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मानव तस्‍करी : यहां पढ़िए पूरी पड़ताल, झारखंड में आखिर क्‍यों बरपा आलोक वर्मा के नाम पर हंगामा

दैनिक जागरण की टीम ने आरोपित आलोक वर्मा और उसके घर को दिल्‍ली के वसंत विहार में खोज निकाला। जबकि तीसरे दिन भी पीडि़ता का 164 का बयान दर्ज नहीं हो सका।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:56 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 11:52 AM (IST)
मानव तस्‍करी : यहां पढ़िए पूरी पड़ताल, झारखंड में आखिर क्‍यों बरपा आलोक वर्मा के नाम पर हंगामा
मानव तस्‍करी : यहां पढ़िए पूरी पड़ताल, झारखंड में आखिर क्‍यों बरपा आलोक वर्मा के नाम पर हंगामा

रांची/नई दिल्ली, जेएनएन। सीबीआइ निदेशक नहीं, कंसल्टेंट आलोक वर्मा के घर बंधक थी पीडि़ता। मानव तस्करी कर मांडर की जिस युवती को दिल्ली में बंधक बनाकर रखा गया था, उसका असली पता और आरोपित आलोक वर्मा को दैनिक जागरण ने आखिरकार ढूंढ निकाला। युवती दिल्ली के वसंत विहार में मकान नंबर बी-2/7 में रहने वाले आलोक वर्मा के घर रहकर काम कर रही थी। यह आलोक वर्मा सीबीआइ निदेशक नहीं बल्कि एक प्राइवेट कंपनी में फाइनेंशियल कंसल्टेंट हैं।

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युवती उनके माता-पिता के उसी इलाके में स्थित मकान नंबर बी-2/13 में भी कभी-कभी काम करने जाती थी। उनके वृद्ध पिता के धोखे में ही युवती ने दिल्ली के पूर्व कमिश्नर बीएस बस्सी की तस्वीर की पहचान की है। महिला आयोग को दिए बयान में युवती ने इन्हीं दो मकानों का जिक्र किया था और कहा था कि वह आलोक वर्मा के घर में काम करती थी। यह आलोक वर्मा कौन हैं, इस पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे।

दैनिक जागरण की टीम ने एक साथ दिल्ली, रांची और मांडर में इस मामले में गहन पड़ताल की तो साफ हुआ कि इस प्रकरण से सीबीआइ निदेशक सहित किसी भी बहुत बड़े आदमी का सीधा लेना-देना नहीं है। यह सारा खेल मानव तस्करों और उनकी ऊंची पहुंच का है, जिस पर पुलिस-प्रशासन सहित पूरा सरकारी तंत्र कभी प्रभावी रूप से अंकुश नहीं लगा पाया है।

दोनों मकान आलोक वर्मा के : दैनिक जागरण की टीम गुरुवार को वसंत विहार के बी-2/7 और बी-2/13 में पहुंची। बी-2/13 ग्राउंड फ्लोर में मिली घरेलू सहायिका ने बताया कि यहां पर आलोक वर्मा के माता-पिता रहते हैं। आलोक वर्मा भी पहले यहीं रहते थे। लेकिन तीन-चार माह पहले वह पास में स्थित बी-2/7 के सेकंड फ्लोर के फ्लैट में शिफ्ट हो गए हैं।

हालांकि टीम ने पाया कि आलोक वर्मा के नाम से पत्र आदि अब भी इस पते पर आते हैं। इस घर के लैंडलाइन नंबर पर बात करने पर डॉ. एपी वर्मा ने फोन रिसीव किया और बताया कि झारखंड की जिस घरेलू सहायिका को लेकर हंगामा मचा है वह मामला अब सुलझा लिया गया है। उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले आलोक वर्मा सीबीआई में नहीं हैं बल्कि वह एक यंग प्रोफेशनल हैं।

एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि बी-2/13 में फिलहाल अमिताभ वर्मा, शालिनी वर्मा, डॉ. एपी वर्मा रहते हैं। वहीं, बी-2/7 सेकंड फ्लोर पर पहुंचने पर फ्लैट में मिली महिला ने बताया कि आलोक वर्मा बाहर गए हुए हैं। झारखंड की युवती के मामले पर उन्होंने कहा कि इस बारे में आलोक वर्मा से ही शनिवार को लौटने के बाद कुछ बता सकते हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि ये आलोक वर्मा सीबीआई वाले नहीं हैं।

शेल्टर होम में है युवती : इस बीच रांची पुलिस आरोपितों की पहचान और तलाश की कोशिश में ही लगी हुई है। तीन दिन बाद भी उसने अब तक पीडि़त युवती का कोर्ट में 164 का बयान तक नहीं कराया है। उसे अभी भी शेल्टर होम में ही रखा गया है। दिल्ली महिला आयोग की टीम ने युवती को वसंत विहार स्थित घर से मुक्त कराकर झारखंड पुलिस के माध्यम से झारखंड महिला आयोग के पास भिजवाया।

कंसल्टेंट के वृद्ध पिता के धोखे में की बस्सी की पहचान  : मानव तस्करी की शिकार युवती कंसल्टेंट आलोक वर्मा के वृद्ध पिता के घर भी काम करने जाती थी। उसे जब पहचान के लिए सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा की तस्वीर दिखाई गई तो उसने धोखे में तस्वीर में मौजूद दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी की ओर इंगित कर दिया। सफेद बालों के कारण परेशान युवती धोखे में आ गई, आलोक वर्मा के पिता भी बुजुर्ग हैं और उनके बाल भी सफेद हैं। दैनिक जागरण की पड़ताल में यह भी साफ हो गया है कि इस प्रकरण में बस्सी की कोई भूमिका नहीं है।

48000 रुपये में भेजा था युवती को : दक्षिणी दिल्ली के संत नगर में प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक गोविंद शर्मा ने बताया कि उन्होंने पहली अगस्त को युवती को आलोक वर्मा के यहां रखवाया था। गोविंद ने बताया कि उसे रखवाते समय 11 महीने का कांट्रैक्ट पेपर साइन करवाया था। आलोक वर्मा से 11 माह के 48 हजार रुपये अपना सर्विस चार्ज लिया था। युवती का वेतन नौ हजार रुपये प्रतिमाह तय था।

युवती की मांग पर पहले माह के वेतन के तौर पर उसे नौ हजार रुपये का मोबाइल दिया गया था। इसके बाद उसकी ओर से कोई शिकायत नहीं आई थी। गोविंद ने बताया कि युवती की बड़ी बहन उनकी प्लेसमेंट एजेंसी में ही पिछले 10 साल से काम कर रही है। गोविंद ने बताया कि युवती को रखने के लिए उनकी पूरी बात अमिया वर्मा से ही हुई थी।

गलत जानकारी प्रचारित करने वालों पर कार्रवाई : महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण ने साफ कहा है कि उन्होंने कभी इस प्रकरण में सीबीआइ निदेशक की संलिप्तता की बात नहीं कही है। युवती ने भी कभी नहीं कहा कि जिस आलोक वर्मा के घर वह काम करती थी वह सीबीआइ निदेशक हैं। जिसने भी उन्हें कोट कर गलत तरीके से सीबीआइ निदेशक का नाम उछाला है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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