Drone Technology: बीआइटी मेसरा से निकला विजन-ड्रोन, रक्षा से लेकर डिलीवरी तक में करेगा कमाल
बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआइटी) मेसरा का छात्र नवनीत ने ऐसा अभिनव प्रोजेक्ट तैयार किया है जो आने वाले समय में ड्रोन टेक्नोलाजी में क्रांति ला सकता है। नवनीत बीआइटी मेसरा में मास्टर इन डेटा साइंस के छात्र हैं। उसने हाल ही में एक विजन ड्रोन विकसित किया है। इस ड्रोन की खासियत यह है कि यह पूरी तरह 5जी नेटवर्क और आप्टिकल फाइबर आधारित कंट्रोल सिस्टम पर काम करता है।

जागरण संवाददाता, रांची । झारखंड की धरती हमेशा से प्रतिभाओं की जननी रही है। यहां से कई ऐसे युवा सामने आए हैं जिन्होंने अपने नवाचार और मेहनत के दम पर न केवल राज्य बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।
इसी कड़ी में बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआइटी) मेसरा के एक छात्र नवनीत ने ऐसा अभिनव प्रोजेक्ट तैयार किया है, जो आने वाले समय में ड्रोन टेक्नोलाजी में क्रांति ला सकता है।
नवनीत बीआइटी मेसरा में मास्टर इन डेटा साइंस के छात्र हैं। उसने हाल ही में एक विजन ड्रोन विकसित किया है। इस ड्रोन की खासियत यह है कि यह पूरी तरह 5जी नेटवर्क और आप्टिकल फाइबर आधारित कंट्रोल सिस्टम पर काम करता है।
यही नहीं, इसे दुनिया के किसी भी कोने से सुरक्षित तरीके से उड़ाया और नियंत्रित किया जा सकता है। यह तकनीक न केवल अनूठी है बल्कि हैकिंग से भी सुरक्षित है, जो इसे पारंपरिक रेडियो सिग्नल आधारित ड्रोन से आगे ले जाती है।
सुरक्षित और अत्याधुनिक तकनीक
नवनीत बताते हैं कि अब तक ड्रोन मुख्य रूप से रेडियो सिग्नल पर आधारित होकर उड़ाए जाते रहे हैं। इनकी सबसे बड़ी चुनौती सीमित रेंज और सुरक्षा की समस्या रही है। लेकिन विजन ड्रोन में आप्टिकल फाइबर कंट्रोल सिस्टम और 5जी नेटवर्क की मदद से इन कमियों को दूर किया गया है।
यह ड्रोन इंटरनेट की दुनिया में एक नई क्रांति की तरह है। इसे केवल कोडिंग और इंटरनेट के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें लगे हाई-रिजाल्यूशन लेंस के जरिए ड्रोन के रेंज में आने वाली हर वस्तु को आसानी से देखा जा सकता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह सिस्टम हैकिंग से सुरक्षित है और लंबी दूरी पर भी भरोसेमंद तरीके से काम करता है। रेडियो सिग्नल नहीं होने की वजह से यह शहर के इमारतों के बीच सिग्नल जाने का डर भी नहीं होगा। जिस वजह से शहर में होने वाले दंगे या हादसे या आतंकी गतिविधियों में दूर बैठे ही आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
यूनाइटेड किंगडम से कई ड्रोन खरीदे गए
यह तकनीक केवल प्रयोगशाला या डेमो तक सीमित नहीं रही। नवनीत ने अपने शिक्षकों की मदद से इस प्रोजेक्ट को व्यावहारिक रूप भी दिया है।
उन्होंने बताया कि यूनाइटेड किंगडम के एक क्लाइंट ने उनकी टीम से कई ड्रोन खरीदे हैं। वहां इनका उपयोग शहर के भीतर डिलीवरी से लेकर एक शहर से दूसरे शहर तक सामान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
5जी नेटवर्क का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इन ड्रोन को उड़ाने के लिए किसी अतिरिक्त ग्राउंड स्टेशन या रेडियो सिग्नल की आवश्यकता नहीं होती। केवल इंटरनेट कनेक्शन ही पर्याप्त है। इससे शहरी इलाकों में भी यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो रही है।
झारखंड में सेटअप की तैयारी
नवनीत का सपना है कि इस तकनीक का लाभ झारखंड को भी मिले। उन्होंने बताया कि राज्य में इस प्रोजेक्ट को फैलाने और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एमएसएमई द्वारा ग्रांट दिया जा रहा है।
इसके तहत एक कंपनी सेटअप की जाएगी, जिससे ड्रोन का स्थानीय स्तर पर निर्माण और उपयोग शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया कि झारखंड ड्रोन युग की शुरुआत के लिए तैयार है।
यहां स्टार्टअप और उद्योग के लिए वातावरण तेजी से बदल रहा है। यदि यह तकनीक सही तरीके से स्थापित हो जाए तो आने वाले वर्षों में झारखंड ड्रोन निर्माण और तकनीकी नवाचार का बड़ा केंद्र बन सकता है।
रक्षा और आपदा प्रबंधन में संभावनाएं
हाल ही में रांची में आयोजित ईस्ट टेक डिफेंस एक्सपो 2025 में नवनीत ने अपने इस प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्हें सेना अधिकारियों और कई बटालियनों से बातचीत का मौका मिला।
उन्होंने बताया कि रक्षा क्षेत्र में सुरक्षित और लंबी दूरी तक संचालित किए जा सकने वाले ड्रोन की बहुत आवश्यकता है। सेना अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट में गहरी रुचि दिखाई है।
यह तकनीक भविष्य में भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। उदाहरण के तौर पर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाना, जंगलों में निगरानी रखना या फिर बड़े आयोजनों में सुरक्षा सुनिश्चित करना, इन सबमें विजन ड्रोन अहम भूमिका निभा सकता है।
वैश्विक स्तर पर मानक स्थापित करने का सपना
नवनीत का लक्ष्य केवल भारत तक सीमित नहीं है। उनका उद्देश्य है कि यह तकनीक वैश्विक स्तर पर ड्रोन क्षेत्र में एक मानक स्थापित करे। उन्होंने कहा कि भारत से विकसित यह इनोवेशन पूरी दुनिया में ड्रोन उद्योग के लिए दिशा-निर्देशक बन सकता है।
उनका मानना है कि यदि देश के युवा सही दिशा में मेहनत करें तो भारत तकनीकी नवाचार में किसी भी विकसित देश से पीछे नहीं रहेगा।
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