केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव, भूतल परिवहन मंत्रालय पद पर भी रहे।
  • 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा, जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। 1986 में महासचिव बनाए गए।
  • 1989 में जनता दल में शामिल हुए। चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के पद पर रहे।
  • 1996 में भाजपा में शामिल हुए। 1998 में हजारीबाग से सांसद निर्वाचित, वित्त मंत्री बनें। 2002 में विदेश मंत्री बनाए गए।
  • 2004 में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से चुनाव हारे। 2009 में जीत दर्ज की।
  • 2018 में भाजपा से इस्तीफा दिया। 13 मार्च, 2021 को तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए गए।

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