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अमृतसर हादसा : झारखंड में भी जान हथेली पर रख लोग चलते हैं रेल ट्रैक पर

अमृतसर में ट्रेन हादसे में 61 लोगों की मौत के बाद भी झारखंड में सैकड़ों लोग रोज अपनी जान से खिलवाड़ कर रेल ट्रैक पार करते हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 12:00 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 03:47 PM (IST)
अमृतसर हादसा : झारखंड में भी जान हथेली पर रख लोग चलते हैं रेल ट्रैक पर
अमृतसर हादसा : झारखंड में भी जान हथेली पर रख लोग चलते हैं रेल ट्रैक पर

रांची, जेएनएन।  अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे में दर्जनों लोगों की मौत हो गई। वजह जान हथेली पर रख लोग रेल पटरी पर खड़े होकर रावण दहन का कार्यक्रम देख रहे थे। झारखंड में भी कई स्थान ऐसे हैं जहां लोग हर दिन मौत को मात देते हुए रेल ट्रैक के  ऊपर व उसके नजदीक मजमा लगाए रहते हैं। आए दिन ऐसे लोग दिख जाते हैं जो ट्रेन आने के दौरान बंद रेलवे क्रासिंग भी दौड़कर पार करते हैं। जो कभी भी किसी भी दिन बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं।

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राजधानी रांची में लोहरदगा प्लेटफार्म के पास ट्रेन से उतरते ही सैकड़ों लोग ओवरब्रिज से जाने के बदले ट्रेन के सामने से रेल ट्रैक पार करते हैं। उधर, जमशेदपुर के सलगाझुड़ी व गोविंदपुर रेलवे फाटक के पास सब्जी बाजार लगा रहता है, इसके कारण हमेशा यहां जाम लगा रहता है। वहीं जुगसलाई रेलवे फाटक के पास फाटक बंद होने के बावजूद फाटक के नीचे से घुसकर लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे फाटक पार करते दिख जाते हैं।

जुगसलाई रेलवे फाटक के आस पास लाइन से सटी कई झुग्गी झोपड़ीनुमा दुकानें खुली हुई है। जब ट्रेन यहां से गुजरती है तो यह दुकानें भी हिलने लगती है। बावजूद इसके रेलवे की जमीन पर कब्जा कर दुकानदारों ने अपनी अपनी दुकानें सजाई हुई है। वहीं धनबाद के वासेपुर आरा मोड़ में लोग बेखौफ पटरियों पर मार्निंग वाक कर रहे हैं। रेलवे फाटक बंद कर स्थायी तौर पर ओवरब्रिज का निर्माण किया जा चुका है। बावजूद पटरी के ऊपर से लाेग अपने दोपहिया उछाल रहे हैं।

वजह सिर्फ इतनी है कि ओवरब्रिज चढऩे के लिए लोगों को 500 मीटर का सफर तय करना होगा। धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर पर भी अमृतसर जैसे रेल हादसे हो सकते हैं। रेलवे टै्रक पर लगने वाले फुटपाथ बाजार में शाम के वक्त खरीददारों का मेला लगता है। हालांकि यहां यात्री टे्रनें तो नहीं चलती हैं, पर शंटिंग के दौरान मालगाडिय़ों की आवाजाही होती रहती है।

छोटी सी मानवीय भूल यहां बड़े हादसे को जन्म देने के लिए काफी है। पिछले साल रेलवे यार्ड से लुढ़ककर मालगाड़ी के दो वैगन दौड़ गए थे, जिससे अफरा-तफरी मच गई थी।  दुमका जिले के हंसडीहा में लोगों को सजग रहने की जरूरत है। अगले महीने छठ महापर्व होगा। हंसडीहा में सबसे पुराना छठ घाट नई हंसडीहा-दुमका रेल लाइन के एकदम करीब है। नवंबर में कोहरे का प्रकोप शुरू हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि लोग सतर्क रहें और रेलवे लाइन से हटकर छठ घाट पर पूजा अर्चना करें, जिससे कोई अनहोनी न हो। 

पश्चिम ङ्क्षसहभूम के चाईबासा में भी जेएमपी रेलवे फाटक में व्यस्त सड़क होने के कारण हर 5 से 10 मिनट में लोगों की भीड़ एक साथ होकर पार होती है। इससे लोगों को बड़ा हादसा कर डर हमेशा सताता है। चाईबासा-टाटा मुख्य मार्ग होने के कारण आम लोगों के साथ यात्री वाहन भी इसी फाटक से होकर गुजरते हैं। फाटक खुलने के बाद एक साथ कभी-कभी इतना भीड़ जमा हो जाता है कि लोगों को इससे गुजरने के लिए 10 मिनट से ज्यादा का समय लग जाता है।

कई बार हालत तो यहां तक बन गया कि मजबूरी में मालवाहक ट्रेन को फाटक से कुछ दूर में रोक दिया जाता है। जिससे आराम से सभी वाहन पार हो सके। भले ही यह एक्सप्रेस ट्रेनों की लाइन नहीं है पर थर्ड लाइन बनने के बाद से हर पांच मिनट में एक आयरन ओर लदा मालवाहक ट्रेन जरूर गुजर जाता है। 


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