करमा पर्व पर मंईयां सम्मान योजना की 13वीं किस्त जारी, मुख्यमंत्री का मोबाइल पर भावुक संदेश
झारखंड में करमा पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की 13वीं किस्त जारी की गई। इसके तहत पात्र महिलाओं के बैंक खातों में ₹2500 सीधे ट्रांसफर किए गए जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस कदम को महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। यह योजना 2023 में शुरू हुई थी।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड की लाखों महिलाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी। मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की 13वीं किस्त 3 सितंबर को जारी कर दी गई है। इस किस्त के तहत, राज्य की लाखों पात्र महिलाओं के बैंक खातों में ₹2500 की राशि सीधे ट्रांसफर की गई है।
करमा पर्व के अवसर पर जारी की गई यह राशि महिलाओं को आर्थिक रूप से और अधिक मजबूत बनाएगी।
महिलाओं को सम्मान और सहारा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर एक भावुक संदेश जारी किया। उन्होंने कहा, " करम पर्व की खुशियां इस बार होंगी दोगुनी! पिछले एक वर्ष से मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत झारखंड की सभी बहनों के खातों में नियमित रूप से 2500 रुपये की सम्मान राशि पहुंच रही है। मतलब साल के पूरे 30,000, यह संभव हुआ है आप बहनों के अटूट विश्वास और समर्थन से।
स्वालंबी और सशक्त झारखंड के सपने को साकार करने के लिए हमारी सरकार लगातार बहनों के खातों में यह सम्मान राशि भेज रही है, ताकि उन्हें आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भरता मिले।"
सपनों को मिले पंख
कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव व झारखंड सरकार में मंत्री दीपिका सिंह पांडेय ने इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें योजना के एक बड़े कार्यक्रम की झलकियां दिखाई गईं। वीडियो में हजारों महिलाओं की खुशी और उत्साह साफ झलक रहा था।
दीपिका सिंह पांडेय ने इसे "बहनों के सपनों को पंख" बताते हुए कहा कि यह योजना मां के आंचल जैसी सुरक्षा और भाई के स्नेह जैसा विश्वास प्रदान करती है। अपने पैरों पर खड़े होने के लिए यह सिर्फ योजना नहीं, यह महिलाओं के आत्मविश्वास की ताकत है। यह वादा है कि कोई बहन अब अकेली नहीं है, उसके साथ खड़ी है सरकार।
चुनाव से पहले शुरू हुई थी योजना
मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत 2023 में हुई थी और तब से यह राज्य की महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला रही है। इस योजना ने न केवल उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में मदद की है, बल्कि उन्हें समाज में एक सम्मानित स्थान भी दिलाया है।
हालांकि इस योजना से सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ने के आरोप भी लगते रहे हैं। विपक्षी पार्टियां सीधे तौर पर इसके विरोध में बोलने से बचती रही है। कुछ विधायक इसका दायरा बढ़ाने और जरूरतों के पुनर्आकलन की बात जरूर करते हैं।
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