Jharkhand Forest: पड़ोसी राज्यों में बढ़ा संघर्ष तो झारखंड में आसरा ले रहे वन्यजीव, हाथियों की भी आवाजाही बढ़ी
पलामू टाइगर रिजर्व से लगे जंगलों में वन्यजीवों का संघर्ष बढ़ गया है। कान्हा नेशनल पार्क में बाघों की मौत के बाद वे झारखंड के जंगलों की ओर रुख कर रहे हैं। बेतला में एक नर बाघ और गुमला में एक मादा बाघ देखी गई है। ओडिशा और बंगाल से हाथियों की आवाजाही भी बढ़ी है। पर्यटकों के लिए पलामू टाइगर रिजर्व फिर से खुल गया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। पलामू टाइगर रिजर्व से लगने वाले मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाल के दिनों में वन्यजीवों का संघर्ष बढ़ा है। सप्ताह भर पहले कान्हा नेशनल पार्क में तीन बाघों की जान गई है।
आपसी संघर्ष के बाद बाघ समेत दूसरे जानवर नई टेरेटरी बनाने के लिए झारखंड के जंगल का रुख कर रहे हैं। पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश जेना बताते हैं कि बाघ जैसे वन्यजीव अपना क्षेत्र निर्धारित करते हैं।
झारखंड से सटे दूसरे राज्यों के जंगलों में उनकी क्षमता से अधिक वन्यजीव हो गए हैं। ऐसे में वो राज्य के जंगल तक पहुंच रहे हैं। बेतला के क्षेत्र में एक नर बाघ साल भर से ज्यादा समय से भ्रमण कर रहा है।
अब गुमला के जगलों में एक मादा बाघ के होने की जानकारी मिल रही है। इसके अलावा दूसरे राज्यों से हाथी, हाइना जैसे दूसरे जीव भी अलग-अलग वन क्षेत्र में आ रहे हैं।
हाथियों की संख्या कम हुई लेकिन आवाजाही बढ़ी
दलमा और रांची से सटे वन क्षेत्र में ओडिशा और बंगाल से हाथियों की आवाजाही बढ़ी है। हालांकि, इस कॉरिडोर में लंबे समय से रहने वाले हाथियों की संख्या कम हुई है लेकिन प्रवासी वन्यजीव की गतिविधि बढ़ी है। इसका कारण भी दूसरे राज्यों में इनकी संख्या का बढ़ना है।
वन्य जीव विशेषज्ञ शादाब ने बताया कि झारखंड के जंगलों में अगर इनके अनुकूल व्यवस्था हुई तो ये जीव यहां स्थायी तौर पर भी रह सकते हैं।
पर्यटकों के लिए खुल गया पीटीआर
पलामू टाइगर रिजर्व रविवार से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। मानसून के समय तीन महीनों के लिए इसे बंद किया गया था। पहले इसे 27 सितंबर को खोलने की घोषणा की गई थी।
लेकिन भारी बारिश की वजह से कच्चे ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गए थे। अब पीटीआर में खुली जीप में पर्यटकों को जंगल सफारी कराई जा रही है।
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