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    Champai Soren News: झारखंड में नई सरकार के गठन में क्यों लगे 40 घंटे? यहां समझिए क्या कहता है कानून

    दो दिनों की राजनीतिक उठापटक के बीच राज्यपाल ने सरकार बनाने का निर्णय लिया और चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने करीब 40 घंटे बाद नई सरकार बनी है। पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि राज्यपाल को इस तरह की स्थिति में निर्णय लेने के लिए विधिक राय की जरूरत पड़ती है।

    By Manoj Singh Edited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 03 Feb 2024 12:19 PM (IST)
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    Champai Soren News: झारखंड में नई सरकार के गठन में क्यों लगे 40 घंटे? यहां समझिए क्या कहता है कानून

    राज्य ब्यूरो, रांची। दो दिनों की राजनीतिक उठापटक के बीच राज्यपाल ने सरकार बनाने का निर्णय लिया और चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने करीब 40 घंटे बाद नई सरकार बनी है।

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    पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि राज्यपाल को इस तरह की स्थिति में निर्णय लेने के लिए विधिक राय की जरूरत पड़ती है।

    राज्यपाल को सरकार बनाने के बुलावे पर निर्णय लेने की समय की बाध्यता नहीं है। मामले में विधिक विचार-विमर्श के बाद ही समेकित रूप से निर्णय लिया है।

    उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यूएन राव बनाम इंदिरा गांधी के मामले में वर्ष 1971 में एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था अगर कैबिनेट भंग होती है तो जब तक नई कैबिनेट का गठन नहीं हो जाता है तब तक पुरानी कार्यकारी व्यवस्था जारी रहेगी। ऐसे में अभी सारे लोग कार्य करते रहेंगे।

    हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता ने क्या कुछ कहा 

    हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता ए अल्लाम ने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक मुखिया होते हैं और सरकार बनाने के दावे पर पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही किसी दल को सरकार बनाने का निमंत्रण देते हैं।

    जहां तक देर से निर्णय लेने का सवाल है तो यह पूरी तरह से राज्यपाल के स्वविवेक पर निर्भर करता है, क्योंकि संविधान में इस तरह के मामले में राज्यपाल को निर्णय लेने के लिए कोई समय अवधि निर्धारित नहीं की गई है।

    अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने कहा कि वर्तमान स्थिति में राज्यपाल की सलाह से मुख्य सचिव जरूरी कार्यों को पूरा कर सकते हैं, क्योंकि इस दौरान कैबिनेट भंग हो चुकी है। देरी को सरकार के नहीं रहने के रूप में नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि उस दौरान सबकुछ राज्यपाल पर निर्भर करता है।

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