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Jharkhand News: झारखंड के 100 गांव बनेंगे एग्री स्मार्ट विलेज... हेमंत सोरेन सरकार ने बनाया ब्लूप्रिंट... जानिए, मिलेंगी किस तरह की सुविधाएं

Jharkhand Rural Development झारखंड सरकार ने 100 गांवों को एग्री स्मार्ट विलेज बनाने का लक्ष्य तय किया है। इन गांवों में आधारभूत संरचना का विकास होगा। यहां सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। मकसद यह है कि गांव के विकास से ही राज्य की सूरत बदली जा सकती है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 02:00 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 02:02 PM (IST)
Jharkhand News: झारखंड के 100 गांव बनेंगे एग्री स्मार्ट विलेज... हेमंत सोरेन सरकार ने बनाया ब्लूप्रिंट... जानिए, मिलेंगी किस तरह की सुविधाएं
Jharkhand News: झारखंड के 100 गांव बनेंगे एग्री स्मार्ट विलेज... हेमंत सोरेन सरकार ने बनाया ब्लूप्रिंट...

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Agri Smart Village झारखंड सरकार ने राज्य के सौ गांवों को एग्री स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करने की घोषणा की है। राज्य के 32 हजार से अधिक गांवों के परिप्रेक्ष्य में यह आंकड़ा काफी छोटा दिखता है लेकिन एग्री स्मार्ट गांव की सार्थक पहल की अनदेखी नहीं की जा सकती। स्मार्ट गांव का खाका कैसे बुना जाएगा, यह अभी बहुत स्पष्ट नहीं हैं लेकिन जैसा की नाम से ही जाहिर है कि इन गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। गांवों की आधारभूत संरचना का विकास कर सभी सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों की आय के साधन बढ़ाने के लिए वहां तमाम संसाधन विकसित किए जाएंगे। स्मार्ट गांव की परिकल्पना नई नहीं है। भारत सरकार के साथ-साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश व अन्य कई राज्य इस दिशा में काफी पहले से काम कर रहे हैं। राजस्थान के धौलपुर जिले का धनौरा को भारत का पहला स्मार्ट गांव का तमगा भी मिल चुका है। झारखंड का एग्री स्मार्ट विलेज भी कुछ उसी तरह की पहल है। गांवों के चयन की प्रक्रिया स्थानीय विधायकों की अनुशंसा पर करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 100 एग्री स्मार्ट विलेज के लिए 20 करोड़ का बजटीय उपबंध किया गया है। इन गांवों में सरकार के सभी विभागों की सभी योजनाओं को लागू करने की कोशिश की जाएगी। यह अच्छी पहल हो सकती है बशर्ते सरकार गंभीरता से इसे धरातल पर उतारने के लिए प्रयास करे।

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कार्बन फुटप्रिंट कम करना और पानी-मिट्टी को बचाना होगा

एस कुमार आइसीएमआर के वरीय कृषि वैज्ञानिक एस कुमार बताते हैं कि एग्री स्मार्ट विलेज एक अच्छी परिकल्पना है। यह जल्द मूर्त रूप ले सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। लेकिन एग्री स्मार्ट विलेज सिर्फ सरकार की तमाम योजनाओं को लागू कर नहीं बन सकते। इसके वृहद स्तर पर मायने समझने होंगे। इन गांवों में कार्बन फुटप्रिंट को कम करना होगा। पानी व मिट्टी की बर्बादी को रोकना होगा, तभी इसकी सार्थकता है। मिट्टी के कटाव को रोकने और पानी की निर्भरता काे कम करने के लिए वृक्ष आधारित खेती करनी होगी। पर्यावरण का सरंक्षण एग्री स्मार्ट गांव की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। बेहतर यही होगा कि गांवों के चयन का आधार उन गांवों को बनाया जाए जहां कार्बन फुटप्रिंट कम हुआ है। प्राकृतिक खेती, वृक्ष आधारित खेती के साथ-साथ सौर ऊर्जा का प्रयोग होना चाहिए। सिंचाई के लिए डीजल का प्रयोग या उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायन का अत्यधिक प्रयोग नुकसान ही पहुंचाएगा। हमारी प्राथमिकता भूमि, पानी और बायोडायवर्सिटी का सतत विकास होनी चाहिए।

कृषि मंत्री बादल बता रहे इन गांवों में क्या करेगी सरकार

एग्री स्मार्ट विलेज एक फाउंडेशन माडल होगा। इन गांवों में बजट की तमाम घोषणाओं का मिनी प्रारूप दिखेगा। हमारी कोशिश होगी कि बजट की 90 प्रतिशत योजनाओं को इन गांवों में धरातल पर उतारा जाए। राज्य के विकास का पैरामीटर होगा। ऐसे गांव जहां कृषि व संबद्ध क्षेत्र से जुड़ी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। विभागों के आपसी समन्वय से इन गांवों में तमाम योजनाओं को लागू किया जाएगा। आपसी कन्वर्जन के जरिए एक अंब्रेला के नीचे सभी स्कीम को लाया जागा। सभी योजनाओं की माइक्रो लेवल मानीटरिंग भी होगी। गांवों को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार को किसी अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं होगी। फिर भी किसी भी मिसिंग गैप को भरने के लिए बीस करोड़ का प्रविधान किया गया है। प्रति गांव 20 लाख रुपये अतिरिक्त आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रखे गए हैं। भविष्य में इन गांवों के प्रगतिशील किसान आसपास के जिलों को जागरूक करेंगे। इन गांवों का चयन सरकार में बैठे लोग नहीं बल्कि विधायक करेंगे। सभी विधायकों को इस संदर्भ में पत्र भेज दिया गया है। गांवों के चयन का भी कुछ आधार रखा जाएगा। मसलन ऐसे गांवों का चयन किया जाए, जो राष्ट्रीय उच्च पथ या स्टेट हाइवे से जुड़े हों। ऐसा इसलिए कि इन गांवों के उत्पादों को आसानी से बाजार उपलब्ध कराया जा सके। तमाम एफपीओ, मिल्क फेडरेशन को इसका लाभ मिलेगा।


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