क्या महिलाओं में पुरुषों के बराबर हार्ट अटैक का खतरा? RIMS की डॉक्टर ने कर दिया सबकुछ क्लियर
रांची में विश्व हृदय दिवस मनाया गया जिसमें हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई। रिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि युवाओं में धूम्रपान और खराब जीवनशैली के कारण हृदय रोग बढ़ रहा है। महिलाओं में भी हार्ट अटैक का खतरा पुरुषों के बराबर है। पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है।

जागरण संवाददाता, रांची। डोंट-मिस-अ-बीट थीम के साथ रविवार को पूरी दुनिया में विश्व हृदय दिवस (वर्ल्ड हार्ट डे) मनाया गया। भारत के लिए यह दिन और भी अहम है, क्योंकि यहां हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
चिंताजनक बात यह है कि अब केवल बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि कम उम्र के युवा भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। यह बात रिम्स कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. हेमंत नारायण ने रांची के होटल रमाडा में आयोजित हार्ट दिवस कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि यूरोप और अमेरिका में जहां 65 वर्ष की आयु के बाद हृदय रोग सामने आते हैं, वहीं भारत में यह समस्या औसतन 45 वर्ष की उम्र में ही पकड़ लेती है। यानी जब व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों और करियर के चरम पर होता है, तब हार्ट बीमारी उसे जकड़ लेती है।
धूम्रपान सबसे बड़ा कारण
उन्होंने बताया कि युवाओं में 90 प्रतिशत हृदय रोग धूम्रपान की वजह से हो रहे हैं। शराब और अल्कोहल की थोड़ी-सी मात्रा भी दिल के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि साफ्ट ड्रिंक तक हृदय को नुकसान पहुंचा सकती है।
सिर्फ रिम्स में ही बीते एक महीने में 570 से अधिक एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की जा चुकी हैं, जो हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या को दर्शाता है।
महिलाएं भी उतनी ही संवेदनशील
इस मौके पर डॉ. श्रेया ने प्रस्तुति देते हुए बताया कि हार्ट अटैक का खतरा महिलाओं में भी पुरुषों के बराबर है। आम धारणा है कि यह बीमारी पुरुषों में अधिक होती है, लेकिन आंकड़े और शोध इसके उलट हैं।
यदि परिवार में मां, बहन या बुआ को 55 वर्ष से पहले और पिता, दादा या चाचा को 65 वर्ष की उम्र से पहले हार्ट अटैक हुआ है, तो अन्य सदस्यों में भी इस बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है।
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