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आदिवासी समाज का दर्पण है रांची का ट्राइबल म्‍यूजियम, यहां मिलती है 32 जनजातियों की जानकारी

Tribal Museum Ranchi. यह म्‍यूजियम आदिवासी जीवन शैली को दर्शाता है। संग्रहालय में राज्य के सभी 32 जनजातीय समाज के इतिहास व संस्कृति की विस्तृत जानकारी मिलती है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 03:36 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 03:36 PM (IST)
आदिवासी समाज का दर्पण है रांची का ट्राइबल म्‍यूजियम, यहां मिलती है 32 जनजातियों की जानकारी
आदिवासी समाज का दर्पण है रांची का ट्राइबल म्‍यूजियम, यहां मिलती है 32 जनजातियों की जानकारी

रांची, जासं। झारखंड के जनजातीय समाज की विस्तृत जानकारी लेनी हो तो मोरहाबादी स्थित डॉ. रामदयाल सिंह मुंडा जनजातीय संग्रहालय आइये। राज्य के भिन्न-भिन्न हिस्से में पाए जाने वाले सभी 32 जनजातीय समाज की विस्तृत जानकारी एक ही स्थान पर मिल जाएगी। संग्रहालय में जनजातीय समाज की सभ्यता-संस्कृति व इतिहास से जुड़ी जानकारियां व दुर्लभ वस्तुएं हैं। यहां अलग-अलग जनजातियों के मॉडल शो केस बनाए गए हैं। जिसमें इनके जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

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आदिवासियों का पहनावा, जीवन, कार्य, व आर्थिक स्थिति को भी मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है। प्राचीन काल से अब तक की जीवन यात्रा को क्रमबद्ध तरीके से समझाया गया है। कांस्य युग से आधुनिक युग के पारंपरिक हथियार, खान-पान से रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। यही नहीं प्राचीन काल के आभूषण, वाद्ययंत्र, हस्तशिल्प व शिकार करने के हथियार भी सहेज कर रखे गए हैं। इस प्रकार के अनूठे संग्रहालय की स्थापना 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने किया था।

संग्रहालय का संचालन कल्याण विभाग द्वारा होता है। बाद में संग्रहालय का नाम डॉ रामदयाल मुंडा के नाम पर रखा गया। इसी परिसर में डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान भी है। झारखंड का एक मात्र जनजातीय शोध संस्थान जहां जनजातीय समाज से जुड़ी इतिहास, संस्कृति व उन्नति के लिए शोध होते हैं। संस्थान की स्थापना  31 अक्तूबर 1953 को हुई थी।

इसका संचालन कल्याण विभाग द्वारा होता है। यह जनजातीय संग्रहालय झारखंड की आदिवासी संस्कृति और जनजातीय जीवन और कला का अद्भुत केंद्र है। संग्रहालय में सभी जनजाति के लिए अलग-अलग शोकेस बनाए गए हैं। शो केस में जीवन शैली तो दर्शाया ही गया है साथ में कौन जनजाति राज्य के किस इलाके में निवास करते हैं और इनकी कितनी आबादी है, इसकी भी पूरी जानकारी दी जाती है। जनगणना के अनुसार डाटा अपडेट किया जाता है।

संग्रहालय में प्रवेश के लिए नहीं लगता है शुल्क

संग्रहालय घूमने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगता है। प्रवेश से पूर्व सिर्फ विजिटर रजिस्टर पर दस्तखत करना पड़ता है। सरकारी छुट्टी को छोड़कर प्रतिदिन संग्रहालय खुलता है। लोगों को गाइड करने के लिए संग्रहालय के कर्मी भी मौजूद रहते हैं।

आदिवासियों के विकास में शोध संस्थान निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका

झारखंड के आदिवासियों से संबंधित इतिहास संकलन व विकास में शोध संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। संस्थान के माध्यम से सिर्फ शोध ही नहीं बल्कि, आदिवासियों की सूची से लेकर भाषा, रहन सहन, खान पान, संस्कृति पर शोध अध्ययन भी होता है।


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