Shibu Soren: आदिवासी समाज को हमेशा गुरुजी की कमी खलेगी, मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने जताई संवेदना
राज्य के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि शिबू सोरेन गुरु थे और गुरु ही रहेंगे। बात चाहे पक्ष की हो या विपक्ष की शिबू सोरेन को हर किसी ने मान-सम्मान और प्रेम दिया है। शिबू सोरेन के राजनीतिक सिद्धांत ने राज्य में कई आंदोलनों को दिशा देने का काम किया। आदिवासी समाज को विशेष रूप से उनकी कमी हमेशा खलेगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण. रांची । राज्य के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने पूर्व मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन गुरु थे और गुरु ही रहेंगे। बात चाहे पक्ष की हो या विपक्ष की, शिबू सोरेन को हर किसी ने मान-सम्मान और प्रेम दिया है।
शिबू सोरेन के राजनीतिक सिद्धांत ने राज्य में कई आंदोलनों को दिशा देने का काम किया। आदिवासी समाज को विशेष रूप से उनकी कमी हमेशा खलेगी। समाज को एक बड़ी क्षति हुई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि शिबू सोरेन का निधन पूरे झारखंड को गहरे शोक में डूबा गया है। मुझे यह सौभाग्य मिला कि मैंने उनके साथ दशकों तक राजनीतिक जीवन की यात्रा की।
उनका जाना मानो एक युग के अंत जैसा महसूस हो रहा है। इस अपूरणीय क्षति को स्वीकार कर पाना मेरे लिए बेहद कठिन है। उनके नहीं रहने से झारखंड के हृदय में ही नहीं, पूरे देश की राजनीति में एक गहरी रिक्ति पैदा हो गई है।
वे झारखंड आंदोलन के शुरुआती दिनों में हमारे साथी रहे, एक अथक योद्धा, जिन्होंने अपना पूरा जीवन झारखंड और झारखंडवासियों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। झारखंड की जनता अपने दिशोम गुरु को सदा स्नेह, सम्मान और गर्व के साथ याद रखेगी।
Jharkhand High Court एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्षा ऋतु कुमार एवं पूर्व कोषाध्यक्ष धीरज कुमार ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन झारखंड ही नहीं पूरे देश के लिए बहुत ही पीड़ादायक एवं अपूरणीय क्षति है।
रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दुखद एवं अपूरणीय क्षति है।
कहा कि वह न केवल झारखंड आंदोलन के प्रणेता रहे, बल्कि आदिवासी, वंचित एवं शोषित वर्गों की आवाज को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने वाले सशक्त जननायक थे।
उनकी राजनीतिक दृष्टि, सरल जीवनशैली एवं जन सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता सदैव स्मरणीय रहेगी। झारखंड राज्य की स्थापना और अस्मिता की लड़ाई में उनका योगदान अतुलनीय है।
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