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    Virendra Ram On Remand: वीरेंद्र राम के कमीशन गैंग में शामिल हैं दो दर्जन नेता और नौकरशाह, ED उगलवा रही राज

    By Dilip KumarEdited By: Prateek Jain
    Updated: Sat, 25 Feb 2023 10:06 PM (IST)

    Jharkhand ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से ईडी के अधिकारी पिछले दो दिनों से रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रहे हैं। अब तक की पूछताछ में यह स्पष्ट हो गया है कि वीरेंद्र राम के कमीशन गैंग में दो दर्जन से अधिक नेता व नौकरशाह शामिल हैं।

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    मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से ईडी के अधिकारी पिछले दो दिनों से रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रहे हैं।

    रांची, राज्य ब्यूरो: ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से ईडी के अधिकारी पिछले दो दिनों से रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रहे हैं। अब तक की पूछताछ में यह स्पष्ट हो गया है कि वीरेंद्र राम के कमीशन गैंग में दो दर्जन से अधिक नेता व नौकरशाह शामिल हैं।

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    रिमांड पर एक-एक कर वीरेंद्र राम सबके नाम उगल रहे हैं। ईडी सभी नामों को कलमबद्ध करती जा रही है, जिनसे भविष्य में समन कर पूछताछ की संभावना बनती जा रही है।

    ईडी ने गोपनीय रखे हैं नाम

    कइयों के नाम ईडी के पास आ चुके हैं, लेकिन गोपनीयता भंग न हो और अनुसंधान प्रभावित न हो, इसके चलते अभी उन नामों को उजागर नहीं किया जा रहा है।

    ईडी ने झारखंड पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को भी चिट्ठी लिखकर वीरेंद्र राम के बारे में जानकारी मांगी है। ईडी ने एसीबी से पूछा है कि जमशेदपुर के केस में वीरेंद्र राम व उनके रिश्तेदार आलोक रंजन के विरुद्ध एसीबी ने चार्जशीट तो की, लेकिन उसके बाद क्या पहल की?

    क्या वीरेंद्र राम के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए प्रारंभिक जांच (पीई) अथवा प्राथमिकी दर्ज की गई है। अगर नहीं की गई है तो इसका मूल कारण क्या है? ईडी ने एसीबी को इससे संबंधित दस्तावेज भी ईडी को उपलब्ध कराने के लिए लिखा है।

    एसीबी ने आधा दर्जन बार पीई के लिए मांगी थी अनुमति, नहीं मिली

    इधर, एसीबी से जो सूचना मिली है, उसके अनुसार वीरेंद्र राम पर प्रारंभिक जांच (पीई) की अनुमति के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने आधा दर्जन बार मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से पत्राचार किया। लगातार पत्राचार के बावजूद एसीबी को पीई दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली।

    सूचना है कि मंत्रिमंडल सचिवालय व निगरानी विभाग की ओर से भी वीरेंद्र राम के पैतृक विभाग से ही मंतव्य मांगा जाता रहा, जहां वीरेंद्र राम अपनी पहुंच के बल पर उसे रोकवा देते थे।

    यही वजह है कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को न तो मंतव्य मिलता था और न हीं एसीबी को पीई की अनुमति ही मिल पाती थी।