Jharkhand News: हम होंगे कामयाब.. झारखंड में मत्स्य पालन में अपार संभावनाएं, रुकेगा पलायन
झारखंड मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर है। हर साल मछली उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2023-24 में राज्य में 3.10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन था जो बढ़कर वर्ष 2024-25 में 3.63 लाख मीट्रिक टन हो गया। विभाग की मंशा है कि राज्य से पलायन को रोकने के लिए मछली पालन से लोगों को जोड़ा जाए। इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।

मनोज सिंह, रांची । झारखंड मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इसमें बड़ा योगदान मछली पालन से जुड़े मत्स्य पालकों का है। हर साल मछली उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2023-24 में राज्य में 3.10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन था।
वर्ष 2024-25 में बढ़कर यह 3.63 लाख मीट्रिक टन हो गया। इस साल 4.10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। विभाग की मंशा है कि राज्य से पलायन को रोकने के लिए मछली पालन से लोगों को जोड़ा जाए। इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
इसके तहत राज्य में बंद पड़ी खदान, तालाब और जलाशयों में केज कल्चर सहित अन्य संसाधनों के जरिए मछली का पालन किया जा रहा है। राज्य सरकार के अलावा पीएम मत्स्य संपदा योजना के जरिए लोगों को अनुदान पर केज, बायोफ्लाक्स, रास सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
वर्तमान में 1.73 लाख मछली पालक इस व्यवसाय से जुड़े हैं। मछली बीज का उत्पादन बढ़ा : मत्स्य निदेशक डा. एचएन द्विवेदी ने बताया कि राज्य में स्थानीय स्तर पर मछली के बीज पैदा करने की कोशिश जारी है।
राज्य के लगभग साढ़े सात हजार किसानों को मछली के बीज उत्पादन करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इनके जरिए राज्य में मछली पालन के लिए बीज उत्पादन कराया जा रहा है।
सरकार की ओर से मत्स्य बीज पालक को जाल, स्पान और उन्हें खिलाने के लिए चारा भी अनुदान राशि पर उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर कोई मत्स्य बीज उत्पादक बनना चाहता है तो उन्हें विभाग से संपर्क कर अपना पंजीयन कराना होगा।
विभाग और झास्कोफिश, पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुदान पर मछली फीड मिल लगाने के लिए सहकारी समितियों और पालकों को राशि मुहैया करा रहा है।
सरकार और केंद्र की योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को एनएफडीपी की वेबसाइट पर किसानों को पंजीयन कराना होगा। मछली पालन के लिए किसानों को केसीसी का भी लाभ मिल रहा है।
आवास और जीवन बीमा का भी लाभ
राज्य में अभी कुल 1.73 लाख मछली पालक है। जिन्हें वेद ब्यास आवास योजना के तहत घर, सामूहिक दुर्घटना बीमा के लिए पांच लाख रुपये और अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
विभाग की ओर से पलायन रोकने के लिए स्थानीय युवाओं को इस व्यवसाय से जोड़ने का प्रयास जारी है। निजी हैचरी (बीज उत्पादन) के संचालन के लिए भी सरकार सहायता प्रदान कर रही है।
राज्य में करीब 30 प्रतिशत बीज का उत्पादन किया जा रहा है। इसी क्रम में देवघर के गिधनी में ब्रूड बैंक बनाया जा रहा है, जहां से किसान मेल-फीमेल मछली ले जाकर बीज का उत्पादन कर सकते हैं।
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