Jharkhand Assembly: हंगामा, नारेबाजी और सदन की कार्यवाही स्थगित, सूर्या हांसदा एनकाउंटर पर पक्ष -विपक्ष में तकरार, और भी थे कई मुद्दे... यहां जानिए
विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट पर कटौती प्रस्ताव के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित हुई। मुद्दा गोड्डा में विधानसभा प्रत्याशी रहे सूर्या हांसदा की पुलिस से मुठभेड़ में मौत से जुड़ा था। विपक्ष ने जहां इसे हत्या बताते हुए सीबीआइ जांच करने की मांग की वही सत्ता पक्ष इस केस को एक अपराधी के मारे जाने से जोड़ता रहा।
राज्य ब्यूरो, रांची । विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट पर कटौती प्रस्ताव के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
मुद्दा गोड्डा में विधानसभा प्रत्याशी रहे सूर्या हांसदा की पुलिस से मुठभेड़ में मौत से जुड़ा था। विपक्ष ने जहां इसे हत्या बताते हुए सीबीआइ जांच करने की मांग की, वही सत्ता पक्ष इस केस को एक अपराधी के मारे जाने से जोड़ता रहा।
आसन तक पहुंच गए सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक
विवाद इतना बढ़ गया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आसन के सामने पहुंच गए। विपक्ष के विधायकों ने लोकतंत्र की हत्या बंद करो की जमकर नारेबाजी की।
इससे पूर्व सोमवार के द्वितीय पाली में अनुपूरक बजट पर कटौती प्रस्ताव लाते हुए भाजपा के विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने तीन बिंदुओं को सदन में रखते हुए कहा कि इन बिंदुओं को राज्य सरकार मान ले, हम अपना कटौती प्रस्ताव वापस ले लेंगे।
उन्होंने अपनी पहली बिंदु के रूप में गोड्डा के विधानसभा प्रत्याशी सूर्य हंसदा की मुठभेड़ में मारे जाने के मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि सूर्या हांसदा दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नक्शे कदम पर चल रहे थे।
जैसे गुरु जी ने बिघ्न बाधा झेला, वैसे सूर्या हांसदा भी झेल रहे थे। वह राजनीतिक व्यक्ति थे, उनकी हत्या कर दी गई। इतना कहना था कि सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
मंत्री किशोर ने गुरुजी की तुलना सूर्या से करने पर जताई आपत्ति
संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि गुरुजी की तुलना एक अपराधी से की जा रही है। सूर्या हांसदा अपराधी था। संसदीय कार्य मंत्री के इस कथन पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जैसे दिशोम गुरु राजनीतिक व्यक्ति थे, वैसे ही सूर्या हांसदा भी थे।
गुरुजी भी जेल गए थे, तिहाड़ में भी बंद रहे लेकिन उनपर दोष साबित नहीं हुआ तो वे अपराधी साबित नहीं हुए। सूर्या हांसदा भी दोषी साबित नहीं थे। 15 केस समाप्त था, शेष में जमानत पर थे।
न्यायालय से वे दोषी नहीं थे तो अपराधी कैसे हुए। उन्होंने सूर्या हांसदा के इस केस की सीबीआइ जांच की मांग की। बाबूलाल मरांडी ने संसदीय कार्य मंत्री को वह बात वापस लेने की मांग की जिसमे उन्होंने सूर्या हांसदा को एक अपराधी बताया था।
इसके बाद झामुमो के विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा कि विपक्ष सूर्या हांसदा के बहाने आदिवासी कार्ड खेल रहा है। सूर्या हांसदा हत्या का आरोपित है। चार्जशीटेड था।
हेमलाल ने सूर्या हांसदा पर दर्ज मामलों की एक-एक कर जानकारी सदन को देनी शुरू की। इसके बाद ही विपक्ष के सभी विधायक आसन के सामने पहुंच गए और जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।
उनका कहना था कि लोकतंत्र की हत्या बंद हो। विपक्ष के विधायकों के हंगामा को देखते हुए सत्ता पक्ष के विधायक भी आसान के सामने पहुंच गए और सभी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने लगे।
विधानसभा अध्यक्ष के काफी समझाने के बाद सभी आसन के सामने से हटे। हालांकि डुमरी के विधायक जयराम महतो अकेले ही आसन के सामने पहुंच गए और सत्ता पक्ष के तर्क का विरोध किया।
ये हैं विपक्ष के दो अन्य मुद्दे
भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने दो अन्य बिंदुओं पर भी सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश की। पहले बिंदु कांके के नगड़ी में रिम्स-2 की जमीन का था।
उनका कहना था कि खेतिहर जमीन को सरकार बर्बाद करने पर तुली हुई है। इस तरह के काम को बंद करते हुए सरकार को रोक लगाना चाहिए।
सत्येंद्र नाथ तिवारी का तीसरा बिंदु गैर मजरूआ खास की जमीन की रजिस्ट्री से संबंधित था। उन्होंने कहा कि पूर्व में सरकार ने कहा था कि गैर मजरूआ खास की जमीन की रजिस्ट्री होगी, म्यूटेशन होगा।
रसीद भी कटेगा। झारखंड उच्च न्यायालय ने भी निर्देश दिया की गैर मजरूवा खास जमीन पर रह रहे लोगों के नाम से म्यूटेशन करें और रसीद निर्गत करें।
हाई कोर्ट के इस निर्देश के विरुद्ध राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। हेमंत सोरेन की यह सरकार कहती कुछ और है जबकि करती कुछ और है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा-चर्चा का बिंदु भटक रहा
इस पर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि यहां बात अनुपूरक बजट पर कटौती प्रस्ताव को लेकर हो रही है और चर्चा किसी और बिंदु पर चल रहा है।
इस पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह सभी बिंदु बजट से संबंधित है, सरकार किस तरह से सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही है, उसे बताया जा रहा है।
जैसे ही तीनों बिंदु को सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सदन में रखा फिर से हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों ने आसन के सामने पहुंचकर नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
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