इस बार दस दिनों का होगा नवरात्र, 22 को कलश स्थापना, हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, यहां जानें पूजा का पूरा कार्यक्रम
शारदीय नवरात्र इस बार 22 सितंबर से शुरू हो रहा है और दो अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समापन होगा। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन है। पूर्णिमा सात अक्टूबर को होगा। 28 अक्टूबर को छठ का पारण हो जाएगा। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी।कृषि में वृद्धि होती है। दूध का उत्पादन बढ़ता है साथ ही देश में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है।

जागरण संवाददाता,रांची। शारदीय नवरात्र इस बार 22 सितंबर से शुरू हो रहा है और दो अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समापन होगा। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन है।
पूर्णिमा सात अक्टूबर को होगा। 28 अक्टूबर को छठ का पारण हो जाएगा। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। प्रतिपदा के अनुसार हाथी पर आना शुभ है और अच्छी वर्षा का संकेत है।
कृषि में वृद्धि होती है। दूध का उत्पादन बढ़ता है साथ ही देश में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है। पं रामदेव पांडेय ने बताया कि देवी भागवत महापुराण के अनुसार जब रविवार और सोमवार के दिन माता का आगमन होता है तो माता का वाहन हाथी होता है।
यानी इस बार 22 सितंबर को मां दुर्गा का आगमन हाथी से हो रहा है। जब माता हाथी से आती है तो इसे बेहद शुभ माना जाता है।
वहीं, इस बार दो अक्तूबर 2025 गुरुवार के दिन विजयदशमी है। माता के प्रस्थान का वाहन मनुष्य की सवारी होगा। ऐसे में लोगों को सुख शांति का आनुभव होगा। समय बहुत ही भाग्यशाली रहेगा।
पं रामदेव ने बताया कि 22 सितंबर को प्रात: पांच बजे से दोपहर तक कलश स्थापना का योग है। इसी दिन शैलपुत्री का पूजन होगा। 27 सिंतबर पंचमी सुबह 8:46 तक है।
इसके बाद षष्ठी है। इसीलिए 27 को बेल बोधन (बेलभरनी) शनिवार शाम को होगा। षष्ठी शाम को शनिवार को हो सकता है। 28 सितंबर षष्ठी तिथि दिन 10:30 तक रहेगा या 28 सितंबर के शाम को भी बेलवरण पूजन आमंत्रण व्यावहारिक रूप से मान्य है।
29 को महासप्तमी है। सोमवार को दिन 12:26 तक है। इसी दिन नवपत्रिका प्रवेश होगा। महानिशा पूजन रात को होगी, जिसमें चामुंडा देवी का पूजन व 108 दीप प्रज्वलित के साथ होगा।
30 को महाअष्टमी दिन में 1:45 तक है। इसी समय संधि पूजा होगी। नवमी का उपवास भी होगा। एक अक्टूबर को महानवमी तिथि दोपहर 2:37 तक है।
इस दिन कन्या पूजन, अपराजिता, शमी पूजन, नीलकंठ दर्शन, हवन होगा। मूर्ति विसर्जन गुरुवार को जो नहीं करते हैं, वे शाम को विसर्जन कर सकते हैं। दो अक्टूबर विजयादशमी तिथि दोपहर 2:57 तक है।
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