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    जनजातीय समाज के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा विकास भारती Ranchi News

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Sun, 29 Sep 2019 07:34 PM (IST)

    Jharkhand. शिक्षा स्वास्थ्य जल संरक्षण कृषि खाद्य प्रसंस्करण बागवानी आदि क्षेत्र में संस्था काम कर रही है और समाज के निचले तबके को समृद्ध बना रही है।

    जनजातीय समाज के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा विकास भारती Ranchi News

    रांची, जासं। विकास भारती बिशुनपुर एक स्वैच्छिक संस्था है जिसकी जड़ें जनजातीय राज्य झारखंड की मिट्टी से जुड़ी हुई हैं। अपनी 36 वर्षों की यात्रा में संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, जल संरक्षण पारिस्थितिक संरक्षण, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, बागवानी, मधुमक्खी पालन एवं अन्य बहुत सी चीजों में झारखंड की जनजातियों को सक्षम बना रही है। संस्था के अच्छे कार्य राज्य स्तर पर फैले हुए हैं। विकास भारती ने ग्रामीणों के परंपरागत कौशल एवं कला में वृद्धि कर स्वरोजगार एवं स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त किया है।

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    संस्था ने ग्रामीण जन समुदाय को तकनीकी निवेश, वित्तीय निवेश, विपणन तंत्र एवं मानव संसाधन विकास में सहयोग किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हीं कामों को देखने के लिए रविवार को बिशुनपुर आने वाले थे। लेकिन लगातार हो रही भारी बारिश के कारण उनकी यात्रा अंतिम समय में टल गई। आइए जानते हैं संस्था के कार्यों को।

    संस्था के प्रमुख कार्य

    • कमजोर समुदायों से संबंधित बच्चों के शैक्षिक अधिकारों के अनुरूप शिक्षा का प्रचार।
    • स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य विज्ञान, खाद्य सुरक्षा आदि।
    • कमजोर वर्गों के बेरोजगार युवाओं के काम के अधिकार के अनुरूप व्यावसायिक कौशल विकास।
    • कमजोर समुदायों के भोजन के अधिकार के अनुरूप आजीविका।
    • मौसम परिवर्तन के अनुरूप प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन।
    • महिला एवं बच्चों के अधिकार के अनुरूप महिला सशक्तिकरण।
    • शासन में भागीदारी और सरकारी लाभों तक पहुंच के अधिकार के अनुरूप समुदाय आधारित संस्थाओं का निर्माण।
    • सर्वेक्षण, अनुसंधान और कार्यशाला के माध्यम से कमजोर समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी सेवा प्रदाताओं एवं समुदाय के लोगों को संवेदनशील बनाना।

    संस्था के कार्य क्षेत्रों में विकास का प्रमाण

    • गुमला जिले के आदिम जनजाति समूहों के व्यवहार में परिवर्तन आया है। आदिम जनजातियां अपनी आजीविका हेतु जानवरों का शिकार करने को छोड़कर कृषि कार्यों में स्थानांतरित हुई हैं।
    • अनुसूचित जातियों एवं आदिम जनजातियों में स्वास्थ्य एवं साफ-सफाई की आदतों में जागरुकता आई है।
    • विविध जल जनित बीमारियों विशेष रूप से मलेरिया से सुरक्षा के उपायों के प्रति लोग सचेत हुए हैं।
    • संस्था द्वारा गुमला जिला में शिक्षा के प्रचार हेतु स्थापित किए गए मॉडल का पूरे झारखंड में बिहार में अनुकरण किया गया।
    • समुदाय को जागरूक कर 1200 फीट की ऊंचाई पर सातो बांध के निर्माण में कृषि योजनाकारों एवं अभियंताओं की आंख खोलने का काम किया है।

    विकास के क्षेत्र में संस्था के योगदान को निम्नांकित फोरम में पहचान मिली

    • पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सामाजिक वानिकी कार्यक्रम हेतु संस्था को इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार 1991।
    • कुमार सभा पुस्तकालय कोलकाता द्वारा विवेकानंद सेवा पुरस्कार 1992।
    • सर्वोत्तम सामाजिक सेवा हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भाऊराव सेवा सम्मान 2006।
    • हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट देहरादून के संस्थापक एवं एक सामाजिक, दार्शनिक योगी डॉ. स्वामी रामा की यादगार में स्वामी रामा ह्युमैनिटेरियन पुरस्कार 2008।
    • ग्रामीणों के लिए सराहनीय सेवाओं हेतु जन कल्याण समिति महाराष्ट्र से श्री गुरुजी सम्मान।
    • महावीर फाउंडेशन चेन्नई से झारखंड में सामाजिक कार्य हेतु भगवान महावीर पुरस्कार।
    • 2015 में पद्मश्री अलंकरण।
    • 2016 में राष्ट्रीय पर्यावरणविदों की संस्था से उत्कृष्ट कार्य हेतु उत्कृष्टता पुरस्कार।

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