पीपीई किट की जगह रेन कोट पहनकर किया इलाज, सैनिटाइजर से होता था स्वागत
Ranchi News उस वक्त को याद करते हुए डा चैतन्य ने बताया कि विभाग में पर्याप्त संख्या में पीपीई किट उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में हमने बाजार में उपलब्ध प्लास्टिक के रेनकोट को ही पीपीई किट की तरह इस्तेमाल करते हुए कोविड 19 के संभावित मरीजों की जांच का कार्य

हजारीबाग, जागरण संवाददाता। वैश्विक महामारी कोविड 19 का हमारे जिले में आगमन वर्ष 2020 के मार्च अंत में हुआ था। उस समय स्वास्थ्य विभाग के पास कोविड 19 के संक्रमित मरीजों की जांच व उपचार के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में चुरचू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी व प्रख्यात फिजिशियन डा एपी चैतन्य ने उपलब्ध संसाधनों का ही उपयोग करते हुए कोविड 19 के संभावित मरीजों की जांच व उपचार करने का कार्य किया।
पीपीई किट तक उपलब्ध नहीं थे
उस वक्त को याद करते हुए डा चैतन्य ने बताया कि विभाग में पर्याप्त संख्या में पीपीई किट उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में हमने बाजार में उपलब्ध प्लास्टिक के रेनकोट को ही पीपीई किट की तरह इस्तेमाल करते हुए कोविड 19 के संभावित मरीजों की जांच का कार्य किया। साथ ही बताया कि मरीजों की बुखार आदि जांच के लिए थर्मल स्कैनर की भी भारी किल्लत थी। फिर भी सीमित संसाधनों के बीच किसी प्रकार से कार्य कर रहे थे।
कोरोनाकाल में हुई कई परेशानी
साथ ही बताया कि कोरोना संक्रमण के डर से डाक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को उस गर्मी के मौसम में भी दिनभर रेनकोट पहने रहना पड़ता था । साथ ही फेस मास्क आदि का भी इस्तेमाल करना होता है। ऐसे में गर्मी के कारण अधिक मात्रा में पसीना निकलने से उन लोगों की हालत खराब हो जाती थी। वहीं बताया कि घर पहुंचने पर सबसे पहले सैनिटाइजर से स्वागत किया जाता था। पूरे शरीर को सैनिटाइज करने के बाद ही घर में प्रवेश मिलता था। इसके बाद कपड़ों का गर्म पानी में धोना व स्वयं भी स्नान करना पड़ता था।
कोरोना ने हमारे जीवनशैली पर असर डाला
डा. चैतन्य ने बताया कि उनके घर में छोटे-छोटे बच्चे थे। ऐसे मेें उन्हें अपने बच्चों से दूर घर में अकेले रहना पड़ता था। डा. चैतन्य ने बताया कि हालांकि वैश्विक महामारी कोविड 19 लोगों के लिए काफी परेशानी का सबब बना, लेकिन साथ ही कोविड 19 ने हमारी जीवन शैली को बुरी से प्रभावित करते हुए कई सकारात्मक बदलाव भी लाने का कार्य किया है।
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