तो झारखंड में भी दिल्ली और यूपी की तर्ज पर पुराने वाहन होंगे कबाड़, केंद्र का निर्देश टाल रहा है परिवहन विभाग
झारखंड को केंद्र से बार-बार आ रहा रिमाइंडर। गाड़ियों के फिटनेस के लिए लागू करें आटोमेटेड फिटनेस मैनेजमेंट सिस्टम। पुराने ढर्रे पर एमवीआइ जारी कर रहे फिटनेस। सुधारात्मक प्रयास को लगातार टाला जा रहा। एमवीआइ व्यवस्था का मोह नहीं छोड़ पा रहा परिवहन विभाग। इसका बुरा असर पर्यावरण पर पर साफ तौर पर देखा जा सकता है।

प्रदीप सिंह, रांची। केंद्र सरकार की बार-बार दी जा रही चेतावनियों और रिमाइंडर के बावजूद झारखंड का परिवहन विभाग आटोमेटेड फिटनेस मैनेजमेंट सिस्टम (एएफएमएस) को लागू करने में देरी कर रहा है।
राज्य में वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट अब भी पुरानी मोटर व्हीकल इंस्पेक्शन (एमवीआइ) व्यवस्था के तहत जारी हो रहा है, जो केंद्र के नियमों का उल्लंघन है।
केंद्र ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि केवल अधिकृत आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) से ही फिटनेस प्रमाणपत्र वैध माने जाएंगे, लेकिन झारखंड में चार एटीएस होने के बावजूद पुराने ढर्रे पर काम जारी है।
इस देरी से न केवल प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि राज्य को वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने झारखंड के परिवहन विभाग को बार-बार आटोमेटेड फिटनेस मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने का निर्देश दिया है।
मंत्रालय के अंडर सेक्रेट्री यतेन्द्र कुमार ने परिवहन विभाग की सचिव विप्रा भाल को हाल ही में एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि रांची, हजारीबाग और जमशेदपुर में चार अधिकृत एटीएस मौजूद हैं, जो फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।
पत्र में साफ किया गया कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमवीआर), 1989 के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए पुरानी एमवीआइ व्यवस्था का एक्सेस बहाल नहीं किया जाएगा।
केंद्र ने जुलाई 2023 में हजारीबाग में एक और फरवरी 2025 में रांची और जमशेदपुर में तीन एटीएस को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किए थे।
इसके बावजूद, राज्य सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए हैं। केंद्र ने एक बार फिर आग्रह किया है कि एएफएमएस को जल्द से जल्द लागू किया जाए ताकि निर्बाध बुकिंग और प्रमाणन प्रक्रिया शुरू हो सके।
झारखंड की मांग, दिसंबर 2025 तक पुरानी व्यवस्था को अनुमति दें
परिवहन विभाग की सचिव विप्रा भाल ने केंद्र के पत्र के जवाब में दिसंबर 2025 तक पुरानी एमवीआइ व्यवस्था को जारी रखने की मांग की है।
उन्होंने तर्क दिया कि झारखंड एक खनिज प्रधान राज्य है और इसकी अर्थव्यवस्था खनन और उसकी ढुलाई पर निर्भर है।
कई खनिज उत्पाद राज्य के बाहर उद्योगों के लिए अहम हैं और पुरानी व्यवस्था को तत्काल बंद करने से राज्य की अर्थव्यवस्था और राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
विप्रा भाल ने यह भी कहा कि खनन क्षेत्र में परिचालित वाहनों का फिटनेस टेस्ट एटीएस के माध्यम से करना व्यावहारिक नहीं है।
विभाग ने दावा किया कि वह एएफएमएस को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए एनआइसी के साथ इंटीग्रेशन और क्षेत्र की मैपिंग की प्रक्रिया चल रही है।
हालांकि, चार स्वीकृत एटीएस (रांची, हजारीबाग और जमशेदपुर) के परिचालन को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए और समय चाहिए।
न्यायालय ने भी एमवीआइ व्यवस्था को माना है मानकों के प्रतिकूल
राजस्थान हाई कोर्ट ने एक फैसले ने एमवीआइ व्यवस्था के तहत बिना जरूरी उपकरणों के फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने पर आपत्ति जताई है।
कोर्ट ने माना कि यह व्यवस्था न केवल अप्रचलित है, बल्कि पारदर्शिता और तकनीकी मानकों के अनुरूप भी नहीं है।
इसके बावजूद, परिवहन विभाग पुरानी व्यवस्था से बाहर निकलने को तैयार नहीं दिखता। झारखंड हाई कोर्ट में भी इससे संबंधित मामला विचाराधीन है।
केंद्र ने पहले एमवीआइ का लॉगिन बंद कर दिया था, लेकिन बाद में इसे बहाल करना पड़ा, क्योंकि राज्य ने नए सिस्टम को लागू करने में देरी की।
यह स्थिति न केवल केंद्र के निर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि वाहनों की सुरक्षा और सड़क हादसों को रोकने के लिए जरूरी तकनीकी प्रगति को भी बाधित कर रही है।
वित्तीय नुकसान की आशंका
एएफएमएस को लागू नहीं करने से झारखंड को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार प्रत्येक एटीएस सेंटर की स्थापना के लिए 60 करोड़ रुपये की सहायता देती है।
इसके अलावा, नीति आयोग ने इस योजना को पूरी तरह लागू करने के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है।
यदि झारखंड समय पर इस सिस्टम को लागू नहीं करता तो यह आर्थिक सहायता गंवाने का खतरा है। साथ ही, पुरानी व्यवस्था के कारण फिटनेस प्रमाणन में पारदर्शिता की कमी से राजस्व हानि भी हो रही है।
अभी तक देश के 16 राज्यों ने इसे लागू कर दिया है। आधुनिक तकनीक पर आधारित एएफएमएस न केवल वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि राज्य की राजस्व वृद्धि में भी योगदान देगा।
परिवहन विभाग के सामने अब यह चुनौती है कि वह केंद्र के निर्देशों का पालन करते हुए जल्द से जल्द एएफएमएस को लागू करे।
पुरानी व्यवस्था को जारी रखने का तर्क अल्पकालिक हो सकता है, लेकिन दीर्घकाल में यह राज्य की प्रगति और सड़क सुरक्षा को नुकसान पहुंचाएगा।
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