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    Jharkhand News: चिंताजनक! झारखंड के आठ प्रतिशत बच्चे 10वीं कक्षा के बाद बन जाते हैं मजदूर

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 02:07 PM (IST)

    झारखंड में कई छात्र 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद या तो पारिवारिक कार्यों में शामिल हो जाते हैं या कोई न कोई रोजगार करने लग जाते हैं। यहां के सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले आठ प्रतिशत बच्चे 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के बाद काम करने लग जाते हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024 में यह तथ्य सामने आया है।

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    झारखंड में बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई छोड़ मजदूरी में लग जाते हैं।

    राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड में कई छात्र 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद औपचारिक शिक्षा से दूर हो जाते हैं। वे या तो पारिवारिक कार्यों में शामिल हो जाते हैं या कोई रोजगार करने में लग जाते हैं।

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    यहां के सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले आठ प्रतिशत बच्चे 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के बाद काम करने लगते हैं। वहीं, 15 प्रतिशत छात्र अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगते हैं।

    केंद्र सरकार द्वारा जारी "परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-2024" में यह तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दो प्रतिशत छात्र असफल होने के कारण 10वीं कक्षा में ही रह जाते हैं।

    सर्वेक्षण के दौरान इस कक्षा के 59 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि स्कूलों में उन्हें करियर सलाह मिली। रिपोर्ट में इस पर चिंता जताई गई है कि भावनात्मक सपोर्ट नहीं मिलने के कारण 16 प्रतिशत बच्चे स्कूल में उदास रहते हैं। इतने ही बच्चे स्कूल में मिलनेवाले टास्क से चिंतित रहते हैं।

    इतने ही स्कूल नहीं जाना चाहते। 15 प्रतिशत बच्चे वर्तमान माहौल में असुरक्षित महसूस करते हैं। सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा (एसईएल) छात्रों के कल्याण और शैक्षणिक सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    लेकिन सर्वेक्षण के दौरान 29 प्रतिशत शिक्षकों ने कहा कि यह उनके हाथ में नहीं है। रिपोर्ट में स्कूलों में छात्रों के भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए और शिक्षकों को सकारात्मक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने की रणनीतियों से लैस करने के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई है।

    केंद्र सरकार खासकर सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए सामुदायिक सहयोग पर जोर देती है, पर झारखंड में आधे से अधिक स्कूलों को ग्राम प्रधान या पार्षद का सहयोग नहीं मिलने की बात सामने आई है।