World Zoonoses Day 2021: सावधान! जानवर पालने का शौक बना सकता है गंभीर बीमारी का शिकार
अक्सर लोगों को पशु-पक्षियों से काफी प्रेम होता है। खासकर लोग गाय कुत्ता पक्षी और मछलियां पालने के शौकिन होते हैं। इनका पूरा ख्याल रखते हैं। मगर आपकी थोड़ी असावधानी आपको या आपकी वजह से आपके पालतू जानवर को गंभीर या बेहद गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है।

रांची, जासं। अक्सर लोगों को पशु-पक्षियों से काफी प्रेम होता है। खासकर लोग गाय, कुत्ता, पक्षी और मछलियां पालने के शौकिन होते हैं। इनका पूरा ख्याल रखते हैं। मगर आपकी थोड़ी असावधानी आपको या आपकी वजह से आपके पालतु जानवर को गंभीर या बेहद गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है। विश्व जूनोसिस दिवस ऐसी बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है जो जानवरों से मनुष्यों में और फिर मनुष्यों से जानवरों में फैलते हैं। मोटे तौर पर समझा जाए तो जूनोटिक रोग वो संक्रामक रोग होते हैं जो जानवरों से मनुष्यों और मनुष्यों से जानवरों में फैलते हैं। जब ये रोग मनुष्यों से जानवरों में फैलते है तो इसे रिवर्स जूनोसिस कहा जाता हैं।
150 से भी ज्यादा हैं जूनोटिक रोग
ज़ूनोटिक रोग बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद अथवा परजीवी किसी भी रोगकारक से हो सकते हैं। झारखंड में होने वाले ज़ूनोटिक रोगों में रेबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईबोला, निपाह, ग्लैंडर्स, साल्मोनेलोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस इत्यादि शामिल हैं। ये लिस्ट काफी लम्बी हैं, रांची वेटनरी कालेज के डीन सुशील प्रसाद बताते हैं कि दुनिया भर में में लगभग 150 जूनोटिक रोग उपस्थित हैं। कुछ ज़ूनोटिक रोग तो सीधे ही सम्पर्क में आने से फैलते हैं जबकि कुछ वेक्टर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़, घोंघा, चिचड़, मछली, सुवर, मुर्गी और घोड़ा इत्यादि के द्वारा फैलाये जाते हैं।
कोरोना भी है जूनोटिक रोग
डा सुशील प्रसाद बताते हैं कि समझा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण भी एक प्रकार का जूनोटिक रोग है। जो चमगादड़ों से इंसान में फैला है। केवल रांची जिले में डेढ़ हजार पशुओं की मृत्यु ऐसी बीमारी से होती है जो मनुष्यों के कारण उनमें फैलते हैं। वहीं बड़ी संख्या में लोग जानवरों के कारण फैलने वाले संक्रमण की चपेट में आते हैं। हालांकि मनुष्यों में इन रोगों से मरने की प्रतिशत काफी कम है। मगर इसमें कोई शक नहीं है कि जानवरों या पक्षियों से मनुष्य में फैलने वाली बीमारी घातक हो सकती है।
रेबीजः
रेबीज पशुओं से मनुष्यों में होने वाली सबसे ज्यादा बीमारी है। ये किसी भी जानवर से मनुष्यों में हो सकता है। खासकर कुत्तों से ये मनुष्यों में होता है। इसके विषाणु पशु के लार और शरीर के अन्य द्रव में पाए जाते हैं। मनुष्यों और जानवरों में इसके बचाव के लिए टीका उपलब्ध है।
हुकवार्म
मनुष्यों के मल से हुकवार्म का संक्रमण जानवरों में फैलता है। इससे वहीं इसी तरह से मनुष्यों में भी रिवर्स जूनोसिस होती है। इसके संक्रमण के आंतों की समस्या होती है। मनुष्यों में ये मृत्यु कारण नहीं बनता। मगर जानवरों में इससे मृत्यु दर काफी ज्यादा है। ये आमतौर पर मानसून के दिनों में होता है।
टीबी
जानवरों और मनुष्यों में होने वाली टीबी काफी आम बीमारी है। इससे दोनों के फेफड़े संक्रमित होते हैं। ये रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके लिए टीका उपलब्ध है।
ब्रूसेलोसिस
ब्रूसेलोसिस एक संक्रामक रोग है जो बूरसेला जीवाणु से फैलता है। ये गाय, शुकर, भेड़, घोड़ा और कुत्ते पर असर करता है। ये पशुओं से मनुष्यों में काफी तेजी से फैलता है। मनुष्यों में इस रोग के शुरूआत में सिरदर्द, कमजोरी, पसीना निकलना और बदन दर्द हो सकता है। बाद में इसकी तीव्रता बढ़ने लगती है। ये आंशिक रूप से जनन व्याधियां उत्पन्न करता है।
बर्ड फ्लू
यह पक्षियों में होने वाला जीवाणु जनित रोग है। इससे हाल के दिनों में काफी संख्या में मुर्गा-मुर्गियों और अन्य पालक पक्षियों को मारना पड़ा था। ये मनुष्यों में काफी संक्रामक और घातक है।
इन रोगों से कैसे बचें
- हाथ और चेहरे की स्वच्छता, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर यात्रा करते समय अपने चेहरे को ढँक लें, और अपने हाथों को नियमित रूप से साफ करें।
- बिना पका हुआ भोजन न करें।
- अगर आपके पास जानवर हैं तो उनकी देखभाल करें, उनकी नियमित जांच करवाएं।
- अपने स्थान को साफ और स्वच्छ रखें।
- घर में अगर जानवर है, तो उसकी साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
- जानवरों को छूने या उनके साथ खेलने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। - मच्छरों से बचाव के लिए जरूरी उपाय अपनाएं क्योंकि मच्छरों से कई जानलेवा बीमारियां फैलती हैं। - अगर घर में जानवर है तो उसे समय-समय पर जरूरी वैक्सीन लगवाते हें।
- जानवरों के द्वारा छुए गए, चाटे गए या सूंघे गए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- जानवरों के मल और पेशाब को ठिकाने लगाने का उचित प्रबंध करें।
- आपके आसपास अगर कोई संक्रामक बीमारी फैली है, तो उससे बचाव के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सभी पशु चर्म रोग के वाहक के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन इससे हमें भयभीत होने या भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। पशु चिकित्सक की सलाह से नियमित रूप से कृमि नाशक दवा और रोगों के बचाव के लिए टीकाकरण कराते रहने एवं स्वच्छता का ध्यान रखने से रोगों से बचाव किया जा सकता है। -डा ओमप्रकाश साहू, पशु चिकित्सक, भगवान बिरसा जैविक उद्यान
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