एचईसी के मदद के लिए हुई थी तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना, आज अनदेखी के कारण हो रहा तबाह
झारखंड में नई औद्योगिक नीति और इनवेस्टर्स मीट की चर्चा हर तरफ है। व्यापारी-उद्योगपतियों को इससे राज्य में उद्यम स्थापित होने की उम्मीद भी है। मगर इन सब के बीच जमीनी सच्चाई ये है कि राजधानी से सटे तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया अनदेखी का शिकार होकर तबाह हो गया।

रांची, जासं । झारखंड में नई औद्योगिक नीति और इनवेस्टर्स मीट की चर्चा हर तरफ है। व्यापारी-उद्योगपतियों को इससे राज्य में उद्यम स्थापित होने की उम्मीद भी है। मगर इन सब के बीच जमीनी सच्चाई ये है कि राजधानी से सटे तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया अनदेखी का शिकार होकर तबाह हो गया। 200 एकड़ में फैले इस औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना मदर कंपनी एचईसी के मदद के लिए हुई थी। 1970 में यहां 100 से ज्यादा कंपनियां एचईसी से मिले वर्क ऑर्डर और काम के भरोसे ही अस्तित्व में आई थी। फिर धीरे-धीरे दस वर्ष पहले तक यहां छोटे बड़े 350 उद्योग थे। अब केवल 50 के आसपास बचे हैं। इसमें से ज्यादातर का काम एक्पोर्ट-इंपोर्ट तक सीमित हैं। आज तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र में मुलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। इलाके में उद्योग के लिए सबसे जरूरी बिजली, पानी और नाली ही नहीं है। काम की कमी के कारण ज्यादातर फैक्ट्रियां वित्तीय कमी का शिकार होकर बंद हुईं, जिनकी जगह गोदाम, सर्विस सेक्टर या फिर नये बिजनेस आ गए।
कैसे बंद हो गए उद्योग
तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष विनोद तुल्सयान बताते हैं कि राज्य सरकार के द्वारा अभी तक लोकल परचेज को बढ़ावा देने के लिए लोकल परचेज पालिसी का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके बिना किसी भी क्षेत्र में लोकल उद्योग को खड़ा करना संभव नहीं है। राज्य सरकार के ऊर्जा, सिंचाई और पेयजल विभाग की जरूतों को पूरा करने के लिए तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र सक्षम है। मगर ये विभाग सामान दूसरे राज्यों से मांगवा रहे हैं। असल में तुपुदान की बदहाली यहीं से शुरू हुई। पूरा औद्योगिक क्षेत्र महंगी बिजली से परेशान है। वो सही समय पर नहीं मिलती। साथ ही सड़क और नाली की समस्या भी गहरा चुकी है। बनी-बनाई नालियों को तोड़ दिया गया और पिछले पांच वर्ष से इसके निर्माण कार्य आज भी जारी है। इतने बड़े इंडस्ट्रीयल एरिया में एक धरम कांटा नहीं है। पिछली रघुवर सरकार में इसे बनाने का काम शुरू जरूर हुआ था। लेकिन तबसे अब तक पूरी तरह ठप है।
क्या कहते हैं उद्यमी
सरकार और निगम की अनदेखी का नतीजा है कि आज तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र तबाही के कगार पर पहुंच गया है। सड़क, पानी ,बिजली, नाली, स्ट्रीट लाइट जैसी व्यवस्था नहीं है तो कोई उद्योग कैसे फल-फूल सकता है। हमारी हालत देखकर कोई इनवेस्टर राज्य में आने से पहले कई बार सोचेगा। - सुरेंद्र प्रसाद सिंह, तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र एसोसिएशन
ऐसा कोई भी औद्योगिक क्षेत्र नहीं है जहां सारी मूलभूत सुविधाएं हों। सरकार ने शायद इसलिए ही इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन झारखंड में नहीं किया होगा। सरकार को राज्य के बाहर से निवेशकों को लाने से पहले यहां पूंजी फंसा चुके लोगों के बारे में सोचना चाहिए। -दीपक मारू, उद्यमी और पूर्व अध्यक्ष झारखंड चैंबर
बंद फैक्ट्रियों के रिवाईवल का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली से चलंत उद्योग बंद होने के कगार पर हैं।एक काम के लिए उद्यमी को इतना भटकना पड़ता है कि वो चुपचाप से बैठ जाने में भलाई समझता है। ऐसे में क्षेत्र में उद्योग की कल्पना करना मुश्किल है। -अजय भंडारी, उद्यमी, तुपुदाना
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