डर के आगे जीत
यदि हार निश्चित है तो डर किस बात का खुलके सामना करो शायद यही निडरता आपकी है।
अमन मिश्रा, रांची
यदि हार निश्चित है तो डर किस बात का, खुलके सामना करो शायद यही निडरता आपकी होने वाली हार को जीत में बदल दे। यह महज एक कहावत है, लेकिन हकीकत में यह वो वाकया है जो डर से सामना करना सिखाती है। यहां डर से आशय कोरोना महामारी से है, और जीत इसे छूते हुए आगे बढ़ जाने से है। सप्ताह भर पूर्व रिम्स के एक विभाग के चिकित्सक से कोरोना का डर पूछने लायक था। एक मरीज उनकी देखरेख में आइसीयू में दो दिनों तक भर्ती रहा, बड़ी बात वह कोरोना पॉजिटिव था। इस बात से सभी अंजान थे। जब उसकी मौत हुई तब बात सामने आई। डॉक्टर की उम्र 60 से ज्यादा, दूसरों को हौसला देने लगे की घबराने की बात नही है। जबकि डर उन्हें ही सबसे ज्यादा सता रहा था। हालांकि जांच हुई रिपोर्ट निगेटिव आई, तब जाकर राहत की सांस ली। गलती किसी की सजा किसी को
गजब घटनाएं हो रही है कोरोना काल में। खत्म होने से पहले किसी का तबादला न हो जाए। बड़े अधिकारी घबराने भी लगे हैं कि घटनाएं गलती के रूप में उजागर होने लगी है। इस महामारी की घड़ी में एक गलती स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी से हो गई। उन्हें सूचना मिली कि शहर में एक कोरोना का मरीज मिला है और वह राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में भर्ती है। अधिकारी को लगा कि वह कोविड वार्ड में ही भर्ती होगा, सूचना मिलने के बाद उन्होंने अपने स्तर से कोई कदम नहीं उठाए। रिपोर्ट आने के दो दिन के बाद जब संक्रमित मर गया और पता चला कि वह कोविड वार्ड की बजाय आइसीयू में था और डॉक्टरों को संक्रमण का पता तक नहीं था। सवाल उठाने का देर था, उन्होंने अपनी गलती जानते हुए भी निजी अस्पताल को शो-काज नोटिस भेज दिया। हम नही सुधरेंगे
जिद्दी हैं हम नहीं मानेंगे, करते ही जाएंगे बदमाशिया, कह दो ये जमाने वालों से न ये छीने हमसे आजादियां..हम नहीं सुधरेंगे..हम नहीं सुधरेंगे। यह चंद लाइन साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म गोलमाल अगेन के गाने के बोल हैं। इसी फिल्म की तरह यहां भी असल जिंदगी में भी गोलमाल चल रहा है। कोरोना काल में अस्पताल में बैठे हुए एक बड़े राजनेता ने अपना दरबार फिर से शुरू कर दी है। नेता जी बिहार में अपने जनता दरबार के लिए काफी प्रसिद्ध रहे हैं। जेल में भी यहीं बोलबाला था, अस्पताल में इलाज करने वाले एक वरीय डॉक्टर कोरोना से संक्रमण के खतरे को देखते हुए लोगों से मिलने-जुलने पर पाबंदी लगाई थी। नेता जी 14 तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं, ऊपर से उम्र भी अधिक। चिकित्सकों को डर था कहीं संक्रमण न फैल जाएं। इधर, कुछ दिनों से डॉक्टरों की सलाह को नजरअंदाज कर वहीं पुराने रूप में नेता जी आ गए हैं। निडर कोरोना से बीमारियों को डर
कोरोना का डर लोगों में जितना है उतना ही डर दूसरी बीमारियों को भी कोरोना से लगता है। तीन महीने से सिर्फ कोरोना ही चल रहा है। दूसरी बीमारी इसके डर से छूमंतर हो गई है। अलग-अलग डॉक्टर इसे लेकर अलग-अलग तर्क दे रहे हैं। कोई एक्सपर्ट बता रहा है कि बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी लोगों को कम प्रभावित कर रही है। कोरोना के कारण लोग इतने एहतियात बरत रहे हैं कि हर पांच-दस मिनट में सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं। सफाई के कारण लोगों को मलेरिया, डेंगू तक से छुटकारा मिला है। डॉक्टर कह रहे हैं कि बीमारी तो है, लेकिन कोरोना के डर से लोग अस्पताल ही नहीं पहुंच रहे हैं और बीमारी खुद ठीक हो रही है। जो भी हो कोरोना ने जीवन जीने का नया तरीका दे दिया है।