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    Ranchi News: अस्पताल में इलाज में लापरवाही से जुड़वा बच्चों की मौत, डॉक्टर पर दर्ज हुई FIR

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 10:06 PM (IST)

    रांची के एक अस्पताल में इलाज में लापरवाही का आरोप लगा है। एक गर्भवती महिला के जुड़वा बच्चों की मौत हो गई जिसके बाद परिजनों ने हंगामा किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है जबकि अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को गलत बताया है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, रांची। राजधानी रांची में एक बार फिर इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया गया है। मामला बरियातू स्थित आरपीएस अस्पताल का है।

    जहां रविवार को प्रसव पीड़ा से गुजर रही 33 वर्षीय गर्भवती महिला अमृता कुमारी के गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत हो गई। जिसके बाद स्वजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया।

    स्वजनों ने इस पूरे मामले में इलाज में डॉक्टर की लापरवाही का आरोप लगाते हुए बरियातू थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। एफआईआर में डॉक्टर एस सिंह को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है। बढ़ते हंगामा के बाद बरियातू पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराया।

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    दर्द बढ़ा, पर समय पर इलाज नहीं 

    बरियातू तेतरटाेली के निवासी पंकज सोनी (मृतिका के पति) ने थाने में दर्ज कराई शिकायत में कहा है कि उनकी पत्नी को 16 अगस्त को डिलीवरी का समय दिया गया था, लेकिन उस दिन खून की कमी बताकर एक यूनिट खून चढ़ाया गया और अगले दिन बुलाया गया।

    जिसके बाद अगले दिन रविवार की सुबह छह बजे दर्द होने के बाद अस्पताल आया गया जहां कोई डॉक्टर ही नहीं था। जिसके बाद प्रसव पीड़ा से महिला की हालत बिगड़ने लगी लेकिन डॉक्टर नहीं पहुंची और उसे बुलाते-बुलाते स्वजन थक गए, जिसके बाद वो दिन के 11 बजे अस्पताल पहुंची, लेकिन तब तक अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत हो चुकी थी।

    शिकायत में कहा गया है कि कई बार कॉल करने और नर्सिंग स्टाफ द्वारा सूचना देने के बावजूद डॉक्टर मौके पर नहीं पहुंची। एफआईआर में यह भी मांग की गई है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार डॉक्टर पर सख्त कार्रवाई हो।

    दो जिंदगियां एक साथ बुझीं 

    अमृता कुमारी नौ महीने की गर्भवती थीं और जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली थीं। स्वजनों का कहना है कि समय पर उपचार होता तो न केवल महिला बल्कि जुड़वा बच्चों की जान भी बचाई जा सकती थी।

    परिवार के सदस्यों ने कहा कि डॉक्टर और अस्पताल की इस लापरवाही ने उनके घर की खुशियों को मातम में बदल दिया।

    अस्पताल का पक्ष 

    अस्पताल में हुए हंगामे को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने अपनी सफाई दी है। जिसमें बताया गया कि स्वजनों द्वारा लगाए गए लापरवाही का आरोप गलत है। डॉक्टर ने कहा कि जुड़वां बच्चों की मौत डॉक्टरों की गलती से नहीं हुई है, बच्चों की जान आयोडीन की कमी और खून की कमी की वजह से गई। उन्होंने कहा कि अस्पताल पूरी तरह इलाज में गंभीर था और सभी जरूरी चिकित्सा प्रक्रिया अपनाई गई थी।