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    कल है विवाह पंचमी, लेकिन इस दिन नहीं रचाई जाती शादियां

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 07 Dec 2021 06:28 AM (IST)

    हर साल मार्गशीष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विवाह पंचमी के रूप में मनाई जाती है।

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    कल है विवाह पंचमी, लेकिन इस दिन नहीं रचाई जाती शादियां

    जासं, रांची: हर साल मार्गशीष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विवाह पंचमी के रूप में मनाई जाती है। यह वही दिन है जब भगवान राम व माता सीता विवाह के पावन बंधन में बंधे थे। इस दिन राम मंदिरों में विशेष आयोजन किया जाता है। भगवान राम और माता सीता भारतीय जनमानस में प्रेम, समर्पण, उदात्त मूल्य और आदर्श के परिचायक पति-पत्नी हैं। राम और सीता जैसा समर्पण पुराणों में विरले ही देखने को मिल जात हैं। यूं तो हमारे समाज में राम और सीता को आदर्श पति-पत्नी के रूप में स्वीकारा, सराहा और पूजा जाता है। लेकिन फिर भी विवाह पंचमी के दिन विवाह करना सही नहीं माना जाता है। इसका कारण है राम-सीता के विवाह के बाद का उनका कष्ट भरा जीवन। 14 साल वनवास के बाद भी सीता माता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पद। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने गर्भवती सीता का परित्याग किया और माता सीता का आगे का सारा जीवन अपने जुड़वां बच्चों लव और कुश के साथ वन में ही बीता। यही वजह है कि विवाह पंचमी के दिन लोग बेटियों की शादी नहीं करते हैं। शायद उनके मन में यह भय व्याप्त है की कहीं माता सीता की तरह उनकी बेटी का वैवाहिक जीवन दुखमय न हो। विवाह पंचमी की धार्मिक मान्यता:

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    दैवज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राम और देवी सीता भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अवतार है। भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जन्म लिया था। पुराणों में कथन है जब सीता छोटी थीं तब उन्होंने मंदिर में रखा शिव धनुष बड़ी ही सहजता से उठा लिया था। तब राजा जनक ने यह घोषणा की कि जो भी इस धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उससे सीता का विवाह होगा। उसके उपरांत सीता स्वयंवर रचा गया जिसमें महर्षि वशिष्ठ के साथ आए भगवान राम ने उनके आदेशानुसार धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास करने लगे इस तरह उन्होंने स्वयंवर की शर्त को पूरा किया और सीता से विवाह के लिए योग्य पाए गए। पूजा की विधि: सबसे पहले स्नान के बाद प्रभु राम और माता सीता को स्मरण करके मन में व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान राम को पीले वस्त्र व माता सीता को लाल वस्त्र पहनाएं। इसके बाद रोली, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप आदि से उनका पूजन करें। प्रसाद चढ़ाएं और विवाह पंचमी की कथा पढ़ें। पूजन के बाद अपने जीवन में आए संकटों को दूर करने की प्रार्थना करें। जनकपुर व अयोध्या में होता है भव्य आयोजन: विवाह पंचमी के दिन पूजा राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है। अयोध्या में इस दिन को बड़े महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी, बुधवार को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। हर साल इस दिन को भगवान राम और माता सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सीता-राम के मंदिरों में विशाल आयोजन होते हैं। इस दिन अयोध्या और नेपाल के जनकपुर में विशेष तैयारियां होती हैं और राम जी की बारात निकाली जाती है। भक्त पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान एवं रामचरितमानस का पाठ करते हैं। ये है शुभ मुहूर्त :

    विवाह पंचमी तिथि आरंभ-प्रात: 07 दिसंबर को 04 बजकर 53 मिनट से विवाह पंचमी तिथि समाप्त-08 दिसंबर 2021 को रात 03 बजकर 08 मिनट तक

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