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    हिदू समाज का अभिन्न अंग है जनजातीय समुदाय : विहिप

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 21 Nov 2021 06:34 AM (IST)

    विश्व हिदू परिषद (विहिप) के प्रांत मंत्री डा. बीरेंद्र साहू ने कहा कि जनजातीय समाज हिंदू समाज का अभिन्न अंग है।

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    हिदू समाज का अभिन्न अंग है जनजातीय समुदाय : विहिप

    जागरण संवाददाता, रांची : विश्व हिदू परिषद (विहिप) के प्रांत मंत्री डा. बीरेंद्र साहू ने कहा कि जनजातीय समुदाय हिंदू समाज का अभिन्न अंग है। डा. करमा उरांव ने जिस तरह का बयान लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष व पद्मभूषण कड़िया मुंडा के बारे में दिया है वह निंदनीय है। अपने मूल संस्कार को भूल कर वे ईसाई मिशनरियों के हाथों में खेल रहे हैं।

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    उन्होंने कहा हिंदू में 16 संस्कार की परंपरा है। इन संस्कारों का पालन जनजातीय समाज भी करते आ रहे हैं। हिंदू में गोत्र परंपरा रही है। गोत्र किसी न किसी ऋषि-मुनि के नाम पर चलता है। समान गोत्र में विवाह वर्जित है। चाहे वह सनातन परंपरा हो या जनजातीय परंपरा।

    उन्होंने कहा, डा. करमा उराव को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद(विहिप) और वनवासी कल्याण केंद्र जैसी संस्थाओं के लिए अनुचित शब्दों का प्रयोग करना शोभा नहीं देता है। ये संस्थाएं समस्त भारतीय रुढ़ीवादी विचारधारा व प्राचीन परंपराओं को जीवंत रखने हेतु निरंतर कार्य कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह कड़िया मुंडा ने जनजातीय गौरव दिवस के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि जनजातीय समाज भी हिदू ही हैं। उसके बाद करमा उरांव ने बैठक में कहा था कि वे आरएसएस व विहिप के हाथों में खेल रहे हैं। उनका कर्ज उतार रहे हैं। हिदू शब्द देखने में जितना सरल है, व्याख्या में उतना ही व्यापक है

    उन्होंने कहा कि हिंदू शब्द देखने में जितना सरल लगता है, व्याख्या तथा अर्थ में उतना ही व्यापक, कठिन तथा गंभीर है। समय-समय पर लोग इसकी व्याख्या करते रहे रहे हैं। वृहत विश्वकोश के अनुसार वेदों के विचारों के आधार पर बने आचार, विचार, रीति-नीति, समाज व्यवस्था आदि में किसी न किसी रूप में विश्वास करने और उन पर चलने वाले भारतीय को हिंदू कहा गया है। भिन्न-भिन्न संप्रदायों में कुछ अंतर होते हुए भी हिंदू समाज धार्मिक सिद्धातों, सम्यक संस्कृति व जीवन पद्धति जातीय नियमों का पालन और एकता से बंधे हुए हैं। स्वाधीनता के बाद हिंदू शब्द की व्यापकता को कानूनी परिधि में बाधने का प्रयास किया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में हिंदू किसे माना जाए, इसे समझाने का प्रयास हुआ। इसी तरह 1956 में हिंदू कोड बिल में कहा गया कि मुसलमान, ईसाई, पारसी छोड़कर यहा के सनातनी, आर्य समाज, सिख, जैन और जितने भी अन्य बंधु हैं, वह सब हिंदू हैं।