दो जेलों को मिली मानक पूरा नहीं करने की सजा, डिमोट कर सेंट्रल जेल से बना दी गईं मंडल कारा
आम तौर पर जब कोई अपना दायित्व पूरा करने में सक्षम नहीं होता तो उन्हें डिमोट कर दायित्व बदल दिया जाता है। सेवा काल में यह डिमोशन सजा ही मानी जाती है। झारखंड की दो जेलें गिरिडीह व देवघर कारा के साथ भी यही हुआ है। यह मंडल कारा से प्रोमोशन पाकर केंद्रीय कारा बना था। अब पुनः इसे में डिमोट कर मंडल कारा बना दिया गया है।

दिलीप कुमार, रांची। मंडल कारा से केंद्रीय कारा में अपग्रेडेशन के सात साल के भीतर ही राज्य की दो जेलें गिरिडीह व देवघर फिर से मंडल कारा में डिमोट हो गई हैं।
इसके पीछे मानक को पूरा नहीं कर पाना बताया जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में लागू झारखंड के नए जेल मैनुअल में निहित मानक पर ये दोनों जेल केंद्रीय कारा खरे नहीं उतर रहे थे।
डिमोट होने के बाद दोनों ही जेलों के मुख्य दरवाजे पर लगे केंद्रीय कारा के बोर्ड को हटाकर फिर से मंडल कारा का बोर्ड भी लगा दिया गया है।
इसे कुछ दिन पहले ही झारखंड सरकार की कैबिनेट ने स्वीकृति देते हुए, इससे संबंधित नोटिफिकेशन भी जारी कर दी है।
गिरिडीह व देवघर मंडल कारा को वर्ष 2018 में तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने अपग्रेड करते हुए केंद्रीय कारा के रूप में अधिसूचित किया था।
गिरिडीह में पहले मंडल कारा था, जो हजारीबाग के लोक नायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग के अधीन था। वहीं, मंडल कारा देवघर को केंद्रीय कारा दुमका के अधीन रखा गया था।
केंद्रीय कारा में अपग्रेड होने के बाद इन्हें हजारीबाग व दुमका सेंट्रल जेल के अधिकार क्षेत्र से हटाते हुए दूसरे मंडल कारा व उपकारा को इनसे जोड़ा गया था।
केंद्रीय कारा को उपकारा व मंडल कारा की तुलना में अधिक फंडिंग होती है और वहां कई तरह की सुविधाएं दी जाती है। केंद्रीय कारा में सजायाफ्ता व सश्रम तथा साधारण कारावास के बंदी रहते हैं।
ऐसे बंदी जिन्हें न्यायालय से सजा हो जाती है, वे तीन साल तक ही जिले के मंडल कारा या उप कारा में रह सकते हैं। इसके बाद उन्हें केंद्रीय कारा में रखना अनिवार्य है।
केंद्रीय कारा के लिए ये निर्धारित हैं मानक
झारखंड में नए जेल मैनुअल में केंद्रीय कारा के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उनमें पहला यह है कि उस जेल में कैदियों के रहने की क्षमता 1000 से अधिक होनी चाहिए।
उस जेल के अधीन कम से कम दो मंडल कारा व उपकारा होने चाहिए। परिसर विशाल हो। कैदियों की सुरक्षा, पुनर्वास व बेहतर सामाजिक जीवन देने की कोशिश करना ही केंद्रीय कारा के मुख्य मानक है।
सेंट्रल जेल में ही आजीवन कारावास व मृत्युदंड की सजा पाने वाले कैदी रखे जाते हैं। इसकी सुरक्षा व्यवस्था उच्च होती है।
यहां विभिन्न प्रकार की सुविधाएं,व्यावसायिक प्रशिक्षण व कौशल विकास की भी व्यवस्था होती है, ताकि रिहाई के बाद कैदी समाज से फिर से जुड़ सकें।
इन जेलों में कैदियों का सुरक्षा मूल्यांकन किया जाता है, और उन्हें उसी अनुरूप अलग-अलग वार्ड में रखने की व्यवस्था होती है। गिरिडीह व देवघर जेल में इनमें से कई सुविधाएं बहाल करने में तकनीकी अड़चनें थीं। जगह भी काम था, जो मानक को पूरा नहीं कर पा रहे थे।
राज्य में फिर से सिर्फ पांच ही रह गए केंद्रीय कारा
अब राज्य में केंद्रीय कारा की सूची से गिरिडीह व देवघर को हटा दिए जाने के बाद सिर्फ पांच ही केंद्रीय कारा संचालित होंगी।
इनमें रांची में होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, जमशेदपुर के घाघीडीह में केंद्रीय कारा, हजारीबाग में लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा, केंद्रीय कारा मेदिनीनगर पलामू व केंद्रीय कारा दुमका शामिल हैं। इन्हीं के अधीन राज्य की शेष 27 मंडल कारा, उपकारा होंगे।
अब किस केंद्रीय कारा के अधीन कौन-कौन सी जेलें
- - केंद्रीय कारा दुमका : इनमें देवघर, साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड व जामताड़ा मंडल कारा के अलावा मधुपुर, राजमहल उपकारा।
- - लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग : धनबाद, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा व चास मंडल कारा के अलावा रामगढ़, बरही तथा तेनुघाट उपकारा व ओपेन जेल हजारीबाग।
- - केंद्रीय कारा घाघीडीह, जमशेदपुर : साकची, सरायकेला व चाईबासा मंडल कारा तथा उपकारा घाटशिला।
- - केंद्रीय कारा मेदिनीनगर, पलामू : लातेहार व गढ़वा मंडल कारा।
- - बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार, रांची : सिमडेगा, लोहरदगा व गुमला मंडल कारा तथा उपकारा खूंटी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।