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    हजारीबाग कोयला परियोजना: वन विभाग के जवाबों से वन्यजीवों की सुरक्षा पर खतरा, NGT की जांच रिपोर्ट का इंतजार

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 09:50 AM (IST)

    हजारीबाग कोयला परियोजना में वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में है। वन विभाग ने कोयला ढुलाई के लिए अलग-अलग जानकारी दी है। कन्वेयर बेल्ट की जगह सड़क मार्ग से ढुलाई हो रही है जिससे वन्यजीवों पर खतरा है। एनजीटी ने फरवरी 2025 में जांच रिपोर्ट मांगी है जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है।

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    कन्वेयर बेल्ट से कोयले की ढुलाई नहीं हुई

    राज्य ब्यूरो, रांची। हजारीबाग जिले के पकरी बरवाडीह कोयला परियोजना में पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए लिए कोयले की ढुलाई का काम कन्वेयर बेल्ट से होना है। कोल खनन करने वाली कंपनी के लिए इस शर्त की अनिवार्यता रखी गई है।

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    लेकिन हजारीबाग स्थित वन विभाग के अधिकारियों ने विधानसभा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सूचना के अधिकार से मांगी गई तीन जानकारियों में अलग-अलग तथ्य बताए हैं। इससे कोल खनन क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा की अनदेखी हो रही है।

    कन्वेयर बेल्ट का निर्माण नहीं

    विधानसभा में तत्कालीन विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पर्यावरण मानकों की अनदेखी पर सवाल पूछा था। उसमें वन विभाग ने बताया कि भूमि अधिग्रहण नहींं होने की वजह से इस परियोजना में कन्वेयर बेल्ट का निर्माण नहीं हो सका है, जिससे सड़क मार्ग से ढुलाई करनी पड़ रही है।

    जबकि सूचना अधिकार से मांगी गई जानकारी में कहा गया कि वन विभाग के पास सड़क मार्ग को कोयले की ढुलाई की कोई जानकारी नहीं है। इसी मामले में एनजीटी को सौंपे जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए दिए निर्देश में आंशिक सुधार की वजह से कुछ क्षेत्र में कोयले की ढुलाई सड़क मार्ग से हो रही है।

    जिस संशोधन की बात वन विभाग ने कही है, वह फारेस्ट क्लीयरेंस के लिए है न कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए। तरह तीन जगहों पर एक ही मामले के लिए तीन तरह के जवाब दिए गए।

    अति संरक्षित श्रेणी के वन्यजीवों की है आश्रय स्थली

    हजारीबाग वन्य क्षेत्र में शेड्यूल एक और दो श्रेणी के वन्यजीवों का निवास है। ये अति संरक्षित और संरक्षित श्रेणी में आते हैं। इनकी सुरक्षा के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कोल खनन के बाद उनकी ट्रांसपोर्टिंग के लिए कन्वेयर बेल्ट का उपयोग अनिवार्य बताया था।

    लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में सड़क मार्ग से ही कोयले की ट्रांसपोर्टिंग हो रही है। एनजीटी ने इस मामले में भ्रामक जवाब के बाद फरवरी 2025 में जांच रिपोर्ट मांगी है जिसका अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया गया है।