Jharkhand Monsoon 2025: खुशखबरी! 16 साल बाद झारखंड में इतनी जल्दी दस्तक देगा मानसून, किसानों को होगा फायदा
रांची समेत पूरे राज्य में प्री-मानसून वर्षा की संभावना है। मौसम विभाग ने 30 मई तक वर्षा का अलर्ट जारी किया है। अनुमान है कि 3 से 5 जून तक मानसून झारखंड में प्रवेश कर सकता है जिससे किसानों को लाभ होगा। झारखंड में 80% से अधिक खेती मानसून पर निर्भर है।

कुमार गौरव, रांची। Jharkhand Weather Today: राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में प्री-मानसून के दौरान अच्छी वर्षा होने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची ने अलर्ट जारी करते हुए बताया कि 30 मई तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में वर्षापात होने की पूरी संभावना है। इसको लेकर लगातार यलो अलर्ट भी जारी किया जा रहा है।
कहीं-कहीं मेघगर्जन के साथ 40 से 50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवा बहने और बिजली गिरने की संभावना है। इन संभावनाओं के बीच बताया गया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 मई को केरल में दस्तक दे चुका है, जबकि मानसून आने की सामान्य तिथि 1 जून है। इस प्रकार दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तिथि से 8 दिन पूर्व केरल में दस्तक दे चुका है।
मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद की माने तो वर्ष 2009 के बाद यह केरल में मानसून के आगमन की सबसे प्रारंभिक तिथि है, जब 23 मई 2009 को केरल में मानसून ने दस्तक दी थी।
1975 से प्रारंभ तिथियों पर विचार करते हुए केरल में मानसून का सबसे प्रारंभिक आगमन 1990 (19 मई, 1990) में हुआ था, जो सामान्य प्रारंभ तिथि से 13 दिन पहले था। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड में भी मानसून समय से पूर्व प्रवेश करेगा।
अभिषेक आनंद ने बताया कि इस बार झारखंड सहित कई मध्यवर्ती राज्यों में प्री-मानसून की वर्षा भी समय से पूर्व हो रही है। इसलिए मानसून के समय से पूर्व आने की सभी परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि 3 से 5 जून तक मानसून झारखंड में दस्तक दे सकता है। बताया कि इस बार झारखंड में मानसून अच्छा रहने वाला है। वहीं, कृषि विज्ञानी कहते हैं कि यदि समय से पूर्व मानसून का प्रवेश होता है और अच्छी वर्षा होती है तो किसानी को भी बल मिलेगा।
झारखंड में 80 प्रतिशत से अधिक खेती मानसून पर है निर्भर
झारखंड में 80 प्रतिशत से अधिक खेती मानसून पर ही निर्भर है। यदि मानसून के दौरान अच्छी वर्षा न हो, तो कई क्षेत्रों में पेयजल संकट की भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
मौसम विज्ञान केंद्र रांची की ओर से जारी रिपोर्ट में इस वर्ष अच्छी वर्षा होने के संकेत दिए गए हैं। राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान वर्षा के जो आंकड़े है, उससे साफ हो जाता है कि इस दौरान किसी भी वर्ष सामान्य वर्षापात नहीं हुए। हर वर्ष सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड की गई।
हालांकि, 2013 में सामान्य वर्षा का जो आंकड़ा था, उसे पांच-पांच के अंतराल के बाद कम किया जाता रहा, लेकिन उसके बावजूद सामान्य वर्षा के आंकड़े को छू पाने में सफलता नहीं मिली। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013 में 1091.9 मिमी सामान्य वर्षा का अनुमान था, लेकिन 844.9 मिमी वर्षा हुई।
वर्ष 2014 में 930.3, 2015 में 951.9, 2016 में 1101.6, 2017 में 988.1 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। जिसके बाद मौसम विभाग की ओर से राज्य में सामान्य वर्षा का अनुमान कम कर 1055.7 मिमी कर दिया गया लेकिन वर्ष 2018 में 785 मिमी वर्षा हुई। इसके बाद वर्ष 2019 में 858.9, 2020 में 902.4, 2021 में 1041.5 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।
पांच वर्ष के बाद राज्य में एक बार फिर सामान्य वर्षा का अनुमान और कम कर 1022.9 मिमी कर दिया गया लेकिन वर्ष 2022 में सिर्फ 817.6 मिमी वर्षा हुई।
वर्ष 2023 में सामान्य से 27 प्रतिशत कम वर्षा हुई। इस वर्ष राज्य में 1022.9 मिमी सामान्य वर्षा की जगह 751.6 मिमी वर्षा हुई। वहीं वर्ष 2024 में मानसून सामान्य रहा था। एक जून से लेकर 30 सितंबर तक राज्य में 1011.6 मिमी वर्षा हुई थी। यह मानसून के दौरान होने वाली सामान्य वर्षा से एक प्रतिशत ही कम थी।
किस वर्ष कब मानसून ने किया प्रवेश
- वर्ष 2020 : 13 जून
- वर्ष 2021 : 12 जून
- वर्ष 2022 : 18 जून
- वर्ष 2023 : 15 जून
- वर्ष 2024 : 14 जून
- वर्ष 2025 अनुमानित : 3 से 5 जून
ये है मानसून के आगमन के संकेत
मौसम विभाग की ओर से मानसून के आगमन की घोषणा कई बदलाव को ध्यान में रख कर की जाती है। इसके अनुसार मानसून का आगमन तभी घोषित होगा, जब दो दिन में कम से कम 2.5 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। पश्चिमी हवा का प्रभाव नहीं के बराबर होना चाहिए। निचले स्तर पर बादल की प्रमुखता होनी चाहिए। हालां, इससे पहले मार्च से जून के पहले सप्ताह के बीच प्री-मानसून वर्षा होती है।कैसे होती है।
मानूसन की उत्पत्ति
गर्मी के मौसम में जब हिंद महासागर में सूर्य की किरणें विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होती है, तो मानसून का निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में समुद्र की सतह गर्म होने लगती है। उसका तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस दौरान धरती का तापमान 45 से 46 डिग्री तक पहुंच जाता है।
ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय हो जातीं हैं। ये हवाएं एक-दूसरे को आपस में काटते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की ओर बढ़ने लगती है।
इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। विषुवत रेखा पार कर ये हवाएं और बादल वर्षा करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की ओर बढ़ते हैं। जिस कारण देश भर में वर्षा होती है।
30 मई तक वर्षापात की है संभावना
मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि राज्य में अगले 24 घंटे के दौरान कई स्थानों पर मेघगर्जन के साथ हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा होने की प्रबल संभावना है, इसे लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि 25 मई को कई स्थानों पर भारी वर्षापात की संभावना है। कहीं कहीं मेघगर्जन के साथ 40 से 50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवा बहने और बिजली गिरने की संभावना है, इसे लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि इन जिलों में यह स्थिति 30 मई तक बनी रहेगी।
राज्य के अधिकतम तापमान में नहीं होगा बदलाव
मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि राज्य में 25 मई को कई स्थानों पर मेघगर्जन के साथ हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा होने की प्रबल संभावना है। जबकि अगले पांच दिनों तक यानी 25, 26, 27, 28 और 29 मई तक अधिकतम तापमान में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।
वहीं 25 से 30 मई तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना है। झारखंड में पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में अधिकांश स्थानों पर मेघगर्जन और बिजली गिरने की घटनाओं के साथ हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा हुई।
सबसे अधिक वर्षा 64.4 मिमी पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा में हुई। सबसे अधिक अधिकतम तापमान 37.3 डिग्री सेल्सियस डाल्टेनगंज का और सबसे कम न्यूनतम तापमान 21.1 डिग्री सेल्सियस लातेहार में रिकार्ड किया गया। वहीं राजधानी रांची का अधिकतम 31.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
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