रांची के जिस गांव को सांसद ने लिया था गोद, वहां जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर लोग
विश्रामपुर के राजखाड़ गांव में आजादी के इतने साल बाद भी विकास नहीं पहुंचा है। धुरिया नदी पर पुल न होने से ग्रामीणों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मरीजों को अस्पताल और बच्चों को स्कूल जाने में जान जोखिम में डालनी पड़ती है। यह पंचायत सांसद वीडी राम द्वारा आदर्श पंचायत के रूप में गोद ली गई है फिर भी स्थिति जस की तस है।

संवाद सूत्र, विश्रामपुर (पलामू)। अगर विकास का कड़वा सच देखना हो तो विश्रामपुर प्रखंड अंतर्गत घासीदाग पंचायत के राजखाड़ गांव आइए। आजादी के 78 साल बाद भी यहां की तस्वीर नहीं बदली है। गांव के बाहरी हिस्से से बहने वाली धुरिया नदी पर आज तक पुल नहीं बन सका, जिसके कारण ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
बीते शनिवार को इसी समस्या का सामना 55 वर्षीय धनेश्वरी देवी (पति लखन राम) को करना पड़ा। अचानक तबीयत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने उन्हें खटिया पर लादकर इलाज के लिए नदी पार कराने की कोशिश की। लेकिन तेज बहाव के कारण बीच रास्ते ही लौटना पड़ा। मजबूरी में उन्हें गांव वापस लाकर स्थानीय डॉक्टर से उपचार कराना पड़ा।
जान जोखिम में डालकर जी रहे हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई सामान्य नदी नहीं, बल्कि बरसात में उफान मारने वाली धारा है, जो गांव को बाकी दुनिया से पूरी तरह काट देती है। गांव के सुनील राम ने कहा कि आजादी के 78 साल बाद भी यह पंचायत मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
यहां न तो पक्की सड़क है और न ही पुल। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरतों के लिए हमें रोजाना जद्दोजहद करनी पड़ती है। बच्चों को स्कूल जाने और मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर सीधा असर
पुल नहीं होने से केवल मरीजों की जान ही खतरे में नहीं पड़ती, बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित होती है। बरसात के दिनों में स्कूल तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाता है। कई बार पूरे-पूरे दिन बच्चों को घर पर ही रहना पड़ता है।
विडंबना यह है कि यही पंचायत सांसद वीडी राम द्वारा आदर्श पंचायत के रूप में गोद लिया गया है। ग्रामीण सवाल उठाते हैं कि क्या आदर्श का मतलब सिर्फ कागजों में विकास दिखाना है? हकीकत यह है कि हम आज भी अपने पूर्वजों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। पुल के अभाव में हर बार हमारे सपनों पर पानी फिर जाता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
विश्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार ने बताया कि घासीदाग पंचायत के स्वास्थ्य केंद्र में स्थायी डॉक्टर नियुक्त नहीं है।
वहीं, प्रखंड प्रमुख रंभा कुमारी ने कहा कि यह पंचायत सांसद का गोद लिया हुआ क्षेत्र है, बावजूद इसके बरसात में पुल नहीं रहने से ग्रामीणों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।
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